13 February, 2009


वेलेन्टाइन डे पर तो बहुत व्यस्त रहूँगी
इस दिन कुछ् न लिखूं ये कैसे हो सकता है
मै भी तो इन्सान हूँ क्या हुया जो बाल सफेद हो गये हैं!
मगर टी.वी देख देख कर अपना भी दिल मचलने लगा
सोचा कुछ भी हो इस बार जरूर व.डे मनायेंगे
तो देखिये कैसे मनाया
वेलंटाईन डे
वेलंटाईन डे
पर टी.वी चैनल ने
इतना शोर मचाया
कि हमारे दिल मे भी
एक ख्याल आया कि
क्यों ना इस बार पती पर
प्यार का रंग चढाया जाए
और वेलंताइन डे मनाया जाए
सुबह उठते ही किया ऐलान
ए जी!ेआज् आप दफ्तर नहीं जायेंगे
आज हम भी वेलंटाइन डे मनायेंगे
सुन कर पती थोडा चकराय
फिर मुस्कुराये और बोले
"रानी तेरा हुक्म बजाता हूँ
अभी बाजार हो के आता हूँ"
सुन कर हम पर
ऐसा छाया सरूर
कि चेहरे पे आया नूर्
सोचा वो लायेंगे गिफ्ट
और लाल गुलाब जरूर्
मन ही मन झूमने लगे
आँखों मे गिफ्ट
और गुलाब घूमने लगे
एक घंटे बाद
जनाब गुनगुनाते हुयेआये
हाथों मे दो गोभी के फूल उठाये
बोले 'रानी चलो
गोभी के पकौडे बनाओ
और अपना वेलेन्टाइन डे
धूम धाम से मनाओ

ये तो आज के दिन के लिये एक व्यंग था
अब डर सताने लगा कि कविता पढ कर कहीं पतिदेव
नाराज़ ना हो जायें कि हमने उनका भेद खोल दिया
तो उनकी नज़र मे चँद शब्द भी लिख दें
जिन्दगी तेरे नाम हुई
तेरे जलाने से जली है शमा जिन्दगी की
ये जिन्दगी तेरे नाम हुई
सुबह कि आँख खुली तेरे दीदर कि हसरत लिये
तेरी सूरत देखते शाम हूई
निकल आया चाँद उमीदों का
मायूसियों की घटाओं के पीछे से
हो गयी रोशन ये जिन्दगी
जो तेरी नजरें ईनाम् हुई
तेरे प्यार की गहराई को समझा
तो महसुस हुआ
मेरी मंजिल मुझे मिल गयी
मेरी जिन्दगी तुझे अंजाम हुई

11 February, 2009


गज़ल

सितम सहने की आदत डाल ली
कुछ ना कहने की आदत डाल ली

दुनिया आग को हवा देती है
दरिया सी बहने की आदत डाल ली

तकरार से फासले नहीं मिटते
खामोश सहने की आदत डाल ली

ज़िन्दगी की हर डगर पर यारो
चलते रहने की आदत डाल ली

दिल में छुपाये फिरते हैं दर्द हम
पर हंसते रहने की आदत दाल ली

कौन किसी का हमदर्द है जहाँ मे
दिल की दिल से कहने की आदत डाल ली

10 February, 2009


मेरे गीत मेरे सपने मेरे अपने हैं
ना इन की वज़्म पर ऐतराज करो
जिन्दगी को तो मर मर के जिया है
अब कल्पनाओं को तो ना बरबाद करो
अगर दिल में होंगे भी कोई अरमान तो
कब्र तक साथ रहेंगे यकीं मेरे यार करो
मेरे जज़्बातों पर लगे है पहरे दुनिआ के
जो हो नहीं मुमकिन् ना ऐतबार करो
अब तो कल्पनाओं के सिवा जिन्दगी कुछ भी नहीं
ना हो यकीं तो मेरे मरने तक इन्तजार करो
ना बनाओ इन के अफसाने यारो
गर हो सके तो मुझ से इकरार करो

08 February, 2009


मेरे रहनुमां
दुनिअ के तमाम रिश्ते
मेरे लिये गुमनाम बन गये
ये चँद कागज़ के टुकडे
दिल के राज़दान बन गये
जो कह सके ना अपनों से बात
उसकी ये दास्तान बन गये
अब ना किसी दोस्त न हमदम की तमन्ना
ये मेरी तमन्नाओं के चाहवान बन गये
ये चुभायेंगे ना तीर अपनी जफा का ज़िगर में
ये मेरे दर्दे ज़िगर क हम नाम बन गये
चीरते हैं कलम से इनका दिल तो उफ नहीं करते
ये कागज़ मेरे कितने मेहरवान बन गये
आये हैं इनकी बदौलत आपकी महफिल में
शुक्रिया इनका हम इस महफिल के कद्र्दान बन गये !!

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