गज़ल
इस गज़ल को भी आदरणीय प्राण भाई साहिब ने संवारा है।बेशक अभी गज़ल मे गज़ल जैसा निखार नहीं आया मगर सीखने की राह पर हूँ। आपसब के प्रोत्साहन से और भाई साहिब के आशीर्वाद से शायद कुछ कर पाऊँगी। तब तक पढते रहिये इन को । धन्यवाद्
जो बनाये यूँ फसाने ये जवानी ठीक है क्या
तोड दे जो बाँध सारे,वो रवानी ठीक है क्या।
क्या नहीं था दिल जलाने के लिये यूँ पास मेरे
पर जलाये दिल मेरा तेरी निशानी ठीक है क्या
कह रही है माँ उसे, ससुराल तेरा मायका है
फिर न बेटी बात माने ये सयानी ठीक है क्या
दर्द आहें और गम उसने दिये हैं मुझको लेकिन
याद उसकी लगती है फिर भी सुहानी ठीक है क्या
क्यों करें वो काम जिसमे हो बुराई ही बुराई
बाँध गठरी पाप की सर पर उठानी ठीक है क्या
आदमी की आदमी से दुशमनी का दौर देखो
भूलना चाहें नहीं बातें पुरानी ठीक है क्या
तू बता क्यों है खफा मुझ से ए हमदम
रूठने की बात जो तूने है ठानी ठीक है क्या
तुझ को खामोशी सदा *निर्मल* बडी अच्छी लगे है
पर जुबाँ पर ही रहे उसकी कहानी ठीक है क्या
इस गज़ल को भी आदरणीय प्राण भाई साहिब ने संवारा है।बेशक अभी गज़ल मे गज़ल जैसा निखार नहीं आया मगर सीखने की राह पर हूँ। आपसब के प्रोत्साहन से और भाई साहिब के आशीर्वाद से शायद कुछ कर पाऊँगी। तब तक पढते रहिये इन को । धन्यवाद्
जो बनाये यूँ फसाने ये जवानी ठीक है क्या
तोड दे जो बाँध सारे,वो रवानी ठीक है क्या।
क्या नहीं था दिल जलाने के लिये यूँ पास मेरे
पर जलाये दिल मेरा तेरी निशानी ठीक है क्या
कह रही है माँ उसे, ससुराल तेरा मायका है
फिर न बेटी बात माने ये सयानी ठीक है क्या
दर्द आहें और गम उसने दिये हैं मुझको लेकिन
याद उसकी लगती है फिर भी सुहानी ठीक है क्या
क्यों करें वो काम जिसमे हो बुराई ही बुराई
बाँध गठरी पाप की सर पर उठानी ठीक है क्या
आदमी की आदमी से दुशमनी का दौर देखो
भूलना चाहें नहीं बातें पुरानी ठीक है क्या
तू बता क्यों है खफा मुझ से ए हमदम
रूठने की बात जो तूने है ठानी ठीक है क्या
तुझ को खामोशी सदा *निर्मल* बडी अच्छी लगे है
पर जुबाँ पर ही रहे उसकी कहानी ठीक है क्या
58 comments:
आप अपने प्राण भाई साहब को बहुत कष्ट दे चुकीं :)
अब समय आ गया है कि आप स्वयं ग़ज़ल रच सकती हैं। आप में क्षमता है।
उत्तिष्ठ सर्जना ! अपने को पहचानिए।
बहुत उम्दा निकले हैं सभी शेर,,और फिर प्राण जी का स्नेह..उसका तो कहना ही क्या!
प्रभावित करते शेर सुन्दर प्रस्तुती....
regards
बहुत सुन्दर भाव और उनसे भी सुन्दर अभिव्यक्ति | बधाई और आभार !
जीवन है छोटा, काम बड़े हैं,
तकरार छोड़ मान कर तो देखो,
मुहब्बत के पैगाम के अंजाम बड़े हैं...
जय हिंद...
nice
saare sher apne aap mein mukammil hain..
aur sabhi naayab..
shukriya..
अच्छे भाव, बढ़िया अभिव्यक्ति ! शुभकामनायें !
भाव पुर्ण गजल-शुभकामनाएं
क्या नहीं था यूँ पास मेरे दिल जलने के लिए
पर जलाए दिल मेरा तेरी निशानी ठीक है क्या
बस इतना ही कहूंगा निर्मला जी कि वाह !
har sher umda hai !
bahut pasand aaee aapkee gazal.........
aabhar
बहुत खूब । शानदार रचना के लिये बधाई ।
सुंदर रचना
खूबसूरत भाव किये अच्छी ग़ज़ल ...
