जीना सीख लिया है। [कविता]
चल रही है दोनो
मखमली सी चाहतें
और
और खार सी जिन्दगी
समानान्तर रेखाओं की तरह
दूरी बना कर
उठता है
दोनो के बीच
एक समुद्र
कुछ अनुभूतियाँ और
कुछ संवेदनाये लिये
कभी कभी बह जाता है
कागज़ की पगडंडियों पर
शब्दों की दो किरणें
उधार ले कर
शायद दोनो ने
जीना सीख लिया है
कागज़ के साथ
चल रही है दोनो
मखमली सी चाहतें
और
और खार सी जिन्दगी
समानान्तर रेखाओं की तरह
दूरी बना कर
उठता है
दोनो के बीच
एक समुद्र
कुछ अनुभूतियाँ और
कुछ संवेदनाये लिये
कभी कभी बह जाता है
कागज़ की पगडंडियों पर
शब्दों की दो किरणें
उधार ले कर
शायद दोनो ने
जीना सीख लिया है
कागज़ के साथ
44 comments:
जिन्दगी में पल रही है मखमली सी चाहते, लेकिन वास्तव जीवन में तो खार ही है। अच्छा चिंतन है बधाई।
शायद नहीं, सचमुच जीना सीख लिया.
बहुत अच्छा
मुबारक हो..कुछ नया सीखने के लिए।
jindagi ki raah par aise hi aage badhana hota hai aur fir dhire dhire chalana saikh hi jana hota hai ek sundar abhivyakti..badhiya rachana..prnaam swikaar karen..
Chaahatein aur Zindagi ki samanantarta....
Achchhi Rachna
"कागज की पगडंडियों पर
शब्दों की दो किरणें ..."
सुन्दर कल्पना!
गहरी भावाव्यक्ति!
कागज़ की पगडंडियों पर
शब्दों की दो किरणें
उधार ले कर
शायद दोनो ने
जीना सीख लिया है
कागज़ के साथ..
बहुत सुंदर.
और निर्मला जी,
हम आपको देख कर जीना सीख रहे हैं...
ये फ़लसफ़ा अपना लिया है..
पहन कर पांव में ज़ंज़ीर भी रक्स किया जाता है,
आ बता दे के तुझे कैसे जिया जाता है...
(अभी आपकी पिछली कहानी पेंडिंग पड़ी है रात को आराम से पढ़ूंगा...)
जय हिंद...
बहुत सुन्दर रचना है.
हिन्दीकुंज
कभी कभी बह जाता है
कागज़ की पगडंडियों पर
शब्दों की दो किरणें
उधार ले कर
शायद दोनो ने
जीना सीख लिया है
कागज़ के साथ..
बहुत सुन्दर भाव निर्मला जी !
कुछ अनुभूतियाँ और कुछ संवेदनाएं...
बहुत जरुरी है इन्हें बांटते रहना.
सुंदर प्रस्तुति , अच्छी रचना
यही जिंदगी है....समन्वय सी करती हुई...
सुन्दर अभिव्यक्ति....बधाई
आपने सभी लेखन से जुड़े लोगों की व्यथा इस कविता के माध्यम से व्यक्त कर दी. सच, जीवन में एक तरफ कांटे ही कांटे होते हैं.
जिन्दगी की यही रीत है, हार के साथ ही जीत है.
जिन्दगी की यही रीत है, हार के साथ ही जीत है.
बेहतरीन बढ़िया कहा आपने निर्मला जी ..
खुशी और गम ......... दोनो के साथ रहना भी सीख लेती है जिंदगी ........ गहरी प्रस्तुति है आपकी रचना .......
jeevan darshan ko bakhubi bayan kiya hai ..........zindagi phoolon ki sez hi nhi kanton bhari dagar bhi to hai aur dono sath sath hi chalte hain.
बहुत गहन अभिव्यक्ति.
रामराम.
शायद जीवन इसी का नाम है....
बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति!!
आभार्!
चाहत और जिंदगी, सचमुच दोनों का मेल बहुत मुश्किल से होता है, गर नामुमकिन नहीं।
अच्छी संवेदनशील रचना।
लाजवाब... बहुत ही अच्छी रचना.....
Adaraneeya Nirmala ji,
apakee kahaniyon kee hee tarah apakee kavitayen bhee bahut samvedanatmak hotee hain.shubhkamnayen.
Poonam
waakai jeena seekh liya hai...
kaagaz ke saath!
बहुत सुंदर कविता
आप को गणतंत्र दिवस की मंगलमय कामना
SUNDAR BHAAV AUR SUNDAR SHABDON
KE MEL SE BANEE AAPKEE KAVITA
BAHUT ACHCHHEE LAGEE HAI.
बहुत खूब माँ जी , जीना सीख लिया है कागज के साथ, लाजवाब ।
bahut sunder abhivyakti!
गणतंत्र दिवस की आपको बहुत शुभकामनाएं
बहुत ही अच्छी रचना।
kash har koi aapki tarah hi jeena seekh leta Maasi... to kitne bewajah ke jhagde na hote dunia me... khali dimaag shaitan ka ghar jo hota hai na..
गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें....
जय हिंद... जय बुंदेलखंड...
मुक्त छन्द के विरोधी जरा यह प्रभाव ला कर दिखाएँ !
मकमली रचना पढ़वाने के लिए आभार!
नया वर्ष स्वागत करता है , पहन नया परिधान ।
सारे जग से न्यारा अपना , है गणतंत्र महान ॥
गणतन्त्र-दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
उधार लेकर
शायद दोनों ने
जीना सीख लिया है
काग़ज के साथ
बेहतरीन
कागज की पगडंडियों पर फैला अनुभूतियों और एहसासों का सागर शब्दों की जुबां में ...
makhmali chahaten.........aur khar si zindgi...........wah wah. bahut umda abhivyakti.
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ! मखमली चाहतों और खार सी ज़िंदगी के प्रतिमान बहुत खूबसूत और सच्चे लगे | यही जीवन की निर्मम सच्चाई है | बहुत बहुत बधाई |
गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत हार्दिक बधाई!!!
गणतंत्र-दिवस की मंगलमय शुभकामना...
जीना सीख लिया है
काग़ज के साथ
बेहतरीन....!
गणतंत्र-दिवस की मंगलमय शुभकामना...
बहुत सुन्दर रचना ! आपको और आपके परिवार को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
हाँ, मखमली चाहतों और खार सी जिंदगी के बीच कागज ही पुल का काम करता है...वरना यह जिंदगी कितनी नीरस होती न!
सुंदर। भावपुर्ण।
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