सुखदा-----कहानी भाग --4
बेशक माँ के कपडों से बू आ रही थी मगर आज सुखदा को वह भी भली लग रही थी। आखिर खून अपनी महक दे रहा था। उसे अभी भी याद है जिस दिन वो शारदा देवी के साथ जा रही थी माँ कितना रोई थी,तडपी थी उसे किस तरह जोर से सीने से लगाया था मगर पिता ने एक झटके से छुडा कर उसे अलग कर दिया था। आज भी माँ के सीने मे उसे वही तडप महसूस हुयी थी।
*मईया तुम्हें बुखार है?* उसने माँ के आँसू पोँछ करुसे बिस्तर पर लिटा दिया।उमेश और शारदा पास पडी टूटी सी धूल से भरी कुर्सियों पर बैठ गये।शारदा सोच रही थी कि माँ बेटी के ये आँसू अतीत की कितनी धूल समेट रहे थे।
मईया बाकी लोग कहाँ गये?*सुखदा ने इधर उधर नज़र दौडाई
*बेटी क्या बताऊँ? तेरे जाने के बाद छोटा घर छोड कर चला गया था।एक माह बाद तेरे पिता भी चल बसे। दादी भी भगवान को प्यारी हो गयी। बडा राजा वहीं रेहडी लगाता था उसे भी नशे की लत लग गयी। 15 20 दिन हो गये मुझ से झगडा कर के गया तो आज तक नही लौटा। बस मुझे ही मौत नही आयी शायद तुझे देखने की हसरत मन मे थी।
*बेटी मै जानती थी कि अभागिन तू नही हम लोग हैं सुखदा से ही घर सुखी था मगर मेरी किसी ने नही सुनी। शार्दा देवी तेरे लिये भगवान बन कर आयी। बस मुझे यही संतोश है।*
*इतना कुछ घट गया माँ , मुझे खबर तक नही दी?* सुखदा रोष से बोली
* बेटी मै तुझ पर इस घर की काली परछाई नही पडने देना चाहती थी तुझे फिर से इस नर्क मे घसीटना नही चाहती थी। तू अपने इन माँ बाप के साथ सुखी रहे यही चाहती थी। अच्छा पहले चाय बनाती हूँ।*
*नही मईया आप लेटी रहिये , मै बनाती हूँ।* सुखदा उठने को हुयी तो माँ ने उसे जबर्दस्ती बिठा दिया। और खुद चाय बनाने लगी ।
*शारदा देवी भगवान आपका भला करे। मेरी बेटी आपके हाथों मे सुरक्षित और सुखी है< अब मै चैन से मर सकूँगी।*
* अरे बहिन आप ऐसा क्यों कहती हैं।अपको पता है हमारी बेटी अब डाक्टर बन गयी है,ये भला आपको मरने देगी? * शारदा देवी ने वतावरण को कुछ हलका करने की कोशिश की।
* आपको बहुत बहुत बधाई । बहुत भाग्यशाली है आपकी बेटी जो आप जैसे माँ बाप मिले।* कहते हुये वो चाय बनाने चली गयी।
* सुखदा, तुम्हारी मईया को साथ ले चलते हैं। अकेली है बिमार है कैसे रहेगी। फिर तुम्हें अलग से चिन्ता रहेगी। बेटा जब तक तुम नही मिली थी बात और थी। वो अब भी तुम्हारी माँ है तो तुम्हारा फर्ज है कि उसकी देख भाल करो। जब तक हमे डर था कि कहीं तुम अपनी माँ को देख कर हमे छोड ना दो तो हमने तुम्हें रोके रखा अब हमे पता है कि हमारी बेटी हमे छोड नही सकती तो क्यों ना माँ को भी साथ ही रख लें भगवान की दया से हमारे पास किसी चीज़ की कमी नही है।* उमेश ने सुखदा की ओर देख कर कहा।
* पापा आप महान हैं।* कह कर सुखदा उमेश के गले से लग गयी।
बडी मुश्किल से उन लोगों ने सुखदा की माँ को मनाया। भगवान की दया से उनके पास बहुत कुछ था और उन्हें सुखदा की माँ को अपने साथ रखना मुश्किल नही था। सुखदा सोच रही थी कि क्या आज के जमाने मे उसके मम्मी पापा जैसे लोग मिल सकते है? मईया तो जैसे अपनी आँखें नही उठा पा रही थी। काश कि आज सुखदा के पिता जिन्दा होते तो देखते कि जिसे अभागी कह कर घर से निकाल दिया था , वही उसकी भाग्य विधाता बन कर आयी है।कितनी सौभाग्यशाली है उसकी सुखदा! -- समाप्त
