फिज़ा अब बस करो
क्यों पीट रही हो लकीर
तेरी लुट चुकी है तकदीर
बेकार है हर तदबीर
क्या नहीं देखी थी
अखबार मे वो तस्वीर
जो भेजी थी चँद्र्यान ने
उसने ये भी बताया था
कि चाँद के सीने में
धडकता हुआ दिल नहीं है
वहाँ पथरीली चट्टाने है
और उसकी आँख मे कभी
जो पानी हुआ करता था
वो अब मर चुका है
उसी कि तलाश मे है चन्द्र्यान
उसने ये भी बताया था
चाँद अपनी सीमा के
अभेद्य सन्नाटे मे है
वो तो अपनी बाहरी
चमक दमक से
दुनिया को लुभाता रहा है
कभी मोहन बन कर
कभी मोहम्म्द बन कर
भरमाता रहा है
और उसकी सीमा
इतनी मजबूत है
कि कोई फिज़ा उसे
भेद नहीं सकती
अब सब्र कर
छोड चाँद छुने की जिद
इतना ही काफी है
तेरे लिये कि
तू सबक बन गयी है
लोगों के लिये
अब कभी कोई फिजा
किसी चाँद को पाने
उसकी सीमा पर
जाने से पहले घबरायेगी
चली भी गयी
तो तेरी मौत मर जायेगी