गज़ल
रहे बरकत बुज़ुर्गों से घरों की
हिफाजत तो करो इन बरगदों की
खड़ेगा सच भरे बाजार में अब
नहीं परवाह उसको पत्थरों की
रहे चुप हुस्न के बढ़ते गुमां पर
रही साजिश ये कैसी आइनों की
ये दिल के दर्द है जागीर मेरी
भरी संदूकची उन हासिलों की
मुहब्बत में मिले दुःख दर्द जो भी ।
भरी झोली सभी उन हासिलों की
न चोरों की हो'सरदारी अगर तो
बचे पाकीज़गी इन कुर्सियों की
न हम खोते कभी ईमान अपना
भले होली जले कुछ ख्वाहिशों की
रहे बरकत बुज़ुर्गों से घरों की
हिफाजत तो करो इन बरगदों की
खड़ेगा सच भरे बाजार में अब
नहीं परवाह उसको पत्थरों की
रहे चुप हुस्न के बढ़ते गुमां पर
रही साजिश ये कैसी आइनों की
ये दिल के दर्द है जागीर मेरी
भरी संदूकची उन हासिलों की
मुहब्बत में मिले दुःख दर्द जो भी ।
भरी झोली सभी उन हासिलों की
न चोरों की हो'सरदारी अगर तो
बचे पाकीज़गी इन कुर्सियों की
न हम खोते कभी ईमान अपना
भले होली जले कुछ ख्वाहिशों की