किन्हीं विरान खन्ढरों में तलाश खुद को
इस आबाद गुलशन में तेरी जरूरत नहीं
जो भूल जाते हैं रास्ता अपनी मंजिल का
उनके बसने की फिर कोई सूरत नहीं
वादा कर के मुकर जाते हैं अक्सर जो
उन में ईमान ढूंढ्ने की जरूरत नहीं
जिस बुत में तलाश है तुझे जिन्दगी की
वो पत्थेर है जज़्बातों की मूरत् नही
सिगरेट समझ जो फूँक देते हैं जज़्बात
उनमें जिन्दा इन्सानों की गरूरत नहीं
जब वज़ूद ही ना रहे तो जिन्दगी की तलाश क्यों
जीकर भी है मरा हुआ मौत ढंढने की जरूरत नही
13 comments:
wada kar ke mukar jate hai akshar jo....
Nirmala ji,
bhut sundar rachana hai.
आपकी रचनाधर्मिता का कायल हूँ. कभी हमारे सामूहिक प्रयास 'युवा' को भी देखें और अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करें !!
जो भूल जाते हैं रास्ता अपनी मंजिल का
उनके बसने की फिर कोई सूरत नहीं
आप की गजल का हर शेर अमूल्य है, बहुत सुंदर भाव.
धन्यवाद
बहुत बढ़िया हृदय अभिव्यक्ति
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सुंदर अभिव्यक्ति
Respected Nirmala ji
bahut sundar ,saral,sahaj gazal hai apkee.Hardik badhai.
Hemant Kumar
सुंदर अभिव्यक्ति !
बहुत बढ़िया .................
आपको लोहडी और मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएँ....
जीकर भी है मरा हुआ मौत ढंढने की जरूरत नही
wah wah..
jeeker bhi hai jo mara hua ......maut dhundhne ki jaroorat nahi
Behad sunder abhivyakti .....badhai
पत्थेर है जज़्बातों की मूरत् नही
सिगरेट समझ जो फूँक देते हैं जज़्बात
उनमें जिन्दा इन्सानों की गरूरत नहीं
जब वज़ूद ही ना रहे तो जिन्दगी की तलाश क्यों
जीकर भी है मरा हुआ मौत ढंढने की जरूरत नही
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