गज़ल
इस गज़ल को सजाया संवारा मेरे बडे भाई साहिब श्री प्राण शर्मा जी ने
इस लिये ये कहने लायक हुई है । उनका आशीर्वाद ही मेरी प्रेरणा है
तराने प्यार के सबको ज़रा गा कर सुनाया कर
कि जैसे गुल लुभाते हैं तू वैसे ही लुभाया कर
ज़रा पहचान अपने को, खुदा का बंदा होकर भी
खुदा के नाम पर बन्दे न लोगों को लड़ाया कर
परिंदे देखकर उड़ते हुए आकाश में यूँ ही
करे तेरा कभी मन ओड़नी लेकर उडाया कर
करे मजबूर कहने को मुझे तेरे फसाने को
न दूरी के ये झूठे से बहाने अब बनाया कर
करे धोखा गरीबों से मिलावट कर कमाए नोट
कभी भगवान का बन्दे जरा तो खौफ खाया कर
विदेशी खाए,पहने भी विदेशी तू, बता क्योंकर
कभी पहचान अपने देश की भी तू दिखाया कर
इस गज़ल को सजाया संवारा मेरे बडे भाई साहिब श्री प्राण शर्मा जी ने
इस लिये ये कहने लायक हुई है । उनका आशीर्वाद ही मेरी प्रेरणा है
तराने प्यार के सबको ज़रा गा कर सुनाया कर
कि जैसे गुल लुभाते हैं तू वैसे ही लुभाया कर
ज़रा पहचान अपने को, खुदा का बंदा होकर भी
खुदा के नाम पर बन्दे न लोगों को लड़ाया कर
परिंदे देखकर उड़ते हुए आकाश में यूँ ही
करे तेरा कभी मन ओड़नी लेकर उडाया कर
करे मजबूर कहने को मुझे तेरे फसाने को
न दूरी के ये झूठे से बहाने अब बनाया कर
करे धोखा गरीबों से मिलावट कर कमाए नोट
कभी भगवान का बन्दे जरा तो खौफ खाया कर
विदेशी खाए,पहने भी विदेशी तू, बता क्योंकर
कभी पहचान अपने देश की भी तू दिखाया कर