(कविता )
याद आये
फिर देख आये उन गलियों को
कुछ घाव पुराने याद आये
बीते हुये कल के झरोखों से
कुछ ख्वाब सुहाने याद आये
पहले भी ना भूले थे वो कभी
अब रोने के बहाने याद आये
अपने ही घर से बेघर जो किया
अपनो के नज़राने याद आये
उन भूले बिखरे रिश्तों के
दिलखौफ विराने याद आये
दिल मे इक हसरत बाकी है
उन्हें पिछले जमाने याद आये
कभी खून से खून जुदा न हो
फिर मिलने के बहाने याद आये
फिर देख आये उन गलियों को
कुछ घाव पुराने याद आये
बीते हुये कल के झरोखों से
कुछ ख्वाब सुहाने याद आये
पहले भी ना भूले थे वो कभी
अब रोने के बहाने याद आये
अपने ही घर से बेघर जो किया
अपनो के नज़राने याद आये
उन भूले बिखरे रिश्तों के
दिलखौफ विराने याद आये
दिल मे इक हसरत बाकी है
उन्हें पिछले जमाने याद आये
कभी खून से खून जुदा न हो
फिर मिलने के बहाने याद आये
21 comments:
मनोभाव की सुन्दरता स्पष्ट दिखती है
WAAH BAHOT KHUB BHAV KA PADARPAN HAI... GUSTAAKHI MAAG AGAR HO TO...
KUCHH TERE THIKAANE YAAD AAYE..
KUCHH APNE FASAANE YAAD AAYE ...
BAATEN YE TAZARBAAKAARI KEE ..
LORI KE BAHAANE YAAD AAYE ...
ARSH
vah arsh ab to bete ko guru bhee banana padegaa kya baat hai bahut sunder aur achha laga lekin tum jesi shayar to nahin hoon na is liye mai ye tumhare jese she ar kese likh sakti thi shukria
kavita ji aap hamesha hi bahut hi accha likhti hai aapke lekhan par koi comment ho hi nahi sakta par apni pasand ko jahir karna bhi to jaruri hai aap ne utha ke yek dam purani yaado me fek diya
behtreen
बहुत अच्छी और अलग सा भाव लिए लगी आपकी रचना....!मेरी शुभकामनायें...
mujhe bahut achchhi lagi
bhaut pyari rachna hai...
फिर देख आये उन गलियों को
कुछ घाव पुराने याद आये
लाजवाब .........मन को छूकर गुज़र गयी....अक्सर पुरानी यादें, पुरानी गलियाँ मन को उदास कर जाती
yaadein aisi hi hoti hain.
बहुत सुन्दर गीत है।बधाई स्वीकारें।
बहुत अच्छी कविता है. मन और उस से जुड़े भावना का यतार्थचित्रण बहुत पसंद आया
कितनी मन मोहक है आप की रचना.इतने कम शब्दों में इतना सारा कह जाते हैं. आभार
दिल की आवाज है आप की यह कविता, अति सुंदर भाव.
धन्यवाद
अपने ही घर से बेघर जो किया ।
अपनों के नजराने याद आये ।।
बहुत ही सुन्दर रचना . . .
बधाई ।
आप जो भी लिखती है .......उसमे गहराई बहुत होती है......बधाई
बहुत सुन्दर लगी आपकी यह रचना ..अर्श जी ने और भी सुन्दर पंक्तियाँ जोड़ दी इस में
निर्मला कपिला जी।
आपकी कविता की हर पंक्ति अनमोल है।
बधाई।
छोटी बहर में सहज शब्दों के प्रयोग के साथ ग़ज़ल लिखने का ये अच्छा प्रयास है।
पहले तो आप का शुक्रिया मैम कि तारिफ़ों से नवाजा मुझे, जिसका उतना हकदार नहीं मैं।
और फिर ये अद्भुत रचना पर ढ़ेरों बधाई..ये दो मिस्रे बेहद भाये "उन भूले बिखरे रिश्तों के
दिलखौफ विराने याद आये"
कुछ घाव पुराने याद आये,
रोने के बहाने याद आये,
दिलखौफ विराने याद आये,
मिलने के बहाने याद आयेबहुत सुन्दर रचना!
yaad aaye k maadhyam se aapne samooche antarman ko khol kar rakh diya hai
IS UMDA RACHNA K LIYE BADHAI !
jai ho !
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