08 January, 2009

जिन्दगी आदमी से सवाल करने लगी है
नये दौर पे मलाल करने लगी है
खो गयी वो हंसी खो गयी चाहतें
रोजी रोटी बेहाल करने लगी है
चलने लगी हवस की आन्धियां
बेटी डर बाप से फिलहाल करने लगी है
घर में बंट गये बेटों के कमरे
मैं किसके हिस्से मे हूं
मां सवाल करने लगी है
जिन्दा इन्सान को मुर्दा साबित कर दे
ये रिश्वत क्माल करने लगी है
दौलत की भूख से परेशान दुनिआ
आदमी के गुर्दे हलाल करने लगी है
कौन किस से किस की शिकायत करे
जिन्दगी खुद पर मलाल करने लगी है

14 comments:

Rinku said...

bahut badhiya blog hai aapka.
lage rahiye.
njoyyyyyyyyyy

hem pandey said...

मैं गजल के सबसे अच्छे शेर को उद्धृत करना चाहता था. लेकिन सारे ही शेर अच्छे लगे और सबसे अच्छा छांटना मुश्किल हो गया. वैसे सारी गजल का सार पहले ही शेर में आ गया है:

जिन्दगी आदमी से सवाल करने लगी है
नये दौर पे मलाल करने लगी है

- एक और अच्छी प्रस्तुति के लिए साधुवाद.

विधुल्लता said...

कौन किस से किस की शिकायत करे
जि मलाल करने लगी है न्दगी खुद पर
sundar...

Dr. Amar Jyoti said...

बहुत ही सामयिक और प्रासंगिक प्रश्न उठाए हैं आपने।
बधाई।

Unknown said...

bahut acchi lagi gazal .........

word verification hata den...comment karne main aasaan ho jaayega..

P.N. Subramanian said...

"जिंदगी आदमी से सवाल करने लगी है" आदमी ही अपनी ज़िंदगी को हलाल करने पे तुला है. बहुत खूब लिखी. आभार.
एक बात और कहनी थी. आपके ब्लॉग पर टिप्पणी देने के लिए "वर्ड वेरिफिकेशन" का प्रावधान बना हुआ है. यह अनुत्पादक है. इससे लोगों को परेशानी होती है. कृपया अपने सेट्टिंग्स में जाकर इस प्रावधान को हटा दें.

राज भाटिय़ा said...

चलने लगी हवस की आन्धियां
बेटी डर बाप से फिलहाल करने लगी है
घर में बंट गये बेटों के कमरे
मैं किसके हिस्से मे हूं
मां सवाल करने लगी है
आप ने बिलकुल सच लिख दिया है अपनी इस कविता मै, बहुत सुंदर.
धन्यवाद

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सुन्दर और सटीक लिखा आपने. शुभकामनाएं.

रामराम.

एक स्वतन्त्र नागरिक said...

अच्छी रचना है बस कृपया शीर्षक में gajal के स्थान पर gazal कर दे तो उच्चारण की दृष्टि से सही हो जाएगा.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World said...

ये रिश्वत क्माल करने लगी है
दौलत की भूख से परेशान दुनिआ
आदमी के गुर्दे हलाल करने लगी है
....bahut khub.

cg4bhadas.com said...

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाए, अलविदा २००८ और
2009 के आगमन की हार्दिक शुभकामनायें स्‍वीकार करे,
Welcome to the Cg Citizen Journalism
The All Cg Citizen is Journalist"!

cg4bhadas.com said...

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाए, अलविदा २००८ और
2009 के आगमन की हार्दिक शुभकामनायें स्‍वीकार करे,
Welcome to the Cg Citizen Journalism
The All Cg Citizen is Journalist"!

निर्झर'नीर said...

sundar chintan.
yakinan roshni ki jarurat hai aaj samaj koo
aapke vichar roshn karenge andhere raston ko

Atul Sharma said...

रिश्‍तों की यही है कहानी
कभी चेहरे पे मुस्‍कुराहट
कभी आंखों में पानी!!
(रिश्‍तों के इसी झंझावात को आप मेरी कविता ‘रिश्‍ते’ में भी महसूस कर सकते हैं)
सादर सहित
........... अतुल

पोस्ट ई मेल से प्रप्त करें}

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner