05 June, 2009

पेडों से सीखो (कविता )

वो आदमी से शिकायत नहीं करते
होती हैं उनको भी कुछ परेशानियाँ
मगर आपस मे बाँट लेते हैं जब
सडक के दोनो तरफ मिलती हैं
पेडों की टाहनियाँ
अगर चाहो तो सडक से पूछो
उनके धैर्य की कहानियाँ
देते हैं अपनी छाँव मे
मुसाफिरों को आसरा
फल फूल ताज़गी का
देते हैं वास्ता
ना कोई करे उन को
बे वजह से हानियाँ
रास्ते से पूछो
उन के धैर्य की कहानिया
शाखाओँ मे ले कर जज़वात
कर लेते हैं आपस मे बात
क्या कहे आदमी से
करता है उनसे नादानियाँ
उस रास्ते से पूछो
इन के धैर्य् की कहानिया
तुम और मै ये और वो
सब से वो करते हैं प्यार
फल फूल और धान वो
देते हैं हमे अपार
जलाने को ईँधन देते
करते हैं धरती का शिँगार
बस पतझड मे माँगतेहैं
थोडी सी मेहरबानियाँ
उस रास्ते से पूछो उनके
धैर्य की कहानियाँ

तुम भी फर्ज़ों को जड बना लो
जज़्बातों को टाहनियाँ
प्रेम भाव की छाँव मे
छोड जाओ निशानियाँ


16 comments:

जयंत - समर शेष said...

Bahut sundar.
Pedon se to sadaiv seekhaa jaa sakataa hai.

~Jayant

रावेंद्रकुमार रवि said...

सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई!

श्यामल सुमन said...

आपके भाव को शब्द बोल रहे हैं। उचित समय पर उचित पोस्ट।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

ओम आर्य said...

aap bahut gaharaaee me uatarkar apane bhaawo ko shabda diye hai...bahut sundar

admin said...

काश, हममें इतनी तो गैरत होती।

-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...
This comment has been removed by the author.
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...
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Anonymous said...

बहुत ही गहरे भाव, भावपूर्ण प्रस्‍तुति के लिये

बधाई

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

पर्यावरण बचाना है तो, पेड़ लगाने ही होंगे।
नये-नये पौधे, धरती पर उपजाने ही होंगे।।

Anonymous said...

कविता तो शानदार है, पेड़ों का हम पर उपकार है.
ऐसी कविता और पेड़ों को, नमन बारम्बार है.......

साभार
हमसफ़र यादों का.......

अनिल कान्त said...

bahut bahut bahut behtreen post hai aaj ki
bahut achchhi lagi

समयचक्र said...

बहुत बढ़िया पोस्ट.धन्यवाद

पर्यावरण की सुरक्षा का संकल्प ले.

Vinay said...

मनमोहक रचना

vandana gupta said...

vishwa paryavaran diwas par bahut hi badhiya rachna likhi .prernadayak.

P.N. Subramanian said...

paryavaraN diwas पर इतनी sundar rachna के लिए abhar

Unknown said...

पर्यावरण प्रदूषण एवं हमारा दायित्व
5 जून 2013, लोकताक पावर स्टेशन, मणिपुर
एक मशहूर हॉलीवुड फिल्म में कही गई हैं “बड़ी शक्ति के साथ आति हैं बड़ी जिम्मेदारी”। हम इंसान इस धरती पर सबसे बुध्यिमान प्राणी हैं। हम अपनी बुद्धि और ताकत से बाकी जीब जन्तु, पेर पौधे और सारी विश्व को प्रभाबित करते हें। इसी ताकत के अभिमान में कभी कभी हम भूल जाते हें पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी। अपनी लोभ के लिए हम खुदकी फैलाई हुई प्रदूषण से घटी क्षति को अनदेखा कर देते हें। प्रगति के नाम पर घटी इस अपराध के कारण आज हमारा वर्तमान फंसा हें बिनाश के दलदल में। फैली हें कितनी ही जानलेवा बीमारी, हुयी है प्राकृतिक सम्पदा में अभाव, प्राणीओं के अवलुप्ति, आबोहवा में अननुमेय बद्लाव। इस समय मौन रहना और चुपचाप सब कुछ सहना कायरता हैं। अब समय आगया है की हम समझे हमारा उत्तरदायित्व।
इतिहास गवाह हें, जब जब मानव सभ्यता प्रदूषण के चपेट में आई हें, बिज्ञान ने हमें राह दिखाई हें। जब घोरों और बैलों पर बरने लगी अत्याचार, मोटर-गाड़ी से मिली राहत। जब हर घर में कोयलें की धुएँ से दम घुटने लगे, गैस और बिजली ने हमें राहत की साँस दी। बिज्ञान नें हमें सिखाया कम से कम प्रदूषण फैलाए पानी से कैसे बिजली मिल सकता हैं। भारत में जल विद्युत विकास के लिए एनएचपीसी लिमिटेड सबसे बड़ा संगठन हें। एनएचपीसी परिवार के सदस्व होने के नाते पर्यावरण को सवरने के लिए हम अमूल्य योगदान दे सकते हैं।
समझदारी और जिम्मेदारी से यह काम करना हमारा दायित्व हे जो हम बखूबी निभा रहे हें। बाँध बनाते समय और सुरंग खोदते समय हम ध्यान देते हें की पर्यावरण को कम से कम नुकसान हो। एनएचपीसी लिमिटेड देश में पवन ऊर्जा एवं टाइडल परियोजनाएं बनाने की भी योजना बना रही है। जैसे जैसे हम नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन बढ़ाते जेएंगे, दुर्लभ ईंधन भण्डारों की बचत होगी और प्रदूषण रहित होने के कारण पर्यावरण सुरक्षित रहेगी।
एनएचपीसी बृक्षारोपण करके कई इलाक़ा को हरिभरी की हें। वर्षाजल संग्रहण , ऊर्जा बचत जैसे पर्यावरण हितैषी कामों में अग्रणी रहा हें। इंटरनेट द्वारा बिलों का भुगतान करके और आन-लाईन काम करके हम कागज की बचत करते हें। इससे पेड कटने से बच रहे हैं।
निजी जिंदेगी में हमें पानी और बिजली की बचत के प्रति सचेत रहना होगा। तभी हम अपने और अपने बच्चों के लिए वर्तमान के साथ साथ आनेवाले काल भी खुशहाल बना सकते हें।

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