07 December, 2010

हाईकु

यहाँ देखें हिन्दी हाईकु के लिये
http://hindihaiku.wordpress.com/1

कलियाँ खिली---------
मौसम भीगा भीगा
रुत प्यार की

2 परछाई हूँ ----------
तेरी साजन मेरे
संग चलूँगी

3 दोस्त कैसे?---
गिरगिट के जैसे
रंग बदलें


5 झूमें सखियाँ
कृ्ष्णा रास रचाये----
राधिका संग

6 बाँटे रोशनी
दुनियाँ को ,घर हो -----
तेरा रोशन

7 मुद्दत बाद
 मिले जो हम तुम -----
बहार आयी

8 तन्हाई मेरी
 याद दिलाती तेरी-----
आओ साजन

9 तिलमिलाना
 छटपटाना, क्रोध 
आदत बुरी

10 सोच जिससे
 किसी को सुख मिले-------
इन्साँ है गर

58 comments:

Majaal said...

नया प्रयोग,
यह क्या ?
नयन हतभ्रत !

यह प्रयास दिलचस्प लगा, जारी रखिये ....

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत अच्छा, कभी प्रयास नहीं किया पर लयात्मकता दिखती है।

केवल राम said...

नमस्कार जी ...स्वीकार करें
एक से बढ़कर एक..सभी में सन्देश छुपा है ...शुक्रिया

Udan Tashtari said...

सुन्दर हाईकु..पसंद आये.

सोमेश सक्सेना said...

क्या बात है। बड़े दिनों बाद अच्छे हाइकू पढ़ने को मिले। बधाईयाँ...

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

वाह निर्मला जी आपके यहाँ कुछ नया पढ़ने को मिला वो भी इतनी सुन्दर ...
सोच रहा हूँ मैं भी कोशिश करके देखूं पर इसके नियम नहीं पता है ...

संजय भास्‍कर said...

आदरणीय निर्मला जी
नमस्कार !
.....सभी में सन्देश छुपा है
बहुत पसन्द आया
हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद

Shiv said...

बहुत सुन्दर.
सभी बढ़िया लगे.

शिक्षामित्र said...

पढ़ा,पढ़ूंगा
कई कई बार
शत आभार

संगीता पुरी said...

बहुत अच्‍छे लगे सब !!

सदा said...

सब एक से बढ़कर एक ....।

Dev said...

laajwaab ........rachna

vandana gupta said...

बहुत ही दिलचस्प हाइकू हैं सभी अच्छे लगे………बधाई।

रंजू भाटिया said...

सभी एक से बढ़ कर एक ...बहुत सुन्दर प्रयास ...यह विधा भी मन मोह लेती है ...बेहतरीन

कडुवासच said...

... niraalaa andaaj !!!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

संदेशपरक ...अच्छी रचनाएँ ...

ज्ञानचंद मर्मज्ञ said...

निर्मला जी,
आपके सभी हाइकू छिली हुई पेंसिल की तरह नुकीले हैं !
तीन छोटी छोटी पंक्तियों में अभिव्यक्ति का सारा समुन्दर भरा पड़ा है !
मेरी शुभकामनाएं स्वीकार करें !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ

निर्मला कपिला said...

सैल जी ये मेरा प्रथम प्रयास है। अधिक नीयम तो मुझे भी अभी पता नही लेकिन मैने हिन्दी हाईकु नामक ब्लाग के यहाँ पढ सकते हैं--- http://hindihaiku.wordpress.com/author/rkamboj/ मैने भी कम्बोज जी से ये विधा सीखी है। अभी किसी को बताने जितनी सामर्थ्य नी है। धन्यवाद।

Anonymous said...

ये हाईकु क्या होता है ????
वैसे जो भी है अच्छा लग रहा है ....

दिगम्बर नासवा said...

हाइकू ... कई जगह पढ़ा तो है पर हाथ नहीं आजमाया कभी ... आपने तो कमाल ही किया है इस विधा में ... छोटी छोटी लाइनों में बहुत कुछ समेटना आसान नहीं होता ... पर गज़ब की क्षमता है आपमें ... लाजवाब ....

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

बहुत बढिया......
ये विधा भी गजब की है, सिर्फ तीन पंक्तियों में ही सब कुछ कह देती है.

shikha varshney said...

बहुत खूब निर्मला जी ! आजकल हिंदी हाइकू का बहुत प्रचलन है जारी रखिये.

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Haiku ye term to pahli bAAR suna.....
jo bhi ho, Nirmala di aapko padh kar achha laga bas.....

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढ़िया !!
सुन्दर हाईकू पढ़वाने के लिये आभार।

rashmi ravija said...

बहुत ही बढ़िया
ये प्रयास तो रंग ले आया

arvind said...

bahut badhiya lagaa....aaj jaanaa haikoo ko.

उपेन्द्र नाथ said...

kapila ji , in shabdon ko itne sahi aur kam shabdon men aapne pribhashit kiya hai vo kabile tarf hai.

ZEAL said...

आपका ये अंदाज़ भी पसंद आया। --आभार।

डॉ टी एस दराल said...

आपने हाइकु के साथ न्याय किया है । लेकिन एक साथ इतने लिख पाना वास्तव में कमाल का काम है ।

abhi said...

मुझे मालुम तो नहीं हाइकू क्या होता है लेकिन ये बहुत ही कलात्मक बन पड़ा है...एकदम नया कुछ देखने को मिला मुझे तो :)

बहुत बहुत अच्छा लगा...

ताऊ रामपुरिया said...

वाह, लाजवाब लगी ये प्रयोगधर्मिता, शुभकामनाएं.

