श्री नवीन चतुर्वेदी जी के ब्लाग -- http://samasyapoorti.blogspot.com/ दोहा के बारे मे पढा तो सोचा यहाँ भी हाथ आजमा लिया जाये। पहली बार दोहे लिखे हैं। सही गलत आप लोग देख लें।
दोहे
1
जीवन मे माँ से बडा
और नही वरदान
माँ चरणों की धूल ले
खुश होंगे भगवान।
2
भारत की गरिमा बचा
कर के सोच विचार
भगत सिंह,आज़ाद का
सपना कर साकार
3
वेद पुराण भुला दिये
भूले सच्चे ग्रंथ
भाँति भाँति के संत हैं
भाँति भाँति के पंथ
4
मीरा बोली साँवरे
कर जोगन से प्रीत
इन चरणों मे शरण दे
निभा प्रेम की रीत
5
गुस्सा अपना पी लिया
शिकवा था बेकार
बढ ना जाये फिर कहीं
आपस मे तकरार
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1
जीवन मे माँ से बडा
और नही वरदान
माँ चरणों की धूल ले
खुश होंगे भगवान।
2
भारत की गरिमा बचा
कर के सोच विचार
भगत सिंह,आज़ाद का
सपना कर साकार
3
वेद पुराण भुला दिये
भूले सच्चे ग्रंथ
भाँति भाँति के संत हैं
भाँति भाँति के पंथ
4
मीरा बोली साँवरे
कर जोगन से प्रीत
इन चरणों मे शरण दे
निभा प्रेम की रीत
5
गुस्सा अपना पी लिया
शिकवा था बेकार
बढ ना जाये फिर कहीं
आपस मे तकरार
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54 comments:
एक से एक उम्दा दोहों की रचना की है निर्मला जी. बहुत बधाई.
सारे दोहे अच्छे बन पड़े हैं। आखिरी वाला अधिक पसंद आया।
बहुत जानदार दोहे हैं कपिला जी!...बधाई स्वीकार करें
aisi rachnaaon ko course me dena chahiye , sprasang vyakhya ke antargat ye dohe aate hain ... inke saar tatv amulya hain
जीवन के विविध भावों से ओत प्रोत आपके यह दोहे सराहनीय हैं
बहुत ही प्रेरणादायी दोहे ।
दोहे अच्छे हैं।
बहुत ही प्रेरक दोहे। आभार निर्मला दीदी।
भावपूर्ण और अर्थपूर्ण दोहे लिखे हैं आपने। आभार।
वेद पुराण भुला दिये,भूले सच्चा ग्रन्थ
भांति भांति के संत हैं, भांति भांति के पंथ !
बहुत ही सुन्दर, सामयिक दोहे कहे है आपने !
एक से बढ़कर एक !
आभार !
sundar dohe,
ek se badkar ek
बहुत अर्थपूर्ण दोहे ....एक से बढ़कर एक..... आभार
बहुत ही प्रभावशाली दोहे है ~ सार्थक एवं भावपूर्ण ।
आभार निर्मला दी ।
" सितार कहूँ क्यूँ चाँद है तू मेरा..........गजल "
वाह सुंदर
आनन्द आ गया. बहुत बढ़िया दोहे हैं..
बहुत ही अच्छे दोहे हैं ....।
बचपन मैं तो दोहे के नाम से बुखार आ जाता था, रटने पड़ते थे लेकिन आज आप के यह दोहे पढ़ के बहुत ख़ुशी हुई.
di kya baat hai, kuchh din pahle hi aapne haiku likha tha..........ab dohe...:)
har vidha me parangat ho aap:)
वाह वाह बहुत ही अर्थपूर्ण और प्रेरक दोहे लिखे हैं…………सभी एक से बढकर एक हैं।
निर्मला जी, दूसरा और तीसरा दोहा बहुत पसंद आया ! शुक्रिया !
बहुत बढ़िया हाथ आजमाया है. ऐसी आजमाईश जारी रहनी चाहिए. सभी दोहे अच्छे बन पड़े हैं और जुबां पर चढ़ते हैं. आखिर वाला दोहा कुछ ज्यादा ही सटीक लगा -
गुस्सा अपना पी लिया
शिकवा था बेकार
बढ ना जाये फिर कहीं
आपस मे तकरार
बहुत बधाई - शुभ कामनाएं
बहुत सुन्दर दोहे और यदि पहली बार लिखें हैं तो बहुत उत्तम प्रस्तुति. बधाईयां...