क्या नहीं था यूँ पास मेरे दिल जलने के लिए
पर जलाए दिल मेरा तेरी निशानी ठीक है क्या.....
बहुत अच्छी लगी आप की यह गजल.
धन्यवाद
humein to bahut achchhi lagi Gazal
"दर्द आहें और गम उसने दिये हैं मुझको लेकिन
याद उसकी लगती है फिर भी सुहानी ठीक है क्या"
बेहतरीन!
बहुत अच्छे विचार सम्प्रेषित किये हैं गजल के माध्यम से.
very nice composition again!
आपकी इस ग़ज़ल में अच्छे विचारों का प्रवाह हो रहा है. सभी शेर प्रभावशाली हैं.
बहुत बढ़िया गजल ...आभार
बहुत उम्दा. शुभकामनाएं.
रामराम.
poori gazal hi lajawaab hai........aap to ismein parangat ho gayi hain..........badhayi.
"क्यूँ करे वो काम..."और "आदमी की आदमी से..." जैसे बेहतरीन शेरों से सजी आपकी ये ग़ज़ल लाजवाब है...बहुत बहुत बधाई...जिस पर गुरुदेव प्राण साहब का वरद हस्त हो उसकी ग़ज़ल के तो कहने ही क्या...वो तो अलग से ही पहचान में आ जाती है.
लिखती रहें.
नीरज
ऊपर "बेनामी" की बातों से समत नहीं...ग़ज़ल को हमेशा एक उस्ताद की जरुरत होती है।
...और दूसरा रिक्वेस्ट है मैम कि अपनी पोस्टों पे शीर्षक अवश्य डाला कीजिये, जिससे जिन लोगों ने आपके ब्लौग का लिंक लगा रखा है अपने ब्लौग पर उन्हें तुरत पता चल जायेगा कि पोस्ट-मैटर क्या है।
ग़ज़ल पर आते हुये....जब प्राण साब ने खुद संवारी है तो ग़ज़ल लाजवाब होनी ही है। मुश्किल रदीफ़ को बड़ी सहज्ता से निभाया है आपने...और इतने सारे काफ़िये कि उफ़्फ़्फ़्फ़!
एक अच्छी ग़ज़ल के लिये दाद कबूलें!
Gahare bhav se purn gajal bahut achhi lagi..
Sundar prastuti ke liye dhanyavaad.
jo gazal hai aapki ,hum kya kahen uske liye
seekhne ki raah par ho , ye nadaani theek hai kya?
sabhi sher ik ton vad kar ik. badhaai.
मासी, चरणस्पर्श... काफिया, रदीफ़ में बहुत नवीनता लगी और पसंद आये... बेनामी की बात सही लगती है, अब समय आ गया है कि आप बिना किसी की मदद के ग़ज़ल लिखें...
जय हिंद...
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल।
सार्थक पेशकश।
जो बनाये यूँ फसाने ये जवानी ठीक है क्या
तोड दे जो बाँध सारे,वो रवानी ठीक है क्या।
क्या नहीं था दिल जलाने के लिये यूँ पास मेरे
पर जलाये दिल मेरा तेरी निशानी ठीक है क्या
Bahut khoob!
बेहतरीन ...
mushkil bah'r par kasi hui gazal , kuchh she'r nihayat hi khubsurat hain... aur haan benaami ki jarurat.... ? aapke khayaalaat aur soch apke apne hain... jo hameshaa hi mujhe achambhe me daal dete hain... kahan, tazarbaa, nazaakat, uche khayaalaat.. kyaa nahi hai aapke pas ... ke achhi gazal ke liye bahut bahut badhaayee maa.. charansparsh
aapka
arsh
jawani,beti,dard,aur insaniyet
her rishte per likh dali ye gazel
apki zuba par sabke dil ki baate..
aur khud raho khamosh ye theek he kya
बहुत ही बेहतरिन ।
वाह बहुत खूब! सभी शेर एक से बढ़कर एक है! बहुत अच्छा लगा!
उम्दा गज़ल है ।
बढिया गजल पेश कर रही हैं आप । सभी शेर अच्छे लगे ।
बहुत उम्दा किस्म के शेरों के लिये आपकी बधाई...
