दोहे
सब धर्मों से ही बडा देश प्रेम को मान
सोने की चिडिया बने भारत देश महान ।
शाम तुझे पुकार रही सखियाँ करें विलाप
पूछ रही रो रो सभी कहाँ शाम जी आप ।
दीप जलाये देखती रोज़ पिया की राह
साजन जब आये नही मन से निकले आह
\लिये चलो मन वावरे प्रभु मिलन की आस
छोड न उसका दर कभी बुझ जायेगी प्यास
तिनका तिनका जोड कर नीड बनाया आज
अब इसमे हर रोज़ ही बजें खुशी के साज
लूट लिया इस वक्त ने मेरे दिल का चैन
बिछुडे मीत मिले नही नीर बहें दिन रैन
इस जोगन को छोड कर कहाँ गये घनश्याम
सोने की चिडिया बने भारत देश महान ।
शाम तुझे पुकार रही सखियाँ करें विलाप
पूछ रही रो रो सभी कहाँ शाम जी आप ।
दीप जलाये देखती रोज़ पिया की राह
साजन जब आये नही मन से निकले आह
\लिये चलो मन वावरे प्रभु मिलन की आस
छोड न उसका दर कभी बुझ जायेगी प्यास
तिनका तिनका जोड कर नीड बनाया आज
अब इसमे हर रोज़ ही बजें खुशी के साज
लूट लिया इस वक्त ने मेरे दिल का चैन
बिछुडे मीत मिले नही नीर बहें दिन रैन
इस जोगन को छोड कर कहाँ गये घनश्याम
तुझ दर्शन की प्यास मे ढूँढे चारों धाम
सुगन्ध देखो फूल की सब को रही सुहाय
सीरत हो इन्सान की फूल सा हो सुभाय
सुगन्ध देखो फूल की सब को रही सुहाय
सीरत हो इन्सान की फूल सा हो सुभाय
53 comments:
sabhi dohe ek se badkar ek,
क्या खूब दोहे लिखे हैं!
सभी दोहे बहुत गहरे अर्थों को सामने लाते हैं .....बहुत सुंदर भाव है हर एक दोहे ...आपका आभार
आपके भक्ति भाव को प्रणाम,आपके देश प्रेम को प्रणाम,आपकी इस शानदार प्रस्तुति को प्रणाम.
निर्मल आनंद मिला आपकी भावपूर्ण ,भक्तिमय
अभिव्यक्ति को पढकर.
आप मेरे ब्लॉग पर आईयेगा ,रामजन्म पर दूसरी पोस्ट जारी की है.आपके निर्मल सुविचारों से मै कृतार्थ हो जाता हूँ.भूलिएगा नहीं,प्लीज.
बेहतरीन दोहे रचे हैं .....बहुत सुंदर
निर्मला जी, बहुत अच्छे दोहे हैं, बधाई।
सुंदर दोहे हैं, गागर में सागर।
आभार
जिस तरह के देश के हालात हैं, वहां इनसानों का रहना मुश्किल है तो घनश्याम यहां रहें तो रहें कैसे...
जय हिंद...
सारे दोहे लाजबाब लगे ...
सुन्दर परिकल्पनाएँ खुबसूरत दोहों के रुप में...
bahut sundar abhivyakti liye huye hain dohe..
बढ़िया दोहे!
निर्मला जी, बहुत अच्छे दोहे हैं,
गहन भावों को समेटे बहुत ही अनुपम प्रस्तुति ।
sajan ghar aaye nahi
mann se nikle aah...
mann se nikle aah
sajan ji ghar aao ... nirmala ji , aapki gazal jabardast hoti hai
सभी दोहे शानदार लगे।
बेहतरीन दोहे!!
देश प्रेम और ईश्वर भक्ति के मिले जुले भाव लिए लाजवाब दोहे..
सुन्दर दोहे।
सुन्दर सहज दोहे है। सार्थक!!
सुज्ञ: भगवान रिश्वत लेते है?
देश , प्रेम , प्रभु और प्रकृति का मिला जुला रस बरसाते दोहे ।
बहुत बढ़िया निर्मला जी ।
अच्छे दोहे हैं। सहज,याद रखने योग्य। कहीं संदर्भ दें तो लोग ज़रूर पूछेंगे कि कहां पढ़ा।
बहुत बेहतरीन......