आप सब को बता दूँ कि आज के बाद कुछ दिन किसी भी ब्लाग पर नही आ पाऊँगी। मै 23 मार्च को USA जा रही हूँ, वहाँ जा कर जब समय मिलेगा तो जरूर आऊँगी। आप लोग भूल मत जाईयेगा।
*मईया तुम्हें बुखार है?* उसने माँ के आँसू पोँछ करुसे बिस्तर पर लिटा दिया।उमेश और शारदा पास पडी टूटी सी धूल से भरी कुर्सियों पर बैठ गये।शारदा सोच रही थी कि माँ बेटी के ये आँसू अतीत की कितनी धूल समेट रहे थे।
मईया बाकी लोग कहाँ गये?*सुखदा ने इधर उधर नज़र दौडाई
*बेटी क्या बताऊँ? तेरे जाने के बाद छोटा घर छोड कर चला गया था।एक माह बाद तेरे पिता भी चल बसे। दादी भी भगवान को प्यारी हो गयी। बडा राजा वहीं रेहडी लगाता था उसे भी नशे की लत लग गयी। 15 20 दिन हो गये मुझ से झगडा कर के गया तो आज तक नही लौटा। बस मुझे ही मौत नही आयी शायद तुझे देखने की हसरत मन मे थी।
*बेटी मै जानती थी कि अभागिन तू नही हम लोग हैं सुखदा से ही घर सुखी था मगर मेरी किसी ने नही सुनी। शार्दा देवी तेरे लिये भगवान बन कर आयी। बस मुझे यही संतोश है।*
*इतना कुछ घट गया माँ , मुझे खबर तक नही दी?* सुखदा रोष से बोली
* बेटी मै तुझ पर इस घर की काली परछाई नही पडने देना चाहती थी तुझे फिर से इस नर्क मे घसीटना नही चाहती थी। तू अपने इन माँ बाप के साथ सुखी रहे यही चाहती थी। अच्छा पहले चाय बनाती हूँ।*
*नही मईया आप लेटी रहिये , मै बनाती हूँ।* सुखदा उठने को हुयी तो माँ ने उसे जबर्दस्ती बिठा दिया। और खुद चाय बनाने लगी ।
*शारदा देवी भगवान आपका भला करे। मेरी बेटी आपके हाथों मे सुरक्षित और सुखी है< अब मै चैन से मर सकूँगी।*
* अरे बहिन आप ऐसा क्यों कहती हैं।अपको पता है हमारी बेटी अब डाक्टर बन गयी है,ये भला आपको मरने देगी? * शारदा देवी ने वतावरण को कुछ हलका करने की कोशिश की।
* आपको बहुत बहुत बधाई । बहुत भाग्यशाली है आपकी बेटी जो आप जैसे माँ बाप मिले।* कहते हुये वो चाय बनाने चली गयी।
* सुखदा, तुम्हारी मईया को साथ ले चलते हैं। अकेली है बिमार है कैसे रहेगी। फिर तुम्हें अलग से चिन्ता रहेगी। बेटा जब तक तुम नही मिली थी बात और थी। वो अब भी तुम्हारी माँ है तो तुम्हारा फर्ज है कि उसकी देख भाल करो। जब तक हमे डर था कि कहीं तुम अपनी माँ को देख कर हमे छोड ना दो तो हमने तुम्हें रोके रखा अब हमे पता है कि हमारी बेटी हमे छोड नही सकती तो क्यों ना माँ को भी साथ ही रख लें भगवान की दया से हमारे पास किसी चीज़ की कमी नही है।* उमेश ने सुखदा की ओर देख कर कहा।
* पापा आप महान हैं।* कह कर सुखदा उमेश के गले से लग गयी।
बडी मुश्किल से उन लोगों ने सुखदा की माँ को मनाया। भगवान की दया से उनके पास बहुत कुछ था और उन्हें सुखदा की माँ को अपने साथ रखना मुश्किल नही था। सुखदा सोच रही थी कि क्या आज के जमाने मे उसके मम्मी पापा जैसे लोग मिल सकते है? मईया तो जैसे अपनी आँखें नही उठा पा रही थी। काश कि आज सुखदा के पिता जिन्दा होते तो देखते कि जिसे अभागी कह कर घर से निकाल दिया था , वही उसकी भाग्य विधाता बन कर आयी है।कितनी सौभाग्यशाली है उसकी सुखदा! -- समाप्त
