जब उनके जीने का हम मकसद हुआ करते थे
हर खुशी के मेरे दर पे दस्तक हुआ करते थे
लोग देते थे मिसाल हमारी दोस्ती की अक्सर
हमारी दोस्ती लोगों के सबक हुआ करते थे
पीने का कोइ ना कोइ सबब आ ही जाता था
जब सीधे मयखानेमे हमकदम हुआ करते थे
कितनी सहज हो जाती थी राहें अपनी
उनकी उल्झन का हम हल हुआ करते थे
वो दिन भी क्या दिन थे बहारें ही बहारें थी
उनके साथ गली कूचे गुलशन हुआ करते थे
फिर उन वफाओं को किस की नजर लग गयी
क्यों दुश्मन बन गये जो दोस्त हुआ करते थे
मुझे सामने देख कर भी अजनबी बने रहते हैं
जो लाखों मे मुझ से हमनजर हुआ करते थे
इन बादलों के बरसने अर भी नजर नहींेआते
जो बहक जते थे जैसे बादल हुआ करते थे
पाक दोस्ती का तकाज़ा है वो आयेंगे कभी जरूर
अभी सितारे गर्दिश मे हैं जो रहमते नजर हुआ करते थे !!
14 comments:
बहुत ही सुन्दर रचना
---मेरे पृष्ठ
गुलाबी कोंपलें | चाँद, बादल और शाम | तकनीक दृष्टा/Tech Prevue | आनंद बक्षी | तख़लीक़-ए-नज़र
कितनी सहज हो जाती थी राहें अपनी
उनकी उल्झन का हम हल हुआ करते थे
" वाह कितने सुकून भरी हैं ये पंक्तियाँ....किसी की उलझन का हल बन जाना सच मे कितना मुश्किल भी है मगर कितना दिलकश भी है.."
Regards
इन बादलों के बरसने अर भी नजर नहींेआते
जो बहक जते थे जैसे बादल हुआ करते थे
bahut hi khubsurat panktiyan hain.
poori rachna pasand aayi-
[kripya word verification hata lijeeye..comment post karne mein bahut tang karta hai]
अच्छे उपमानों से सजी हुई गजल। आभार।
मुझे सामने देख कर भी अजनबी बने रहते हैं
जो लाखों मे मुझ से हमनजर हुआ करते थे
बहुत सुंदर लगी यह पंक्तियाँ
bouth he aache gazal the good going
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गजल का अंदाजे बयां बहुत खूबसूरत है ।
आप की रचना में बहुत खूबसूरत भावः पिरोये गए हैं लेकिन इसे ग़ज़ल कहना ठीक नहीं क्यूँ की ग़ज़ल के लिए जरूरी काफिये का इसमें अभाव है आपने रदीफ़ तो "हुआ करते थे" चुना है लेकिन काफिये ग़लत हो गए हैं... रदीफ़ से पहले काफिया आता है जो की एक तुक में शब्द होने चाहियें...लिखती रहें ये सब धीरे धीरे आ जाएगा...मेरी बात बुरी लगी हो तो क्षमा करें...
नीरज
कितनी सहज हो जाती थी राहें अपनी
उनकी उल्झन का हम हल हुआ करते थे
वो दिन भी क्या दिन थे बहारें ही बहारें थी
उनके साथ गली कूचे गुलशन हुआ करते थे
bas achchi lagi .badhai
सुन्दर रचना बधाई
behad khubsurat gazal tarashi hai alfazon se sundar
फिर उन वफाओं को किस की नजर लग गयी
क्यों दुश्मन बन गये जो दोस्त हुआ करते थे
bahut hi sundar gazal hai..
bahut-2 badhayi........
बहुत ही सुन्दर रचना
Respected Nirmala ji,
Bahut bhav poorna rachna ke liye badhai sveekar karen.
Poonam
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