11 February, 2009


गज़ल

सितम सहने की आदत डाल ली
कुछ ना कहने की आदत डाल ली

दुनिया आग को हवा देती है
दरिया सी बहने की आदत डाल ली

तकरार से फासले नहीं मिटते
खामोश सहने की आदत डाल ली

ज़िन्दगी की हर डगर पर यारो
चलते रहने की आदत डाल ली

दिल में छुपाये फिरते हैं दर्द हम
पर हंसते रहने की आदत दाल ली

कौन किसी का हमदर्द है जहाँ मे
दिल की दिल से कहने की आदत डाल ली

16 comments:

नीरज गोस्वामी said...

तकरार से फासले नहीं मिटते
खामोश सहने की आदत डाल ली

बेहतरीन ग़ज़ल...बधाई....

नीरज

Mohinder56 said...

बहुत अच्छे ख्यालात का मुजाहरा किया है आपने अपनी गजल मैं

दुनिया आग को हवा देती है
दरिया सी बहने की आदत डाल ली

तकरार से फासले नहीं मिटते
खामोश सहने की आदत डाल ली

दिल में छुपाये फिरते हैं दर्द हम
पर हंसते रहने की आदत दाल ली

जिन्दगी में सकूं के लिये यह जरूरी है..

कंचन सिंह चौहान said...

दुनिया आग को हवा देती है
दरिया सी बहने की आदत डाल ली

bahut achchhe....!

mehek said...

ek behtarin gazal waah lajawaab sher hai saare ,aafrin

Vinay said...

अच्छा लिखा है लेकिन शायद इक जगह डाल का दाल हो गया, सही कर लें!

---
गुलाबी कोंपलें

P.N. Subramanian said...

"दिल से कहने की आदत डाल दी" तसल्ली तो इसी में है. बहुत बढ़िया लिखा है. आभार.

अविनाश said...

सितम सहने की आदत डाल ली
कुछ ना कहने की आदत डाल ली

दिल को छूने वाला ग़ज़ल, एक सुंदर और सफल प्रयास के लिए बधाई.
धन्यवाद

http://avinash-theparaiah.blogspot.com/

पारुल "पुखराज" said...

दुनिया आग को हवा देती है
दरिया सी बहने की आदत डाल ली..bahut khuub

vandana gupta said...

bahut sundar gazal hai.........har sher dil ko chhone wala aur aakhiri sher to gazal ki jaan ban gaya hai.

रंजना said...

तकरार से फासले नहीं मिटते
खामोश सहने की आदत डाल ली

बहुत सही बात.

बहुत लाजवाब ....बेहतरीन ग़ज़ल है...बधाई....

Unknown said...

बेहतरीन ग़ज़ल के िलए बधाई

शोभित जैन said...

तकरार से फासले नहीं मिटते
खामोश सहने की आदत डाल ली...

वाह वाह,
हमारी तारीफ को रसम-ऐ-टिपण्णी न समझो...
लिखते लिखते आपने अच्छा लिखने की आदत डाल ली.....

Anonymous said...

दिल में छुपाये फिरते हैं दर्द हम
पर हंसते रहने की आदत डाल ली.

बेहतरीन !!!

●๋• लविज़ा ●๋•

राज भाटिय़ा said...

तकरार से फासले नहीं मिटते
खामोश सहने की आदत डाल ली
बहुत खुब, अति सुंदर लगी आप की यह गजल.
धन्यवाद

पूनम श्रीवास्तव said...

Respected Nirmalaji,
vaise to pooree gazal hee umda hai ..par ye line
दुनिया आग को हवा देती है
दरिया सी बहने की आदत डाल ली
bahut jyada arthpoorna hain.badhai.
Poonam

निर्झर'नीर said...

ek sundar saral bhaavpoorn
purmaani rachna

yakinan kabil-e-tariif
bandhaii swikaren

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