04 March, 2010

गज़ल

इस गज़ल को भी प्राण भाई साहिब ने संवारा है।उनके आशीर्वाद के लिये धन्यवादी हूँ। इसे होली के दिन पोस्ट नही कर सकी। सोचा होली का महौल कुछ दिन और चलता रहे तो अच्छा है।
गज़ल 
आज होली के बहाने से बुलाया था मुझे
गाल छू मेरा गुलाबी सा बनाया था मुझे

भाभियाँ क्या सालियाँ सब ढूँढती इनको फिरें
रंग मेरे साजना ने पर लगाया था मुझे

खूब खेले रंग होली के हमारे सामने
देख सखियाँ शोख मेरी फिर भुलाया था मुझे

काश होली पे न जाते उस गली हम शान से
उस फरेबी ने वहाँ जोकर बनाया था मुझे

उड रहे थे लाल पीले रंग चारों ओर ही
दिन ये खुशियों से भरा उसने दिखाया था मुझे

चाहते थे रंगना हम रंग मे अपने उसे
फेंक कर तीरे नज़र पर बुत बनाया था मुझे

46 comments:

M VERMA said...

चाहते थे रंगना हम रंग मे अपने उसे
फेंक कर तीरे नज़र पर बुत बनाया था मुझे

बुतों की बुतपरस्ती देखिये
मिटा दी मेरी हस्ती देखिये

Arun sathi said...

बहुत सुन्दर रचना।

शरद कोकास said...

रंगपंचमी तक तो होली का माहौल चलेगा ही और यह रंग मे डूबी गज़ल भी ।

Arvind Mishra said...

बहुत बढियां होली गजल

अमिताभ मीत said...

बहुत सुन्दर ग़ज़ल है. वाह !

ताऊ रामपुरिया said...

वाह लाजवाब होली गजल. बहुत शुभकामनाएं.

होली रंगपंचमी तक तो आफ़िशियल चलती ही है. और बाद मे भी किसने रोका है?

रामराम.

Himanshu Pandey said...

जब तक मन रमा रहे फाग-रंग में होली है !
रचना सुन्दर है । आभार ।

Apanatva said...

are nirmala jee bahut badiya gazal hai mazaa aagaya..
are dua hai aapkee har holi aisee yadgar nikle aur hame bhee sunder sunder gazal padane ko mile.......

वाणी गीत said...

चाहते थे रंग में अपने रंगना उसे ...नजरों के फेर ने बुत बना दिया ...
क्या बात है ....बहुत बढ़िया ...
आपको भी बीत चुकी होली की बहुत शुभकामनायें ..देर से ही सही ...:)

अजित गुप्ता का कोना said...

निर्मला जी, क्‍या बात है? होली का रंग चढा है अभी तक? हमारे त्‍योहार होते ही ऐसे हैं कि हर उम्र में सरोबार कर जाते हैं।

दीपक 'मशाल' said...

Achchhi lagi Maasi.. par agar main galat nahin to ise nazm nahin kahenge kya??? saare sher ek hi sandarbh me hain.. kripya, marg darshan karen..
aur aapke samman(Ru-ba-ru) ke bare me jaan kar man khush ho gaya.. :)

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

bahut he badhiyaa aunty ji...

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

बहुत बढियां गजल !

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

जी बहुत सुंदर.

Ria Sharma said...

Holi ke rang aur rumamiyat se bharpoor !!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आपकी ये होली तो बहुत खूब रही....सुन्दर ग़ज़ल..

सदा said...

हर पंक्ति अपने आप में बहुत कुछ कहती हुई, बेहतरीन प्रस्‍तुति, होली की शुभकामनाओं के साथ बधाई ।

Khushdeep Sehgal said...

होली तो हो ली...लेकिन इस रंग भरी फुहार ने एक बार फिर तन-मन भिजो दिया...

जय हिंद...

पवन चंदन said...

हां मजा आ गया गजन पढ़कर
धन्‍यवाद
http://chokhat.blogspot.com/

Amitraghat said...

"गज़ल बहुत ज़्यादा पसन्द नहीं आती क्योंकि इसमे कोमल भावनाएँ होती हैं और वैसे ही शब्द । मुझे सख्त शब्द बेहद अच्छे लगते हैं इसीलिये इस गज़ल में भी जोकर" शब्द ज़्यादा पसन्द आया बाकि गज़ल तो खैर अच्छी थी ही........"
प्रणव सक्सैना amitraghat.blogspot.com

रंजू भाटिया said...

