इस गज़ल को भी आदरणीय प्राण भाई साहिब ने संवारा है। उन का बहुत बहुत धन्यवाद ।
गज़ल
ज़ख़्मी हैं चाहतें, खार सी ज़िन्दगी
क्यों लगे मुझको दुश्वार सी ज़िन्दगी
लाल रुखसार पर प्यारा सा काला तिल
और है प्यारी गुलनार सी ज़िन्दगी
सांवला चेहरा मुस्कराते हैं लब
मांग ले आज उपहार सी ज़िन्दगी
बच के रहना सदा तेज तुम धार से
दोस्तो,ये है तलवार सी ज़िन्दगी
चांदनी रात है मस्तियों से भरी
आज दो एक पल उधार सी ज़िन्दगी
सोएँ फूटपाथ पर जब ठिकाना नही
बद नसीबी भी बेकार सी जिन्दगी
छेद दे नाव को लोग जो हास में
जी रहें सब वे मझधार सी ज़िन्दगी
क्यों लगे मुझको दुश्वार सी ज़िन्दगी
लाल रुखसार पर प्यारा सा काला तिल
और है प्यारी गुलनार सी ज़िन्दगी
सांवला चेहरा मुस्कराते हैं लब
मांग ले आज उपहार सी ज़िन्दगी
बच के रहना सदा तेज तुम धार से
दोस्तो,ये है तलवार सी ज़िन्दगी
चांदनी रात है मस्तियों से भरी
आज दो एक पल उधार सी ज़िन्दगी
सोएँ फूटपाथ पर जब ठिकाना नही
बद नसीबी भी बेकार सी जिन्दगी
छेद दे नाव को लोग जो हास में
जी रहें सब वे मझधार सी ज़िन्दगी
47 comments:
जिन्दगी के इतने सारे रूप ...
बढ़िया चित्रण !
बच के रहना सदा तेज तुम धार से
दोस्तो,ये है तलवार सी ज़िन्दगी
चांदनी रात है मस्तियों से भरी
आज दो एक पल उधार सी ज़िन्दगी ....
बहुत खूबसूरत लगी यह लाइनें,आभार.
बच के रहना सदा तेज तुम धार से
दोस्तो,ये है तलवार सी ज़िन्दगी
चांदनी रात है मस्तियों से भरी
आज दो एक पल उधार सी ज़िन्दगी
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Gazal ke bahane samaj ke sach ko jiti panktiyan..behatrin prastuti !!
nice
जिन्दगी के आयाम को तलाशती गज़ल
सुन्दर
जिन्दगी तेरे रंग हजार.
bahut khub...
सुंदर चित्रण के साथ ...बहुत सुंदर ग़ज़ल....mom ....
bach ke rahna..........talwar si zindgi.
bahut khoob , nirmala ji , sabhi sher umda, badhaai sweekaren.
Bahut acchee lagee aapkee gazal....
बहुत सुन्दर और सटीक रचना लिखी है आपने!
प्रेम दिवस की हार्दिक बधाई!
सुन्दर ग़ज़ल।
बहुत सुंदर.
रामराम.
क्या बात है?
वाह .. बहुत बढिया !!
बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल .... प्राण साहब की रहनुमाई में खिलते हुवे शेर बहुत ही कमाल के हैं ....
zindagi ke sabhi rang undel diye hain ........bahut hi sundar aur manbhavan rachna.
behtareen gazal
वाह जी बहुत सुंछर
जोरदार भाव
अति सुंदर रचना
धन्यवाद
ati sundar rachna..
YE BHI GAZAL SANGRAH KA EK MOTI HO GAYA AAPKE MAASI JI..
CHARAN SPARSH
आप की इस ग़ज़ल में विचार, अभिव्यक्ति शैली-शिल्प और संप्रेषण के अनेक नूतन क्षितिज उद्घाटित हो रहे हैं।
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल।
bahut hi sundar rachana .
