कविता
आज एक छोटी सी कविता जो पहले भी शायद कुछ लोगों ने पढी है। आजकल घर की व्यस्ततायों के चलते कुछ नया लिख नहीं पा रही। इसे ही झेल लीजिये।
छोटी सी बात
कई बार
जब हो जाते हैं
हम
मैं और तू
छोटी छौटी बातों पर
कर देते हैं रिश्ते
कचरा कचरा
तर्क---वितर्क
तकरारें--
आरोप--प्रत्यारोप
छिड जाता है
महाँसंग्राम
अतीत की डोर से
कटने लगती है
भविश्य की पतंग
और खडा रह जाता है
वर्तमान
मौन, निशब्द
पसर जाता है
एक सन्नाटा
उस सन्नाटे मे
कराहते हैं
छटपटाते हैं
और दम तोड देते हैं
जीवन के मायने
ओह!
रह जाते हैं
इन छोटी- छोटी बातों मे
जीने से
जीवन के बडे बडे पल
कई बार
जब हो जाते हैं
हम
मैं और तू
छोटी छौटी बातों पर
कर देते हैं रिश्ते
कचरा कचरा
तर्क---वितर्क
तकरारें--
आरोप--प्रत्यारोप
छिड जाता है
महाँसंग्राम
अतीत की डोर से
कटने लगती है
भविश्य की पतंग
और खडा रह जाता है
वर्तमान
मौन, निशब्द
पसर जाता है
एक सन्नाटा
उस सन्नाटे मे
कराहते हैं
छटपटाते हैं
और दम तोड देते हैं
जीवन के मायने
ओह!
रह जाते हैं
इन छोटी- छोटी बातों मे
जीने से
जीवन के बडे बडे पल
42 comments:
हम का मैं और तुम हो जाना ही तो छिन्न भिन्न कर जाता है जीवन जीने की ललसा की डोर --
बहुत सुन्दर रचना
ज़िन्दगी के सच को बयां करती आपकी रचना सोचने पर मजबूर करती है...
सच ये मैं और तू के भाव सुखद पलों को हर लेते हैं....खूबसूरत रचना के लिए बधाई
कविता का उपसंहार ...
इस सब के बाद
फिर से मिल कर
हम हो जाना
आना चाहिए।
बहुत सुंदर रचना, बधाई!
सुंदर रचना-आभार
माँ जी चरण स्पर्श
बेहतरिन व लाजवाब । बहुत-बहुत बधाई
भावों का सुंदर चित्रण
बेहतर...
मोंम.... बहुत सुंदर कविता....
bahut he sundar kavita likhi hai aapne nirmala ji....
jeevan ki sachchai bayaan karti...
जीवन के बड़े बड़े पल..
बहुत ही खूबसूरत शब्द और भावनाएँ
अंतिम पंक्तियों में जीवन की सच्चाई छुपी है।
सुन्दर रचना।
jeevan ka sach bayan karti umda rachna.
बहुत अच्छी रचना , शुभकामनाएं और बधाई !
अतीत की डोर से
कटने लगती है भविष्य की पतंग
और स्तब्ध रह जाता है वर्तमान .
क्या खूब लिखा है निर्मला जी बहुत ही सुंदर ।
जीवन की गहरी, कड़वी सचाई को दर्शा रही है आपकी रचना ......... कई बार छोटे छोटे अहम जीने नही देते .........
बहुत सुंदर कविता
बहुत ही बढिया लगी कविता....
धन्यवाद्!
बहुत सुन्दर रचना --कम शब्दों में बेहतरीन अभिव्यक्ति।
हेमन्त कुमार
अगर तुम ही तुम हो तो क्या तुम हो
अगर हम ही हम हैं तो क्या हम हैं
मिल कर साथ चलने में ही दम है
जय हिंद...
इस छोटी सी बात में बहुत बड़ा संदेश है
bahut hi sarthak kavita.
सच है -
रह जाते हैं इन छोटी छोटी बातों में
जीने से
जीवन के बड़े बड़े पल
adbhut
abhar
Bahut ach'i kavita.....
ab main kya aur kaise kahoon... bas jaldi hi aapki charan dhooli lene aa raha hoon Maasi..
Jai Hind...
न जाने क्यूं होता है जिन्दगी के साथ
ये छोटी-छोटी सी बात
सार्थक रचना।
माँ जी को प्रणाम।
सुन्दर रचना।
रह जाते हैं इन छोटी बातों में जीने से
जीवन के बडे पल
बहुत सुन्दर
प्रणाम स्वीकार करें
बहुत सुन्दर लिखा है... अतीत की डोर से बंधी भविष्य की पतंग...और दोनों के बीच..झूलता वर्तमान...बहुत सुन्दर
जीवन के सत्य को बडी सहजता से बयां कर दिया आपने।
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इसे आप पहचान पाएंगे? कोशिश तो करिए।
सन 2070 में मानवता के नाम लिखा एक पत्र।
बहुत खूब.
बहुत ही सुन्दर शब्दों के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
भावों का सुंदर चित्रण...सार्थक रचना...बधाई !
यह कविता मैने तो पहली बार पढ़ी
बड़ी खूबसूरती से आपने समझा दिया है कि हम छोटी-छोटी बातों से जीवन के बड़े-बड़े पल नष्ट कर देते हैं।
जीवन के हर पल को यदि खुशी और मुस्कुरा कर जीना चाहते है तो मैं को अपने मन से निकलना ही पड़ेगा मैं और तू एक होने नही देते और लोग प्रेम की एकजुटता में बँध नही पाते..बहुत बढ़िया रचना..बधाई
छोटी छोटी बाते कई बड़े पलो को सन्नाटे में बदल देती हैं ....
बहुत गहरे अर्थ लिए कविता .....!!
"उस सन्नाटे में
कराहते हैं
छटपटाते हैं
और दम तोड़ देते हैं
जीवन के मायने"
सुन्दर अभिव्यक्ति!
Jeevan ka yatharth samete yah adbhut rachna jitni baar bhi padhi jaay purani nahi lagegi...
Kavita ke maadhyam se jo sundar sandesh aapne diya hai,wah yadi log apna len jeevan me to fir kya kahna....
मन को छूती रचना.हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
bahut he sundar kavita hai
इस छोटी सी कविता में जीवन के बड़े ही गूढ़ रहस्य को बखूबी जतला दिया है आपने निर्मला दी ! सोचने, समझने एवं आत्मसात करने लायक बहुत ही प्रेरक कविता ! साभार !
दिल की गहराईयों को छूने वाली एक खूबसूरत, संवेदनशील और मर्मस्पर्शी प्रस्तुति. आभार.
सादर,
डोरोथी.
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