रामराम.

VIJAY KUMAR VERMA said...

इतने कम शब्दों में इतनी सुन्दर अभिव्यक्ति ....
वाह

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

वाह...निर्मला जी...बहुत अच्छा प्रयोग है.

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

अच्छा प्रयोग है
सुंदर शब्द संयोजन

आभार

विनोद कुमार पांडेय said...

यह विधा भी कमाल की बन पड़ी है...एक से बढ़कर एक सुंदर....बढ़िया पोस्ट के लिए बधाई..प्रणाम माता जी

सु-मन (Suman Kapoor) said...

हर हाईकु कमाल के.......

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

भावों ने मन मोह लिया निम्मो दी! लेकिन हाईकू में बिल्कुल शून्य हूँ मैं!!

राज भाटिय़ा said...

निर्मला जी बहुत सुंदर रचना, लेकिन उस से भी सुंदर आप का स्वभाव मिला, आप को देख कर लगा जेसे मेरी मां मेरे सामने खडी हे, आप के बात करने का भी वही ढंग, दिखने मै भी वेसी ही, बहुत अच्छा लगा, अब जब भी भारत आया आप के दर्शन करने जरुर आऊंगा.
धन्यवाद

Abhishek Ojha said...

हाइकु में कम पढना पड़ता है :) ये अच्छी चीज है वही बात जब कम शब्दों में कह दी जाय तो क्या जरुरत है कहानी कहने की.

अजय कुमार said...

सबसे अच्छा तो तीसरा है -दोस्त कैसे-----

Aruna Kapoor said...

....सुंदर, नाजुल कलियां बिखरी हुई है!...अति सुंदर !

Sadhana Vaid said...

निर्मला दी देरी से आने के लिये क्षमाप्रार्थी हूँ ! आपको पढ़े बिना मैं रह ही नहीं सकती ! एक यही पोस्ट रह गयी थी उसे आज पढ़ लिया और इसके कथ्य और शिल्प दोनों ने ही मुग्ध कर दिया है ! बहुत ही सकारात्मक सन्देश देतीं खूबसूरत पंक्तियाँ हैं ! इस हाइकू के बारे में मुझे भी सिखाइये ! इस उपलब्धि के लिये आपको बहुत बहुत बधाई !

डॉ. मोनिका शर्मा said...

सुन्दर हाईकु....

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

bo vadiyaa ji

सुनील गज्जाणी said...

अच्छे हाइकू ! साधुवाद

अनुपमा पाठक said...

bahut khoob!

Bharat Bhushan said...

अच्छी पंक्तियों के हाइकु. कुछ नए प्रयोग देखने को मिले.

DR.ASHOK KUMAR said...

बहुत ही प्रभावित करने वाले हाइकू प्रस्तुत किये हैँ आपने । बहुत बहुत शुभकामनायेँ।

DR.ASHOK KUMAR said...

बहुत ही प्रभावित करने वाले हाइकू प्रस्तुत किये हैँ आपने । बहुत बहुत शुभकामनायेँ।

Sunil Kumar said...

एक से बढ़ कर एक ,शुभकामनायेँ।

रचना दीक्षित said...

अच्छे हाइकू,लाजवाब लेखन

पूनम श्रीवास्तव said...

aadarniy mam
aapne aaj ek nai vidha se parichay karaya.iske liye aapko bahut bahut dhayvaad.
sach me chhooti chhooti panktiyo me badi baate kah jaana ,kamaal hai.
mai bhi koshish jaroor karungi.
isbehatreen prastuti avam jaan kaari dene ke liye aapko punah dil se badhai.
poonam

Akshitaa (Pakhi) said...

बहुत सुन्दर लिखा आपने...बधाई.
______________
'पाखी की दुनिया' में छोटी बहना के साथ मस्ती और मेरी नई ड्रेस

Akshitaa (Pakhi) said...

बहुत सुन्दर लिखा आपने...बधाई.
______________
'पाखी की दुनिया' में छोटी बहना के साथ मस्ती और मेरी नई ड्रेस

Satish Saxena said...

आजकल इंसान कम ही हैं निर्मला जी ! आभार अच्छी रचना के लिए !

DR. ANWER JAMAL said...

Nice post .
औरत की बदहाली और उसके तमाम कारणों को बयान करने के लिए एक टिप्पणी तो क्या, पूरा एक लेख भी नाकाफ़ी है। उसमें केवल सूक्ष्म संकेत ही आ पाते हैं। ये दोनों टिप्पणियां भी समस्या के दो अलग कोण पाठक के सामने रखती हैं।
मैं बहन रेखा जी की टिप्पणी से सहमत हूं और मुझे उम्मीद है वे भी मेरे लेख की भावना और सुझाव से सहमत होंगी और उनके जैसी मेरी दूसरी बहनें भी।
औरत सरापा मुहब्बत है। वह सबको मुहब्बत देती है और बदले में भी फ़क़त वही चाहती है जो कि वह देती है। क्या मर्द औरत को वह तक भी लौटाने में असमर्थ है जो कि वह औरत से हमेशा पाता आया है और भरपूर पाता आया है ?

अजित गुप्ता का कोना said...

निर्मला जी, आपकी यह पोस्‍ट कैसे छूट गयी? शायद चिट्ठा जगत की हडताल के दिनों में। हाइकू लिखने पर बधाई।

virendra sharma said...

poorn bimb liye hain 'haaikoo '
apne me sampoorn rchnaa hain 'haaikoo'
veerubhai .
shukriyaa .

पोस्ट ई मेल से प्रप्त करें}

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