हिन्दीकुंज
खूबसूरत ग़ज़ल के माध्यम से जिंदगी के अनेक पहलुओं को उकेरा है....बहुत खूबसूरत ग़ज़ल
अच्छी ग़ज़ल है मैम। बहुत अच्छी ग़ज़ल बनी है और फिर प्राण साब का आशिर्वाद मिला हुआ है तो कुछ भी कहना हिमाकत से कम क्या होगी।
जबरदस्त मतला है। हजारों दाद।
छठे शेर में तनिक भाव स्पष्ट नहीं हो पा रहा कि फुटपाथ पर नहीं सोने को मिलने से जिंदगी बेकार सी क्यों हो और इसी शेर के दूसरे मिस्रा बहर से बाहर जा रहा है। एक बार फिर से दिखा लीजियेगा प्राण साब को। "सच कहूँ मैं इसे बेकार सी जिंदगी" में बेकार का "बे" अतिरिक्त दीर्घ लेकर आ रहा है। मेरे ख्याल से कुछ टाइपिंग की गलती है।
jindgi chahe dushwar,gulnar,talwar ho
jindgi chahe udhar,bekar ya majhdar ho
magar hai to zindgi UPHAAR Na...
bahut se roop zindgi ke. bahut khoob.
अच्छा लगा पढ़कर.
- विजय
बहुत सुन्दर कहन और बहुत सुन्दर गजल
हम सीखने वालों को आपके सीखने के ललक देख कर बहुत कुछ सीखने को मी जता है
मैने भी जिंदगी रदीफ के साथ एह गजल लिखी है पूरी होते ही आप तक पहुचेगी :)
भूल सुधार --
बहुत कुछ सीखने को मी जता है
को
बहुत कुछ सीखने को मिल जाता है
पढ़ें
"लाल रुख़सार पर प्यारा सा काला तिल
और है प्यारी गुलनार सी ज़िन्दगी "-
मुग्ध कर दिया आपने इस शेर से । कितना विशाल अर्थ सँजोये है यह शेर ।
पूरी गज़ल सुन्दर है । आभार ।
बहुत उम्दा........मैम !
सुन्दर भाव लिए बेहतरीन गजल लिखी है आपने शुक्रिया
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल।
MUMMY LAJWAB HO AAP,,,,,,
आपने बड़े ख़ूबसूरत ख़यालों से सजा कर एक निहायत उम्दा ग़ज़ल लिखी है।
आप से हमें सीखने की कला सीखने को मिलती है।
जिंदगी के अलग अलग रूपों का अच्छा चित्रण
गौतम जी बहुत बहुत धन्यवाद मेरी गलती की ओर ध्यान दिलवाने के लिये । अगर अब भी गलत हो तो इसे जरूर सही करें आशा है भविश्य मे भी इसी तरह अपना स्नेह बनाये रखेंगे
सभी पाठकों का धन्यवाद । आप सब मेरी प्रेरणा हैं । कंचन मेरी बेटियां ही मेरी प्रेरणा है तुम और वीनुस तो पहले ही बहुत आगे हैं आप सब को देख कर ही तो मै यहाँ आयी हूं। बस अपना प्यार इसी तरह बनाये रखना। धन्यवाद्
बहुत बढिया रही ये रचना......
आभार्!
आपका आशिर्वाद पाकर गदगद महसूस कर रहा हूं जी
प्रणाम स्वीकार करें
अति सुन्दर ! यथार्थ और भावना का बहुत ख़ूबसूरत सामंजस्य है आपकी इस रचना में | बधाई !
माँ जी क्या कहूँ , इतनी लाजवाब लगी आपकी गजल बस मन भावबिभोर हो गया । हर एक लाईन प्रयोग में लाये गयें हर एक शब्द जैसे बहुत कुछ बयां कर रहे हों , उम्दा ।
सावंला चेहरा मुस्कुराते हैं लब
मांग ले आज उपहार सी ज़िन्दगी
निर्मला जी
नमस्कार
बेहद खुश हूँ ..आपसे पुनः मिलकर
अथाह सुकून ग़ज़ल की इन चाँद पंक्तियों में
सादर
Kya gazab likhti hain aap!
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