वाह वाह, वाह जी वाह !
सभी दोहे परफेक्ट और अति सुन्दर भावपूर्ण ।
सभी दोहे एक से बढ कर एक जी, धन्यवाद
निम्मो दी!
मैं तो कह ही नहीं सकता कि कौन सा अच्छा था और कौन सा बहुत अच्छा... आप इसको हाथ आजमाना कहती हैं!!!! ये तो मँजे हुये हाथों का कमाल है!!
निर्मला जी, बहुत ही अच्छे दोहे हैं.
वाह उस्ताद जी आप इतने दिनो बाद आये/ मै तो कितने दिनो से याद कर रही थी
आपको दोहे अच्छे लगे तो मेरा हाथ आजमाना सफल हो गया। सभी को बहुत बहुत धन्यवाद।
भावपूर्ण और अर्थपूर्ण दोहे लिखे हैं बधाई स्वीकार करें
सभी दोहे बहुत सुन्दर और प्रेरक..आख़िरी दोहे का कोई ज़वाब नहीं..
आपका लेखन हमेशा ही उम्दा रहा है निर्मला दी. क्या ग़ज़ल, क्या कहानी, क्या हाइकू, क्या कविता. और अब दोहे....... बेहतरीन ! निर्मला दी, बेहतरीन !!
कमाल के दोहे हैं निर्मला जी!
सारे दोहे बहुत ही प्रेरक व भावपूर्ण हैं... सार्थक अभिव्यक्ति के लिए आभार..
बहुत ही प्रेरणादायी दोहे
सभी दोहे बहुत उपयोगी हैं!
तीसरा दोहा एक नम्बर का।
बहुत ही सुंदर दोहे.
रामराम.
गुस्सा अपना पी लिया शिकवा था बेकार ..
कभी-कभी गुबार निकला भी करो सरकार !
भांति भांति के संत भाँती भांति भांति के पंथ
रहिमन इस संसार में भांति भांति के लोग !
आभार !
बेहतरीन दोहे!!
सही एक भी नहीं है जी, सारे बहुत बहुत बहुत सही हैं, एक से बढ़कर एक और प्रेरक।
आभार स्वीकार करें।
बहुत खूब लिखा आपने अब तो हम भी कह सकते है की आप ग्रेट हो ..........
सही रास्ता दिखाने वाले दोहे
बहुत ज्ञान की बाते कही आपने ।
गुस्सा अपना पी लिया
शिकवा था बेकार
बढ ना जाये फिर कहीं
आपस मे तकरार
बहुत अर्थपूर्ण दोहे ....एक से बढ़कर एक.
har doha behad sundar hai.
आदरणीया मौसी निर्मला कपिला जी
सादर सस्नेहाभिवादन !
प्रणाम !!
अब दोहे भी … !?
बहुत ख़ूब ! बहुत ख़ूब !
कथा लिखी , ग़ज़लें लिखीं , लिखे हाइकू , गीत !
सभी विधाओं के किले , लिये आपने जीत !!
:) क्या कहने है आपके … पहली बार में ही मैदान फतह …
हर दोहा है पूर्ण भी , रोचक भी ! आभार !
कपिला जी दिखला रहीं , रूप नया हर बार !!
बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
suner dohe
Nirmala ji
aapko bahut bahut badhayi in arthpoorak dohon ko hamare paath ke liye prastut karne ke liye..
ek ek doha margdarshan karwata hai..lajawaab
Bahut hee sashakt dohe hain!Bada achha laga padhke!
बहुत खूब ...बहुत बढ़िया प्रयास !
शुभकामनायें आपको !!
दोहे बहुत अच्छे लगे |बधाई
आशा
१००% सफल रहीं आप......बहुत ही सुन्दर बन पड़े हैं सभी दोहे....
बहुत जानदार दोहे हैं.
मैंने अभी इसमें से दो दोहे अपनी बहन को एस.एम्.एस के जरिये भेजे हैं :)
उसका जवाब अभी आया - wow :)
आपका ब्लॉग पसंद आया....इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
http://vangaydinesh.blogspot.com/2011/03/blog-post_12.html
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