02 November, 2009

गज़ल

बहुत दिन से किसी के ब्लाग पर नहीं आ पायी जिस के लिये क्षमा चाहती हूँ।
कुछ दिन से अस्वस्थ हूँ। डा़ ने आराम करने की सलाह दी है। मगर 2-4 दिन मे ही लगने लगा है कि जैसे दुनिया से कट गयी हूँ।बच्चे मुझे नेट पर भी नहीं बैठने देते। ब्लोग नहीं लिखने देते तो सारा दिन बिस्तर पर पडा आदमी तो और बीमार हो जायेगा। कल अचानक शाम को 5 बजे एक फोन आया कि *मैं अकबर खान बोल रहा हूँ। [अकबर खान जी The NetPress.Com vaale] हम लोग नंगल आये थे तो सोचा कि आपसे भी मिलते चलें।* मैं उस समय सो रही थी। एक दम से पता नहीं कहाँ से इतनी फुर्ती आ गयी कि मुझे लगा ही नहीं कि बीमार हूँ। उनके आने की इतनी खुशी हुई कि बता नहीं सकती। काफी देर ब्लोगिन्ग के बारे मे बातें हुई। और इस पर भी चर्चा हुई कि एक ब्लागर्ज़ मीट नंगल् मे रखी जाये। सेहत ठीक होते ही इस पर विचार करेंगे । उनकी पत्नि हमारे शहर से है ये जान कर और भी खुशी हुई। दोनो पति पत्नि इस तरह मिले जैसे हम लोग कई वर्षों से जानते हों। जाते हुये मुझ से आशीर्वाद मांगा तो मन भीग सा गया। इस ब्लाग्गिंग ने मुझे कितने रिश्ते कितनी खुशियां दी हैं सोचती हूँ तो मन भर आता है। जीने के लिये और क्या चाहिये? ऐसा लगता है कि अब हर खुशी और हर गम मेरी ब्लागिन्ग से ही जुडा हुया है। कहते हैं कि जिस इन्सान का बुढापा सुखमय और खुशियों से भरा हो वो इन्सान खुशनसीब होता है। क्यों कि जवानी मे तो iइन्सान के पास हिम्मत होती है सहनशक्ति होती है मगर बुढापे मे दुख सहन करने की ताकत नहीं होती। इस हिसाब से मैं खुशनसीब हूँ उमर चाहे कम हो या अधिक क्या फर्क पडता है जितनी भी हो सुखमय हो बस । । अकबरखान जी का धन्यवाद कि उन्होंने मुझे याद रखा और मेरे घर आने का कष्ट किया।
एक छोटी सी गज़ल ठेल रही हूँ पता नहीं बहर मे है या नहीं। आप देखें।ये मिसरा अनुज सुबीर जी ने दीपावली पर तरही मुशायरे पर दिया था उसी पर ये एक और गज़ल है jजो वहाँ नहीं भेज पाई थी।

दीप जलते रहे झिलमिलाते रहे
दौर खुशियों के हम को लुभाते रहे

कौल करके निभाना न आया तुझे
यूँ निरे झूठ हम को बताते रहे

क्या गिला है मुझे कुछ बता तो सही
कौन से फासले बीच आते रहे

दूरियाँ यूँ बनी देखते ही गये
पास रहते हुये दूर जाते रहे

जश्न ऐसे मनाया तेरी मौत का
हम बने आग खुद को जलाते रहे

चाह कर भी भुला ना सकी मैं तुझे
रोज़ ही ख्वाब तेरे रुलाते रहे

खुर्सियाँ राजसी खून से हैं सनी
होलियाँ खून की वो मनाते रहे


52 comments:

Yogesh Verma Swapn said...

kya gila hai........aate rahe.

sabhi sher umda. nirmala ji badhai sweekaren.

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

सर्वप्रथम सभी ब्लोगर मित्रो को गुरुनानक जयंती की हार्दिक शुभकामनाये !
वाहे गुरु सतनाम, सतनाम वाहे गुरु !

जश्न ऐसे मनाया तेरी मौत का
हम बने आग खुद को जलाते रही
बहुत खूब, निर्मलाजी !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

वाह....!
बहुत बढ़िया ग़ज़ल लगाई है।
आपको स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूँ!
श्री गुरू नानकदेव जयन्ती और
कार्तिक पूर्णिमा की बधाई!

Unknown said...

"हम आग बने खुद को जलाते रहे"

बहुत सुन्दर!

आप शीघ्रातिशीघ्र स्वास्थ्य लाभ-प्राप्त करें!

Unknown said...

सबसे पहले आपके स्वास्थ्य हेतु शुभ कामनाएं........