बहुत बेहतरीन गजल है
पढ़वाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
--वीनस केसरी
बहुत सुन्दर गजल! हर शेर बेहतरीन लगा......
आभार्!
aapka mere blog par aakar prtikriya vyakt karana bahut accha laga...Aabhar!
Rachana aapki bahut sundar hai..bahut gahare bhav hai..badhai!!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
aadarnniye kpila ji ak hakiikat ko sabke samane lana itna aasaan nahi-
aapaneto jindagi ki har pahaluuoo- se -rubru karva diya hai -do baaten meri taraf se bhi - dil ki kahani jubbbbban tak na aaye ye to maan liya
par ghavon se dilon ko bharte rahana bhi thiik hai kya.
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
शुभकामनाएँ!
A very beautiful gazal
Asha
दर्द आहें और गम उसने दिये हैं मुझको लेकिन
याद उसकी लगती है फिर भी सुहानी ठीक है क्या
achchi rachna
बहुत अच्छे भाव और उम्दा सीख देते हुवे है सारे शेर ..... जीवन की सच्चाइयों को बतलाने का अंदाज़ बहुत अच्छा है ..... और आदरणीय प्राण साहब की रहनुमाई तो किस्मत वालों को मिलती है ....... पूरी ग़ज़ल लाजवाब बन पड़ी है ...
बहुत सुन्दर भाव और उनसे भी सुन्दर अभिव्यक्ति | बधाई और आभार !
namaskar mummy ji..
जो बनाये यूँ फसाने ये जवानी ठीक है क्या
तोड दे जो बाँध सारे,वो रवानी ठीक है क्या।
bahut hi laazwaab gazal ,har sher par waah kah gaye
निर्मला दी,
बड़ी प्यारी ग़ज़ल लगी आपकी. पहले दो शेर तो बहुत ही सुन्दर बन पड़े हैं. अत्यंत सुन्दर.....और अंतिम शेर तो दिल से बात करता हुआ प्रतीत हुआ...साधू
सादर,
सुधीर
ख़ामोशी अच्छी लगी या जुबां पर कहानी ....
जलाये दिल मेरा तेरी निशानी ठीक है क्या ...
बिलकुल नहीं ...
ग़ज़ल अच्छी लगी ...
बहुत सुंदर ग़ज़ल
हर शेर खूबसूरत
दर्द आहें और गम उसने दिये हैं मुझको लेकिन
याद उसकी लगती है फिर भी सुहानी ठीक है क्या
क्या नहीं था दिल जलाने के लिए यूं पास मेरे
पर जलाए दिल मेरा तेरी निशानी, ठीक है क्या
एक ऐसा ला-जवाब शेर कहा है आपने
जिस पर जितना भी तब्सिरा किया जाए,,,कम है
ग़ज़ल की रवायत को
पूरी तरह से निभाते हुए भी
संजीदा बात को
कितनी आसानी और साफगोई से
कह दिया है आपने ...... वाह !!
पूरी ग़ज़ल दिल को लुभाती है
हर कसौटी पर ख़री है, पुख्तगी भी खूब, लेकिन
खुद को कहते हो अधूरा, ये कहानी ठीक है क्या
अभिवादन स्वीकारें .
ਰਚਨਾ ਚੰਗੀ...ਤੇ ਟਿੱਪਣੀ ਨਾ ਦੇਵਾਂ
ਇਹ ਬੇਈਮਾਨੀ ਠੀਕ ਹੈ ਕੀ।
नीचे से दूसरा ,तीसरा और चोथा शेर मुझे कुछ ज्यादा ही अच्छे लगे..
मुफलिस जी ने सत्य कहा है
"
हर कसौटी पर ख़री है, पुख्तगी भी खूब, लेकिन
खुद को कहते हो अधूरा, ये कहानी ठीक है क्या
"
क्या नहीं था दिल जलाने के लिए यूं पास मेरे
पर जलाए दिल मेरा तेरी निशानी, ठीक है क्या
क्या बात कही है...बहुत ही उम्दा ग़ज़ल...बहुत खूब..
आदमी की आदमी से दुशमनी का दौर देखो
भूलना चाहें नहीं बातें पुरानी ठीक है क्या
...Bahut khubsurati se likha apne...badhai.
सब कुछ ठीक ही है।
Is khubsurat gazal ke liye abhinandan. aap mere blog aayi aur ek achhi si tippani de gayi abhar. shubhakamanayen!
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