गज़ल
ये गज़ल भी प्राण भाई साहिब के आशीर्वाद और संवारने से
ये गज़ल भी प्राण भाई साहिब के आशीर्वाद और संवारने से
कहने लायक बनी है।
हौसला दिल में जगाना साथिया
देश दुश्मन से बचाना साथिया
जो करे बस सोच कर करना अभी
फिर न तू आँसू बहाना साथिया
क़ैद कर् पलकों में रखना हर घड़ी
यूँ बना काजल सजाना साथिया
जान हाल-ए- दिल न ले तेरा कहीं
चेहरा ऎसे छुपाना साथिया
कौन कहता है तुझे अब आदमी
भ्रूण मारे क्यों,बताना साथिया
रूप उसका जान का दुश्मन बना
प्रेम का जलवा दिखाना साथिया
छोड़ कर चल दे मुसीबत में कोई
दोस्त कैसा वो,बताना साथिया
दोस्ती निर्मल है "निर्मल" की सदा
जब जी चाहे आज़माना साथिया