आप सब को बता दूँ कि आज के बाद कुछ दिन किसी भी ब्लाग पर नही आ पाऊँगी। मै 23 मार्च को USA जा रही हूँ, वहाँ जा कर जब समय मिलेगा तो जरूर आऊँगी। आप लोग भूल मत जाईयेगा।
36 comments:
माता जी एक बढ़िया कहानी का बढ़िया अंत..अंत तक यह पता चल ही जाता है कि अभागिन कौन काश सुखदा के पिता और दादी होते तो और बढ़िया होता देख लेते की उनकी ना नासमझी से क्या क्या हो गया..पर कोई बात नही अंत में माँ जो सुखदा को सही समझती थी अपने विश्वास को पाने में सफल रही....एक खूबसूरत कहानी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद और हाँ माता जी आप किसी के ब्लॉग पर नही आ पाएँगी कोई बात नही आपका आशीर्वाद तो हमेशा साथ है...आपके सुखद और मंगलमय यात्रा की कामना करता हूँ..और आपके आने के बाद फिर से श्रेष्ट कहानी और ग़ज़ल का इंतज़ार रहेगा.....प्रणाम
बहुत बढ़िया कथा...पूरे प्रवाह में चली.
यू एस आकर अपना फोन नम्बर जरुर दें..आपसे बात हो...कहाँ आ रही हैं आप यू एस में..कनाडा भी घूम जायें हमारे पास..बिना कनाडा की तरफ से नियाग्रा देखे स्वर्ग नहीं है :)
बहुत ही अच्छा अंत हुआ ..बधाई......और शुभयात्रा.........."
प्रणव सक्सैना
amitraghat.blogspot.com
accheelagee kahanee.
shubh yatra .
aap jaisa vyktitv bhulane wala nahee hai.........:)
सुखदा का अंत सुखद रहा...अच्छी प्रवाहपूर्ण कहानी...यात्रा के लिए शुभकामनायें
मनमोहक लगी पूरी कहानी,आपको धन्यवाद.
सुखदा का सुखद अंत सुंदर रहा. आपकी USA यात्रा के लिये हार्दिक शुभकामनाएं.
प्रवास का आनंद लेकर जल्दी लौटे और आप यहां जिस परिवार (ब्लाग जगत) को छोडे जा रही हैं. उसकी बीच बीच में सुधी लेते रहे हैं. आप निश्चिंत होकर जायें आपकी अनुपस्थिति मे हम यहां कोई बदमाशी नही करेंगे. अच्छे बच्चों की तरह रहेंगे.:)
रामराम.
shubh kaamnaayen
shubh yatra
कहानी बहुत ही रोचक और प्रेरक रही।
आपकी यात्रा सफ़ल हो।
कहानी का सुन्दर समापन
बहुत अच्छी थी यह कहानी
आपकी USA यात्रा के लिये हार्दिक शुभकामनाएं
प्रणाम
कहानी का अंत बहुत ही तर्कसंगत और हृदयस्पर्शी है ! काश आज के समाज में शारदा और उमेश जैसे लोगों की संख्या बढ़ जाये तो हमारे देश का भी गौरव बढ़ जाये ! अखबार में पाँच बच्चों की बलि का समाचार पढ़ कर हृदय कितना विदीर्ण है यह कहना मुश्क़िल है ! हम कैसी कुत्सित मानसिकता वाले समाज में रहते हैं यह सोच कर की क्षोभ और ग्लानि से मन कसैला हो जाता है ! आपकी कहाने सबके लिये प्रेरणा का स्रोत बने यही कामना है ! आपकी यू. एस. की सुखद, सुरक्षित एवम् आनंददायी यात्रा के लिये अशेष शुभकामनायें ! हम भी निश्चित रूप से आपको बहुत मिस करेंगे !
मैं तो यह अन्त ही पढ़ पाया। और उससे ही कहानी की स्तरीयता का अनुमान हो गया।
अच्छाई कहां होती है और लोग कहां तलाशते हैं उसे। बहुधा उसे अनदेखा भी करते हैं।
आपकी यात्रा सुखद हो - यह कामना।
पूरी कहानी बहुत सुन्दर है!
वाह सुखांत कहानी मुझे बहुत अच्छी लगती हैं...प्रेरक भी रही...
आपकी यात्रा के लिए शुभकामनाये.
