26 February, 2011

दोहे-- dohe

श्री नवीन चतुर्वेदी जी के ब्लाग -- http://samasyapoorti.blogspot.com/ दोहा के बारे मे पढा तो सोचा यहाँ भी हाथ आजमा लिया जाये। पहली बार दोहे लिखे हैं। सही गलत आप लोग देख लें।

दोहे
1
जीवन मे माँ से बडा
 और नही वरदान
माँ चरणों की धूल ले
खुश होंगे भगवान।
2
भारत की गरिमा बचा
 कर के सोच विचार
भगत सिंह,आज़ाद का
 सपना कर साकार
3
 वेद पुराण भुला दिये
 भूले सच्चे  ग्रंथ
भाँति भाँति के संत हैं
 भाँति भाँति के पंथ
4
मीरा बोली साँवरे
कर जोगन से प्रीत
इन चरणों मे शरण दे
निभा प्रेम की रीत
5
गुस्सा अपना पी लिया
शिकवा था बेकार
बढ ना जाये फिर कहीं
आपस मे तकरार
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54 comments:

रचना दीक्षित said...

एक से एक उम्दा दोहों की रचना की है निर्मला जी. बहुत बधाई.

सोमेश सक्सेना said...

सारे दोहे अच्छे बन पड़े हैं। आखिरी वाला अधिक पसंद आया।

devendra gautam said...

बहुत जानदार दोहे हैं कपिला जी!...बधाई स्वीकार करें

रश्मि प्रभा... said...

aisi rachnaaon ko course me dena chahiye , sprasang vyakhya ke antargat ye dohe aate hain ... inke saar tatv amulya hain

केवल राम said...

जीवन के विविध भावों से ओत प्रोत आपके यह दोहे सराहनीय हैं

ZEAL said...

बहुत ही प्रेरणादायी दोहे ।

दिनेशराय द्विवेदी said...

दोहे अच्छे हैं।

मनोज कुमार said...

बहुत ही प्रेरक दोहे। आभार निर्मला दीदी।

प्रवीण पाण्डेय said...

भावपूर्ण और अर्थपूर्ण दोहे लिखे हैं आपने। आभार।

ज्ञानचंद मर्मज्ञ said...

वेद पुराण भुला दिये,भूले सच्चा ग्रन्थ
भांति भांति के संत हैं, भांति भांति के पंथ !

बहुत ही सुन्दर, सामयिक दोहे कहे है आपने !
एक से बढ़कर एक !
आभार !

संजय कुमार चौरसिया said...

sundar dohe,

ek se badkar ek

डॉ. मोनिका शर्मा said...

बहुत अर्थपूर्ण दोहे ....एक से बढ़कर एक..... आभार

DR.ASHOK KUMAR said...

बहुत ही प्रभावशाली दोहे है ~ सार्थक एवं भावपूर्ण ।
आभार निर्मला दी ।

" सितार कहूँ क्यूँ चाँद है तू मेरा..........गजल "

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

वाह सुंदर

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

आनन्द आ गया. बहुत बढ़िया दोहे हैं..

सदा said...

बहुत ही अच्‍छे दोहे हैं ....।

एस एम् मासूम said...

बचपन मैं तो दोहे के नाम से बुखार आ जाता था, रटने पड़ते थे लेकिन आज आप के यह दोहे पढ़ के बहुत ख़ुशी हुई.

मुकेश कुमार सिन्हा said...

di kya baat hai, kuchh din pahle hi aapne haiku likha tha..........ab dohe...:)

har vidha me parangat ho aap:)

vandana gupta said...

वाह वाह बहुत ही अर्थपूर्ण और प्रेरक दोहे लिखे हैं…………सभी एक से बढकर एक हैं।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

निर्मला जी, दूसरा और तीसरा दोहा बहुत पसंद आया ! शुक्रिया !

उस्ताद जी said...

बहुत बढ़िया हाथ आजमाया है. ऐसी आजमाईश जारी रहनी चाहिए. सभी दोहे अच्छे बन पड़े हैं और जुबां पर चढ़ते हैं. आखिर वाला दोहा कुछ ज्यादा ही सटीक लगा -
गुस्सा अपना पी लिया
शिकवा था बेकार
बढ ना जाये फिर कहीं
आपस मे तकरार

बहुत बधाई - शुभ कामनाएं

Sushil Bakliwal said...

बहुत सुन्दर दोहे और यदि पहली बार लिखें हैं तो बहुत उत्तम प्रस्तुति. बधाईयां...

डॉ टी एस दराल said...

वाह वाह, वाह जी वाह !
सभी दोहे परफेक्ट और अति सुन्दर भावपूर्ण ।

राज भाटिय़ा said...

