गज़ल
ये गज़ल भी प्राण भाई साहिब के आशीर्वाद और संवारने से
ये गज़ल भी प्राण भाई साहिब के आशीर्वाद और संवारने से
कहने लायक बनी है।
हौसला दिल में जगाना साथिया
देश दुश्मन से बचाना साथिया
जो करे बस सोच कर करना अभी
फिर न तू आँसू बहाना साथिया
क़ैद कर् पलकों में रखना हर घड़ी
यूँ बना काजल सजाना साथिया
जान हाल-ए- दिल न ले तेरा कहीं
चेहरा ऎसे छुपाना साथिया
कौन कहता है तुझे अब आदमी
भ्रूण मारे क्यों,बताना साथिया
रूप उसका जान का दुश्मन बना
प्रेम का जलवा दिखाना साथिया
छोड़ कर चल दे मुसीबत में कोई
दोस्त कैसा वो,बताना साथिया
दोस्ती निर्मल है "निर्मल" की सदा
जब जी चाहे आज़माना साथिया
28 comments:
बहुत खूबसूरत और प्रेरणादायी रचना। बधाई!
एक सुन्दर और प्रशस्त गजल..!
BAHUT HI SHASHAKT GAZAL ...
KOUN KAHTA HAI TUJHE AB AADMI ....
YE SHER KAMAAL KA HAI .. BAHUT HI LAJAWAAB .. AISE LOG SACH MEIN AADMI NAHI NAPUNSAK HAIN ...
आपकी कविता में निखार लाने के लिए,
प्राण भाई साहब का धन्यवाद!
बहुत अच्छी लगी आपकी यह गजल..!....
bahut hi achhi gazal hain
behatareen prastuti, badhaai sweekaren.
बहुत अच्छी और सच्ची ग़ज़ल। बधाई
bahut sunder gazal hai her sher sashakt hai .badhai!
खूबसूरत भावनायें और सुन्दर बंदिशें ! बहुत बहुत बधाई आपको इतनी सुन्दर रचना के लिये ।
बहुत अच्छी लगी.
हिन्दीकुंज
बहुत सुंदर रचना है. शुभकामनाएं.
रामराम.
ग़ज़ल पढ़कर आनंद प्राप्त हुआ
एक अच्छी ग़ज़ल .
प्राण साहिब का ओर आप का बहुत बहुत धन्यवद इस सुंदर कविता के लिये
अच्छी ग़ज़ल है...सुन्दर भाव से भरी...
सुंदर अनुभूति.
Adaraneeya Nirmala ji,
Har gazal kee tarah apakee ye gajal bhee bahut sundar bhavon ko praastut kar rahee hai.shubhakamnayen.
Poonam
nirmala jo,
bahut khoobsurat ghazal hai...bahut si baton ko le kar kahi gayi hai...apane jazbat chhupane ki baat ...to doosari taraf bhrun hatya ki baat aur dosti ka aina dikhane ki baat....
ghazal ke liye badhai
dosti nirmal hai nirmal kee sada
jab jee chahe aajamana saathiyo
behad sundar makta hai nirmala ji...
.
mere blog tak aane ke liye aapka aabhari hoon..maine word verification hata diya hai..smriti dilaane ke liye punah dhanayawaad
achhi gazal.praanji dvara snvaari gai ho aour aapke vichaar ho to maza duganaa ho jaataa he/ isme yadi desh ke prati prerna he to jeevan darshan bhi he/ samaj ka chitran bhi he to prem ki najukta ko bhi aapne salike se sajaayaa he/ bahut achhi gazal/
क्या बात है..एक गज़ल मे इतने खूबसूरत भाव एक साथ गूँथ दिये हैं..कि पूरी ग़ज़ल जैसे एक रंग-बिरंगे गुलशन सी महक उठी है..एकदम मस्त!!!
गजल अच्छी लगी ...
गजल के चौथे शेर की दूसरी
पंक्ति पर क्रम-भंग हो रहा है ...
ऐसा न हो तो और मजा आये ...
बहुत ही सुन्दर शब्दों में लिखी गयी उम्दा गजल्।
हेमन्त कुमार
निर्मला दी,
बड़ी प्यारी ग़ज़ल. बड़ा गहरा शेर लगा -
जान हाल-ए-दिल न ले तेरा कहीं
चेहरा ऐसे छुपाना साथिया
साथ ही "कौन कहता हैं तुझे अब आदमी" वाला शेर भी बड़ा सटीक सामायिक है. साधू !!!
लय और प्रवाह पठनीय हैं।
अमरेन्द्र की बात पर ध्यान अपेक्षित है।
बढ़िया सीधी साधी बात कहने में एक उपलब्धि।
निर्मला जी,
जहां सवाल होते हैं वो दोस्ती नहीं होती...जहां दोस्ती होती है वहां सवाल नहीं होते...
जय हिंद...
bahut hi sundar ghazal kahi hai aapne Nirmala ji..
padhne mein maza aaya ...
sabhi sher khoobsurat...
आपने बड़े ख़ूबसूरत ख़यालों से सजा कर एक निहायत उम्दा ग़ज़ल लिखी है।
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