गज़ल
गुजारे गांव मे जो दिन पुराने याद आते हैं
सुहानी ज़िन्दगी दिलकश जमाने याद आते हैं
वो बचपन याद आता है वो खेलें याद आती हैं
लुका छुप्पी के वो सारे ठिकाने याद आते हैं
कभी गुडियां पटोले भी बनाने याद आते हैं
विआह उनके कभी खुश हो रचाने याद आते हैं
कभी तितली के पीछे भागना उसको पकड लेना
किसी के बाग से जामुन चुराने याद आते हैं
कभी सखियां कभी चर्खे कभी वो तीज के झूले
घडे पनघट से पानी के उठाने याद आते है
कभी फ़ुल्कारियां बूटे कढ़ाई कर बनाते थे
अटेरन से अटेरे आज लच्छे याद आते है
बडे आँगन मे सरसों काटती दादी बुआ चाची
वो मिट्टी के बने चुल्हे पुराने याद आते हैं