एक पुरानी कविता जो अभी आप लोगों ने पढी नहीं है। आज भी नया कुछ लिख नहीं पाई। तो इसे ही झेलले़ ।
कविता
मुझे मेरे दिल के करीब रहने दो
न पोंछो आँख मेरी अश्क बहने दो
ये इम्तिहां मेरा है जवाब् भी मेरा होगा
दिल का मामला है खुद से कहने दो
जीते चले गये ,जिन्दगी को जाना नहीं
मुझे मेरे कसूर की सजा सहने दो
उनकी जफा पर मेरी वफा कहती है
खुदगर्ज चेहरों पे अब नकाब रहने दो
तकरार से कभी फासले नहीं मिटते
घर की बात है घर में रहने दो !!
न पोंछो आँख मेरी अश्क बहने दो
ये इम्तिहां मेरा है जवाब् भी मेरा होगा
दिल का मामला है खुद से कहने दो
जीते चले गये ,जिन्दगी को जाना नहीं
मुझे मेरे कसूर की सजा सहने दो
उनकी जफा पर मेरी वफा कहती है
खुदगर्ज चेहरों पे अब नकाब रहने दो
तकरार से कभी फासले नहीं मिटते
घर की बात है घर में रहने दो !!
39 comments:
Mom........... यह कविता दिल को छू गई..... बहुत सुंदर.....
माँ जी चरण स्पर्श
क्या बात है , लाजवाब कविता लगी माँ , बेहद भावपूर्ण रचना ।
घर की बात घर में रहने दो ....
खुदगर्ज़ चेहरों पर नकाब रहने दो ...
दिल की बात दिल में रहने दो ...
कहाँ रह पाती है ...कहानी कविताओं में झलक ही जाती है ..!!
"तकरार से कभी फासले नहीं मिटते
घर की बात है घर में रहने दो "
कितनी अच्छी बात कही है आपने !बधाई !!
"तकरार से कभी फासले नहीं मिटते
घर की बात है घर में रहने दो "
सही बात कही है।
बहुत बढ़िया है जी!
सुन्दर रचना बार-बार पढ़ने भी अच्छी लगती है!
सही बात कही है. बहुत सुन्दर रचना है .
हिन्दीकुंज
बहुत अच्छी रचना , अंतिम लाइनों में एक अच्छी नसीहत
"उनकी ज़फा पर मेरी वफा कहती है ..."
हमने ज़फा ना सीखी उनको वफा ना आई पत्थर से दिल लगाया और दिल पे चोट खाई ...
पास बैठो तबीयत बहल जाएगी,
मौत भी आ गई है तो टल जाएगी...
जय हिंद...
शानदार है कविता..तो टिप्पणी भी खुले दिल से देने दो।
तकरार से कभी फासले नहीं मिटते
घर की बात घर में रहने दो !
अति सुन्दर !
"जीते चले गये जिन्दगी को जाना नहीं"
छोटी पंक्तियों में बडी बातें
बहुत बहुत अच्छी लगी यह कविता
आपका हार्दिक धन्यवाद
प्रणाम स्वीकार करें
"तकरार से कभी फासले नहीं मिटते
घर की बात है घर में रहने दो "
बहुत सुन्दर एवं खरी बात कही आपने....अगर इन्सान इतनी सी बात समझ जाए तो सारे झगडे ही निपट जाएं !
तकरार से भी फासले नहीं मिटते
घर कि बात घर में ही रहने दो....
बहुत सटीक अभिव्यक्ति .....सुन्दर रचना ...बधाई
बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति है........बहुत सुन्दर रचना है.बधाई.
तकरार से भी फासले नहीं मिटते
घर कि बात घर में ही रहने दो....
बिल्कुल सही कहा है।
बहुत सुन्दर लगी आपकी यह रचना शुक्रिया
bahut hi khoobsoorat ,nasihat deti rachna.......badhayi
wakai..ghar ki baat hai...ghar mein he rehne do...
umda rachna...
cheers
http://shayarichawla.blogspot.com/
बहुत सुंदर, लाजबाव रचना
सुंदर अनुभूति.
"ये इम्तिहान मेरा है, जवाब भी मेरा होगा....."
वाह.... अदम्य जिजीविषा की रचना ! आपकी लेखनी को सलाम !!
एक बार फिर से आनंद ले रहा हूँ आपकी ग़ज़ल का ..........
बहुत सुन्दर् लगी आपकी यह रचना
"तकरार से कभी फासले नहीं मिटते
घर की बात है घर में रहने दो "
Bilku sahi Kaha Maaji.
Bahut achhi rachna...
तकरार से कभी फासले नहीं मिटते
घर की बात है घर में रहने दो...
बहुत बढिया.....
आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ...अब तो लगातार आना ही पड़ेगा
unki jafa..........ghar men rahne do.
wah. nirmala ji kamaal ka likha hai.
सुन्दर भावों की खूबसूरत बानगी!! वाह!
"तकरार से कभी फासले नहीं मिटते
घर की बात है घर में रहने दो "
क्या बात है निर्मला जी. बहुत सुन्दर रचना.
me pehli baar apke blog par aayi hu aur ye kavita bahut acchhi lagi kuch dil k bilkul kareeb si. thanks for sharing.
waah...ghar ki baat ghar mein rehne do ..
bahut achha likha ji aapne !!!
घर की बात है घर में ही रहने दो । कितना सही कह रही हैं ।
Bahut sundar kavita...
"taqraar se faasle nahi mit-te..."
WAH.... WAH ... Kya baat hai...
बहुत ही सुन्दर दिल को छूते शब्दों के साथ अनुपम रचना, आभार
ये इम्तिहां मेरा है जवाब भी मेरा होगा....
>
घर की बात है हर में रहने दो...
बेहतरीन पंक्तिया हैं... गज़लरुपी कविता दिल को छूती है.
purana sona khara hai .
achhi kavita abhar
बेहतरीन पंक्तिया हैं... गज़लरुपी कविता दिल को छूती है.
Mummy ji......
नमस्कार!
आदत मुस्कुराने की तरफ़ से
से आपको एवं आपके परिवार को क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
Sanjay Bhaskar
Blog link :-
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
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