18 March, 2016

गज़ल

         

   गज़ल
गुजारे गांव मे जो दिन पुराने याद आते हैं
सुहानी ज़िन्दगी दिलकश जमाने याद आते हैं

 वो बचपन याद आता है वो खेलें याद आती हैं
लुका छुप्पी के वो सारे ठिकाने याद आते हैं

कभी गुडियां पटोले भी बनाने याद आते हैं
 विआह उनके कभी खुश हो रचाने याद आते हैं

कभी तितली के पीछे भागना उसको पकड लेना
किसी के बाग से जामुन चुराने याद आते हैं

कभी सखियां कभी चर्खे कभी वो तीज के झूले
घडे पनघट से पानी के उठाने याद आते है

कभी फ़ुल्कारियां बूटे कढ़ाई कर बनाते थे
अटेरन से अटेरे आज लच्छे याद आते है

बडे आँगन मे सरसों काटती दादी बुआ चाची
वो मिट्टी के बने चुल्हे पुराने याद आते हैं

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