आज महफिल में सुनने सुनाने आयेंगे लोग
समाज के चेहरे से नकाब ऊठाने आएंगे लोग
बीते जमाने के सब लगते हैं अफसाने
नये जमाने की हकीकत बताने आयेंगे लोग
किसी की मौत पे रोना गुजरे दिनों की बात है
अब दिखावे को मातम मनाने आयेंगे लोग
घर की आग से धुआं उठने ना देना कभी
नहींतो आग को हवा दिखाने आयेंगे लोग
डर के भागना बुजदिली है दोस्तो
जितना डरोगे उतना डराने आयेंगे लोग
सच बोलना है तो हिम्मत से काम लेना
जख्मी सांप की तरह बल दिखाने आयेंगे लोग
कौन किसी की आंख से आंसू पोंछना चाहे
किसी का दुख देख अपना दिल परचाने आयेंगे लोग
दोस्ती के नकाब में छुपे हैं आज दुश्मन
पहले जख्म देंगे फिर सहलाने आयंगे लोग
जिन नेताओं को देते हैं गालियां
अन के बुत पर फूल चढाने आयेंगे लोग
जीते जी मां-बाप को रूखी रोटी न दें
पुर्खों के नाम पे पंडितों को खीर खिलाने आएंगे लोग् !!