लम्बी प्रतीक्षा के बाद आपकी छोटी और सुन्दर रचना पढने को मिली. इस कोमल और भावमयी प्रस्तुति के लिए आभार निर्मला दी ! मै तो डर ही गया था, 12 अप्रैल की पोस्ट में मोहभंग होने के बारे में जो लिखा था आपने. भयभीत था कि आपकी रचनाओं से वंचित हो जायेंगे. पर खुदा का शुक्र कि आप ब्लॉग पर हैं, और इस वापसी के लिए आपका पुनः आभार निर्मला दी! ........शुभकामनायें.
bahut acchhe gyaanvardhak dohe...raskhan/rahim ke doho ki yaad aa gayi.
बहुत ही सुंदर लगे सभी दोहे जी, धन्यवद
bahut hi gahre bahut hi achchhe dohe..badhai!
---devendra gautam
बहुत ही सुंदर दोहे हैं..
सभी दोहे बहुत सार्थक बने हैं, जीवन का निचोड़।
क्या दोहे रचे हैं. सब एक से बढाकर एक. कुछ को उद्धरण के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है. आपकी सक्षम लेखनी को नमन.
छोड़ न उसका दर कभी बुझ जायेगी प्यास।
..मेरी समझ से जायेगी के स्थान पर पायेगी होता तो अच्छा होता।
आदरणीय दीदी प्रणाम
क्या खूब दोहे कहे हैं आपने| आनंद आ गया|
सभी दोहे बहुत ही सारगर्भित अर्थ लिए हुए हैं...
बहुत सुन्दर, सार्थक एवं गहन भाव लिये सारगर्भित दोहे ! बधाई एवं आभार !
sundar..har doha uttam
गहन भावों को समेटे बहुत ही अनुपम प्रस्तुति| आभार|
नमस्कार
आठों दोहे भावपूर्ण है।
विरह की व्यथा , देश का मान और सार्थक सन्देश भी ...
कम्प्लीट पैकेज!
बहुत सुन्दर, बहुत सार्थक
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत सुन्दर और सार्थक सन्देश देते दोहे ...
आद निर्मला जी बहुत दिनों से इधर आ नहीं पाई ...
बहुत सुंदर दोहे लिखे हैं आपने .....
सब धर्मों से ही बड़ा देश प्रेम को मान .....
वाह ...
सही कहा .....
सार्थक
Itne sundar dohe hain ki kya bataaon ... bahut hi lajawaab ... dil mein utar rahe hain ...
बेहद प्रभावशाली दोहे...
sargarbhit dohe sandesh dete hue badhai
aadarniy mam
bahut bahut hi achhe lage aapke bhav -purn dohe .jisme badi hi sahjta ke saath aapne desh prem,priy milan aue bhakti bhav ki hriday se ukera hai .bahut hi gahn abhivykti liye hoti hai aapki har post .
hardik badhai vsadar naman ke saath
poonam
आह...मन शीतल निर्मल कर गई आपकी यह रचना...
मर्मस्पर्शी...बहुत ही सुन्दर रचना....
खूबसूरत, शानदार, सुन्दर दोहे...
दुनाली पर देखें
चलने की ख्वाहिश...
देश प्रेम ही सवसे बडा धर्म है। दूसरा और तीसरा पद गोपियांे का मार्मिक विरह वर्णन। चौथे पद में प्रभुमिलन की उत्कंठा । जब ये उम्म्मीद जागी कि प्यास बुझेगी तो फिर घोैसला बनाने की इच्छा हुई लंेकिन फिर वही आंसुओं की धार । फिर दर्शन की प्यास में भटकता मन व दृग। और अन्त में मानवजीवन का लक्ष्य बता दिया कि फूल ज्ेौसा स्वभाव हो और सीरत हो। वरना आलम यह है कि -खूब सीरत लडकियां तो घर में बैठी रह गई
-खूब सूरत लडकियों के हाथ पीले हो गये
आठों दोहे भावपूर्ण है।
बहुत सुन्दर रचना....
आदरणीया ललित जी बहुत ही सुन्दर दोहे आप के -भाव पूर्ण -काश आप की निम्न बात पर सब मानव अमल करें तो ये जग सुन्दर हो जाये
सीरत हो इंसान की फूल सा हो सुभाय
शुक्ल भ्रमर ५
बेहतरीन सुन्दर खूबसूरत शानदार
बहुत उत्कृष्ट अभिव्यक्ति.हार्दिक बधाई और शुभकामनायें!
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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