कागजों से भी क्या दोस्ती हो गयी
शायरी ही मेरी ज़िंदगी हो गयी
जब खुदा ने करम ज़िन्दगी पर्किया
बंदगी से गमी भी खुशी हो गयी
दिल की बंजर जमीं पर उगा इक खियाल
आँखें'
बहने लगीं फिर नदी हो गयी
एक जुगनू ने देखा अँधेरा वहां
फूस के घर में भी रोशनी हो गयी
दर्द सहते हुए ढल गयी उम्र ये
ज़िंदगी इस लिए अनमनी हो गयी