काश कि हर सुखदा को ऐसे अभिभावक मिल पाते ...
अच्छी, प्रेरक, मन को छूने वाली कहानी ...
आपकी यात्रा शुभ हो ...आपकी कमी महसूस होगी ...!!
मेरा मतलब ....आपकी पोस्ट ,टिप्पणियों और आपकी भी ....जल्दी लौटियेगा ....!!
पांडेय जी की टिप्पणी को दुहराता हूं. शुभयात्रा.
बहुत सुंदर अन्त है इस कहानी का, अरे आप अमेरिका जा रही है, तो रास्ते मै आप ्का स्टे तो युरोप मै ही होगा कुछ घंटो के लिये, अगर आप जर्मनी से ओर मुनिख से हो कर जा रही है तो हमारा मिलन हो सकता है,आते या जाते समय हमारे यहां हो कर जाये, बताये आप का स्टे किस देश ओर किस शहर मै होगा युरोप के
hamesha ki tareh ek bahut acchhi kahani hamare beech rakhi aapne. jiska ant bhi bahut sukhmay raha.
aapki yatra k liye shubhkaamnaye.
“सुखदा” कथा का अंत भला तो सब भला| आपकी यात्रा शुभ हो।
ant bhala to sab bhala...
happy journey aunty ji..
पहले ही कह चुका हूं निर्मला जी में शारदा देवी का ही अक्स है...
आपको अमेरिका यात्रा की बहुत-बहुत शुभकामनाएं...हो सके तो हफ्ते में एक बार ब्लॉग पे आते रहिएगा...आपको पढ़ने की आदत सी जो पड़ गई है...
जय हिंद...
इस कहानी का सुखान्त होना बहुत भाया....बहुत ही सुन्दर और प्रवाहमयी रही कहानी...
आपको अमेरिका यात्रा की शुभकामनाएं...वहाँ से भी संपर्क में रहिएगा...हम सब बहुत मिस करेंगे आपको.
bahut Sukhad kahani...
Aap kee yatra mangalmay ho !
Aap kee vahan ke anubhavon ko sunne ko betaab !!
बड़े दिनों से इस कड़ी का इंतजार था पर वो अंतिम निकली पर अच्छी लगी आगे भी ऐसी ही कहानियों का इंतजार रहेगा
शुभ यात्रा
शुरू से लेकर अंत तक कहानी बहुत ही सुन्दर और दिलचस्प रहा! मैंने एक बार नहीं बल्कि तिन बार पढ़ा है और बहुत बढ़िया लगा!
सच में हर बार पढने पर आँख में पानी ला देती है ये कहानी मासी..
माँ जी को प्रणाम
सुन्दर कहानी ।
Bahut 'sukhad' katha..!
Aapko kaise bhool sakte hain?
Ramnavmi ki shubhkamnayen!
पूरी कहानी सूक्ष्म मानवीय संवेदनाओं पर बुनी गई है । स्त्रीमन को स्त्री के अतिरिक्त समझना भूल होगी। बधठ्र । विदेष यात्रा मंगलमयी और स्वस्थ हो यही कामनाण्ण्ण्
ant shukad raha , yahi kahani ki khoobsurati hai ,is sundar kahani ke saath yaatra bhi suhaana rahe .ramnavmi parv ki badhai .
कहानी बहुत अच्छी लगी. सुखान्त रखने का आभार!
नमस्कार
गत वर्ष आप मेरे ब्लॉग पर आईं थीं तथा "महावीर भगवान" पर रचित कविता की अनुशंसा की थी।
आपके स्नेह और शुभकामनाओं से मैंने अपने ब्लॉग को वेबसाइट में रूपांतरित कर दिया है।
इस वेबसाइट पर आपको निरंतर अच्छी और सच्ची कविताएँ पढ़ने को मिलती रहेंगी।
आपके सुझाव तथा सहयोग अपेक्षित है।
कृपया एक बार विज़िट अवश्य करें
www.kavyanchal.com
Anek shubhkamnayen..aapki US yatra sukhad ho...hame aapke lautne ka intezaar rahega!
बेहद सुन्दर कहानी. कहानी का अंत भी प्रभावी...
_________
"शब्द-शिखर" पर सुप्रीम कोर्ट में भी महिलाओं के लिए आरक्षण
बेहद सुन्दर कहानी. कहानी का अंत भी प्रभावी...
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"शब्द-शिखर" पर सुप्रीम कोर्ट में भी महिलाओं के लिए आरक्षण
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