बहुत बढ़िया लगी यह गजल ..

रचना दीक्षित said...

अच्छी प्रस्तुती. ऊपर से तो सभी रंगते हैं पर आपकी ग़ज़ल ने तो अन्दर से भी रंग दिया प्यार के रंग में .

Dev said...

bhetreen rachna ....

दिगम्बर नासवा said...

कोमल एहसास ... कुछ मधुर हास्य, कुछ मनुहार, कुछ खुशियों का इज़हार .... बहुत कुछ है इस प्यारी सी ग़ज़ल में ....

संजय भास्‍कर said...

बहुत बढ़िया लगी यह गजल ..

विनोद कुमार पांडेय said...

बहुत बढियां गजल!!! chahe aap kahani likhe ya kavita dono vidha me behtareen rachanaye hoti hai..mata ji prnaam...

arvind said...

चाहते थे रंगना हम रंग मे अपने उसे
फेंक कर तीरे नज़र पर बुत बनाया था मुझे .
...........बहुत बढियां

Asha Joglekar said...

रंगों के त्यौहार पर ये रंगीन गज़ल, निर्मला जी मजा आ गया ।

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा गज़ल...और फिर प्राण भाई साहब की नज़र से गुजरी गज़लोम के तो क्या कहने!!

डॉ .अनुराग said...

कोमल एहसास .

कडुवासच said...

...बेहतरीन गजल,बधाई !!!

vandana gupta said...

waah .........bahut hi shandar gazal.......holi ke rangon mein bheegi huyi.

डॉ टी एस दराल said...

मजेदार और मनोरंजक भी ।
कहीं इसी को तो हज़ल नहीं कहते निर्मला जी।

अजय कुमार said...

होलीमय गजल शानदार है

Urmi said...

वाह वाह क्या बात है! हर एक पंक्तियाँ लाजवाब है! इस उम्दा रचना के लिए बधाई!

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

मम्मा... बहुत सुंदर ग़ज़ल....

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

वाह्! होली के रंगों से सजी बहुत ही बढिया गजल....आखिर की दो पंक्तियाँ तो कमाल की लगी।
आभार्!

डॉ. मनोज मिश्र said...

चाहते थे रंगना हम रंग मे अपने उसे
फेंक कर तीरे नज़र पर बुत बनाया था मुझे..
बेहद खूबसूरत.

Mithilesh dubey said...

अरे वाह क्या बात मम्मी , आज तो कुछ अलग ही अन्दाज दिखा , बहुत ही उम्दा प्रस्तुति ।

kshama said...

उड रहे थे लाल पीले रंग चारों ओर ही
दिन ये खुशियों से भरा उसने दिखाया था मुझे

चाहते थे रंगना हम रंग मे अपने उसे
फेंक कर तीरे नज़र पर बुत बनाया था मुझे

Nishabd kar diya aapne!

वीनस केसरी said...

और ब्लोगर का कमेन्ट हो रहा है मेरा नहीं ......:(

वीनस केसरी said...

वाह जी जब कमेन्ट करना चाहा तब नहीं हुआ अपना दुखडा गाया तो पब्लिश हो गया :)

चाहते थे रंगना हम रंग मे अपने उसे
फेंक कर तीरे नज़र पर बुत बनाया था मुझे

होली की खुमारी अभी ठीक से नहीं उतारी है और आपकी गजल ने नशा और बढ़ा दिया

बहुत ख़ूबसूरत गजल

रानीविशाल said...

Waah! wakai Gazal behad khubsurat hai ..aur ye baat to ek dum sahi hai ki Rangpanchami tak to abhi holi ki dhoom hai hi......Dhanywaad!!

Sadhana Vaid said...

होली और रंगपंचमी की अशेष शुभकामनाओं के साथ इस बेहतरीन होली गज़ल के लिए मेरा धन्यवाद स्वीकार करें ! आपकी रचना ने तन मन को प्रफुल्लता के रंग से सराबोर कर दिया !

ज्योति सिंह said...

चाहते थे रंगना हम रंग मे अपने उसे
फेंक कर तीरे नज़र पर बुत बनाया था मुझे
bahut sundar rachna ,happy holi

Kulwant Happy said...

चाहते थे रंगना हम रंग में अपने उसे,

फेंक कर तीरे नजर पर बुत बनाया था मुझे



अद्भुत। माँ निर्मल ने शब्दों की रूह डाली, और प्राण जी ने श्रंगार किया होगा है। शब्दों की दुल्हन खूब तैयार हुई है।

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