#अंतरराष्ट्रीय_हिन्दी_ब्लॉग_दिवस की आप सब को बधाई 1दूसरी पारी पहले की पारी से भी ऊंचाई पर जाये इसी कामना के साथ सब को शुभकामनाएं1
एक गज़ल
राहमतों की आस किस से कर रहा बन्दे यहां
आदमी कीड़ा मकोड़ा है धनी के सामने
ताब अश्कों की नदी की सह न पायेगा कभी
इक समंदर कम पडेगा इस नदी के सामने
प्यार में क्या हारना और क्या है निर्मल जीतना"
बस मुहब्बत हो न शर्मिंदा किसी' के सामने।