गज़ल
कुछ पा लिया कुछ खो लिया
फिर बेतहाशा रो लिया
आंखों से जब आंसू गिरे
तो ज़ख्म दिल का धो लिया
फिर भी हुयी मुश्किल अगर
आँचल मे माँ की सो लिया
दुश्वारियों का बोझ भी
जैसे हुया बस ढो लिया
जिसने बुलाया प्यार से
मै तो उसी का हो लिया
बेकार कर दी ज़िन्दगी
बस खा लिया और सो लिया
करते मुहब्बत सब मुझे
जो प्यार बाँटा वो लिया