सभी दोहे एक से बढ कर एक जी, धन्यवाद

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

निम्मो दी!
मैं तो कह ही नहीं सकता कि कौन सा अच्छा था और कौन सा बहुत अच्छा... आप इसको हाथ आजमाना कहती हैं!!!! ये तो मँजे हुये हाथों का कमाल है!!

Rajeev Bharol said...

निर्मला जी, बहुत ही अच्छे दोहे हैं.

निर्मला कपिला said...

वाह उस्ताद जी आप इतने दिनो बाद आये/ मै तो कितने दिनो से याद कर रही थी
आपको दोहे अच्छे लगे तो मेरा हाथ आजमाना सफल हो गया। सभी को बहुत बहुत धन्यवाद।

परमजीत सिहँ बाली said...

भावपूर्ण और अर्थपूर्ण दोहे लिखे हैं बधाई स्वीकार करें

Kailash Sharma said...

सभी दोहे बहुत सुन्दर और प्रेरक..आख़िरी दोहे का कोई ज़वाब नहीं..

शूरवीर रावत said...

आपका लेखन हमेशा ही उम्दा रहा है निर्मला दी. क्या ग़ज़ल, क्या कहानी, क्या हाइकू, क्या कविता. और अब दोहे....... बेहतरीन ! निर्मला दी, बेहतरीन !!

Smart Indian said...

कमाल के दोहे हैं निर्मला जी!

संध्या शर्मा said...

सारे दोहे बहुत ही प्रेरक व भावपूर्ण हैं... सार्थक अभिव्यक्ति के लिए आभार..

VIJAY KUMAR VERMA said...

बहुत ही प्रेरणादायी दोहे

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सभी दोहे बहुत उपयोगी हैं!

देवेन्द्र पाण्डेय said...

तीसरा दोहा एक नम्बर का।

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत ही सुंदर दोहे.

रामराम.

वाणी गीत said...

गुस्सा अपना पी लिया शिकवा था बेकार ..
कभी-कभी गुबार निकला भी करो सरकार !

भांति भांति के संत भाँती भांति भांति के पंथ
रहिमन इस संसार में भांति भांति के लोग !

आभार !

Udan Tashtari said...

बेहतरीन दोहे!!

संजय @ मो सम कौन... said...

सही एक भी नहीं है जी, सारे बहुत बहुत बहुत सही हैं, एक से बढ़कर एक और प्रेरक।
आभार स्वीकार करें।

amar jeet said...

बहुत खूब लिखा आपने अब तो हम भी कह सकते है की आप ग्रेट हो ..........

अजय कुमार said...

सही रास्ता दिखाने वाले दोहे

palash said...

बहुत ज्ञान की बाते कही आपने ।

rashmi ravija said...

गुस्सा अपना पी लिया
शिकवा था बेकार
बढ ना जाये फिर कहीं
आपस मे तकरार

बहुत अर्थपूर्ण दोहे ....एक से बढ़कर एक.

mridula pradhan said...

har doha behad sundar hai.

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

आदरणीया मौसी निर्मला कपिला जी
सादर सस्नेहाभिवादन !
प्रणाम !!
अब दोहे भी … !?
बहुत ख़ूब ! बहुत ख़ूब !
कथा लिखी , ग़ज़लें लिखीं , लिखे हाइकू , गीत !
सभी विधाओं के किले , लिये आपने जीत !!


:) क्या कहने है आपके … पहली बार में ही मैदान फतह …

हर दोहा है पूर्ण भी , रोचक भी ! आभार !
कपिला जी दिखला रहीं , रूप नया हर बार !!


बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार

दिलबागसिंह विर्क said...

suner dohe

Devi Nangrani said...

Nirmala ji
aapko bahut bahut badhayi in arthpoorak dohon ko hamare paath ke liye prastut karne ke liye..
ek ek doha margdarshan karwata hai..lajawaab

kshama said...

Bahut hee sashakt dohe hain!Bada achha laga padhke!

Satish Saxena said...

बहुत खूब ...बहुत बढ़िया प्रयास !
शुभकामनायें आपको !!

Asha Lata Saxena said...

दोहे बहुत अच्छे लगे |बधाई
आशा

रंजना said...

१००% सफल रहीं आप......बहुत ही सुन्दर बन पड़े हैं सभी दोहे....

डॉ. मनोज मिश्र said...

बहुत जानदार दोहे हैं.

abhi said...

मैंने अभी इसमें से दो दोहे अपनी बहन को एस.एम्.एस के जरिये भेजे हैं :)
उसका जवाब अभी आया - wow :)

Dinesh pareek said...

आपका ब्लॉग पसंद आया....इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
http://vangaydinesh.blogspot.com/2011/03/blog-post_12.html

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