100 th post
सब से पहले मै आप सब से इस बात के लिये क्षम माँगना चाहती हूँ कि मै कई दिन से नियमित रूप से आपके ब्लोग पर नहीं आ पा रही हूँ1बस एक दो दिन बाद मै नियमित हो जाऊँगी1आज ये मेरी 100 वीं पोस्ट है और मै ये पोस्ट अपने छोटे दामाद श्री ललित सूरी को समर्पित करना चाहती हूँ1बेशक आप सब के लिये ये एक मामूली बात हो मगर मेरे लिये ये बहुत अहम है क्योंकि जिन प्रिस्थितियों से हमारा परिवार गुजरा है उसमे ऐसी कलपना करना ही मुमकिन नहीं फिर भी मेरे पति की कर्मनिष्ठा और बच्चों की मेहनत ने आज मेरी बेटियौ को इस ऊँचे मुम्काम पर पहुँचाया है और अपने परिवार की प्रेरणा से मैं भी कलम पकडने की हिम्मत जुटा पायी हूँ1
बेटियों का होना अभी भी समाज मे जिस नजर से देखा जाता है उस से मैँ भी अछूति नहीं थीबहुत कुछ देख सुन और भुगत कर कई बार मन बहुत दुखी हो जाता1 मगर भगवान की दया से मुझे दामाद बहुत अच्छे मिले 1
नवम्बर्2008 मे मेरी छोटी बेटी की शादी श्री ललित सूरी से हुई थी ललित एम बी ए के बाद सैम सँग कम्पनी मे एरिया मैनेजर हैं और मेरी बेटी भारत बिजली मे सेल्ज मैनेजर है बडी दोनो बेटियों के ससुराल जाने पहचाने परिवार थे बडी बेटी ने एम एस सी मैथ और उससे छोटी ने एम सी ए की है दोनो के पती सोफ्ट वे. इजनियर हैं मगर ललित का परिवार दिल्ली मे था हमारी कोई जानपहचान नहीं थी एक अनजाना सा डर कि पता नहीं बाद मे क्या होगा ? फिर भी दोनो परिवारों मे एक बार मिलने से ही लगने लगा कि जैसे बहुत पुरानी जान पहचान हो1 रिश्ता और फिर 7माह बाद शादी हो गयी 1जब ललित शादी के बाद पहली बार मेरे घर आये तो मुझे एक पल को भी नहीं लगा घर मे नये दामाद आये हैं बच्चों की तरह मेरे आगे पीछे जहाँ तक कि रसोई मे भी मेरे पास खडे रहना मा ये बनाओ--- मा वो बनाओ--- और मेरे पति तो जैसे ललित को पा कर फूले नहीं समाते हैं----उनको भी पूरी हिदायतें कि पापा आप धूप मे ना घूम करो आप ऐसे किया करो वैसे किया करो----कहने का भाव ये कि अपना बेटा भी शायाद इतना ध्यान ना रखता हो जितना ललित को हमारी चिन्ता रहती है रोज फोन पर भी बडी देर तक बात करना उसकी हमारे प्रति निष्ठा का परिचायक है1 रिश्तों के प्रति बहुत संवेदन्शील हूँ1 बहुत रिश्ते खोये हैं भगवान के हाथों--बस इन बच्चों ने सब कुछ भुला दिया है 1
हाँ अब असली बात तो आज की पोस्ट की हो रही थी 1ललित जब पहली बार मेरे पास नन्गल आये थे तो मैने इन से ब्लोग्गि की चर्चा की बस एक घँटे बाद मेरा ब्लोग बन कर तयार हो गया था 1 25 नव.को मुझे मेरा बर्थडे गिफ्ट दिया था ललित ने1
पर मुझे तो कम्पयूटर की ए बी सी भी नहीं आती थी मगर ललित ने एक दिन मे मुझे गुजारे लायक सिखा दिया मेरा काम शुरू हो गया जो नहीं पता लगता था वो मैं फोन करके पूछ लेती थी नहीं तो मेरे घर मे कम्पयूटेर का इतना ही काम था के अमेरिका मे रह रही बेती से याहू मेसेन्जर पर बाते करती थी वो भी बच्चों ने डेस्क टाप पर सब कुछ रख छोडा था मुझे क्लिक करना सिखा दिया था1
अब धीरे धीरे आप सब के और आशीश खण्डेलवाल जी के सहयोग से कई कुछ सीख गयी हूँ1
आज ललित ने टिकटें ही कटा कर भेज दी थी सो दिल्ली आना पडा मेरी बेटी का जन्म दिन था इस लिये आज ये पोस्ट भी दिल्ली से ही लिख रही हूँ अभी अभी बाहर से डिनर कर के लौटे हैं बच्चों के साथ खुश हूँ 1
आज ललित की वजह से ही मुझे इतना बडा ब्लोग जगत का परिवार मिला है आप सब का स्नेह पा कर भी अभिभूत हूँ शायद इस काबिल नहीं थी जितना आप सब से प्यार और सहयोग मिला है सब से अधिक जिन लोगों ने मुझे सहयोग दिया उनमे श्री प्रकाश सिह अर्श श्री आशीश ख्ण्डेलवालजी नीरज गोस्वामी जी राज भाटिया जी दिगम्बर नास्वाजी जिन्हो ने समय समय पर मुझे सहयोग दिया और मेरा उत्साह वर्धन किया मै उन सभी की धन्यवादी हूँ-- ( सब का नाम ले कर लेख को बडा नही करना चाहती )जो रोज मुझ पर अपना स्नेह बरसाते हैं और मेरा उत्साहवर्धन भी करते हैं1
आज अर्श से माफी चाहती हूँ कि मैने उस से वादा किया था कि मै दिल्ली आ रही हू और उस से मिलूँगी मगर गर्मी और समयाभाव के कारण मिल नहीं पाई 1जल्दी जल्दी मे लेख को अच्छे ढंग से लिख नहीं पायी इस समय रात के दो बजने वाले हैं जाते जाते आप सब का एक बार तहे दिल से धन्यवाद करती हूँ और अपने बच्चों के लिये आपका आशीर्वाद चाहती हूँ1ौर चाहती हूँ कि ललित जैसा दामाद हर बेटी वाले को मिले और इनके परिवार जैसा हर परिवार हो