16 September, 2010

दो चेहरे- लघु कथा

दो चेहरे
"पापा आज  आप स्टेज पर हीर राँझा गाते हुये रो क्यों पडे थे?"
"समझाईये न पापा"
'तुम नहीं समझोगी"
"समझाईये न पापा"
रनबीर की सात साल की बेटी अचानक अपनी नौकरानी के बेटे गोलू के साथ  खेलती हुयी पापा से आ कर पूछने लगी।
'नहीं पापा मुझे बताओ ना" वैसे ये हीर राँझा क्या होते हैं?"
रनबीर ने बेटी की तरफ देखा और उसे बताने लगा
'बेटी हीर राँझा दो प्रेमी थे दोनो एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे मगर दोनो की शादी नहीं हुयी और और दोनो एक दूसरे के लिये तडपते रहे" ये गीत ये गीत हीर राँझा की प्रेम कथा  है, उसका दर्द देख कर किसी के भी आँसू निकल जाते हैं। बहुत दर्दनाक प्रेम कहानी है।' रनबीर सिंह अपने ही ख्याल मे डूबा हुया बेटी को बता रहा था।
"पापा उनके माँ बाप कितने बुरे थे?"
'हाँ बेटी बहुत बुरे"। रनबीर ने बेध्यानी मे जवाब दिया
" पापा1 मेरे पापा तो बहुत अच्छे हैं जब मैं गोलू से शादी करूँगी तो आप हमे कुछ नहीं कहेंगे ना?" बेटी ने भोलेपन से कहा
'चटाक' तभी उसके गाल पर एक ज़ोर से चाँटा पडा और बेटी अवाक पिता की तरफ देख रही थी।
उसे क्या पता था कि इन्सान के दो चेहरे होते हैं एक घर मे एक बाहर।

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