आपका और खान दम्पत्ति का मिलन खुश कर गया.........ये भावना इस बात को बल देती है कि साहित्य जोड़ता है ........दिल को दिल से......

ग़ज़ल बहुत उम्दा है..........मुबारक हो !

Sudhir (सुधीर) said...

निर्मला दी,



सर्वप्रथम तो ईश्वर से आपके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रार्थी हूँ. आशा है के आप जल्द ही स्वस्थ होकर एक बार फिर हम लोगों का मार्गदर्शन करेंगी. ग़ज़ल बहुत अच्छी लगी विशेष तौर पर "जश्न ऐसे मनाया.." और "चाह कर भी..." वाले शेर दिल को छू गए.



सादर

IMAGE PHOTOGRAPHY said...

माँ जी को पायँ लागु ।
आप के पोस्ट के द्वारा आप के बीमारी का पता चला।
मै आप के स्वास्थ्य होने कामना की करता हु ।
खुबसुरत गजल .....

premlatapandey said...

महान गुरु नानकदेव जी के जन्म-दिवस की ढ़ेरों शुभकामनाएँ!
आप जल्दी स्वस्थ हों वैसे हम भी गर्दन के दर्द से बीत रहे हैं।
पुनः शुभकामनाएँ!

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

Mom...... mujhe yeh bahut dukh hua jaankar ki aapki tabiyat kharaab hai.... ab aap kaisi hain...? aapke jald swasth hone ki kaamna karta hoon.......

ghazal bahut sunder hai.....

दिनेशराय द्विवेदी said...

शीघ्र स्वस्थ होइए। बीमारी का इलाज तो शरीर खुद करता है। दवाइयाँ सहयोग करती हैं। लेकिन वे तभी काम करती हैं जब बीमार का मन भी सहयोग करे। अच्छा हुआ अकबर खान जी आप से मिलने आए। आप की आधी बीमारी तो दूर हो चुकी है। अधिक नहीं पर कुछ तो आप नेट पर आ सकती हैं। इस से बीमारी जल्दी दूर भागेगी।
ग़ज़ल अच्छी है।

अनिल कान्त said...

ग़ज़ल बहुत उम्दा है
हर शेर बेहतरीन

अरे आप बीमार हो गयी और हमें आज पता चल रहा है
वो तो ब्लोगिंग है नहीं तो हमें पता भी न चलता
मैं ईश्वर से कामना करता हूँ कि आप बहुत जल्दी चंगी हो जाएँ

नालायक कुलवंत हैप्पी said...

आप बिमार नहीं थे, कुछ अच्छा रचने के लिए बिस्तर पर चले गए थे। कुछ ऐसा ही प्रतीत होता है इस रचना को पढ़ने के बाद। बिरह का दर्द चर्म सीमा पर चला गया लगता है।

समयचक्र said...

बहुत बढ़िया रचना . आप जल्द स्वस्थ हो . ....शुभकामनाओ के साथ .

श्यामल सुमन said...

मैं समझता हूँ कि इसी तरह लिखते रहिये तो बीमारी यूँ ही दूर क्या काफूर हो जायगी। शीघ्र स्वस्थ होने की कामना।

बहुत भाव पूर्ण रचना है आपकी। चलिए मैं भी आदत के अनुसार कुछ तुकबंदी कर दूँ आपकी ही तर्ज पर-

हम हँसते रहे वो हँसाते रहे।
आईना से मुँह क्यों चुराते रहे?

रौशनी का वो मालिक बना आज है।
सारे घर के जो दीपक बुझाते रहे।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

M VERMA said...

बहुत सुन्दर रचना

संगीता पुरी said...

कुछ दिनों से नेट पर आपकी अनुपस्थिति खल रही थी .. पर मैने समझा आप कहीं व्‍यस्‍त होंगी .. आपकी तबीयत ठीक हो जाए .. यही कामना है .. बीमारी के बावजूद एक ब्‍लागर परिवार से मिलना आपके लिए इतना सुखद रहा .. आपकी रचना भी अच्‍छी लगी !!

rashmi ravija said...

आप भी तो माँ बनकर सबपर अतुल्य स्नेह लुटाती रहती हैं...प्रत्युत्तर में प्यार तो मिलेगा ही...आपके जल्दी स्वस्थ होने की शुभकामनाएं
ग़ज़ल बहुत सुन्दर है..खासकर ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगीं.
क्या गिला है तुझे,बता तो सही
कौन से फासले बीच में आते रहें....

vandana gupta said...

sabse pahle to aapki sehat jaldi thik ho iski kaamna karti hun.
kya gial hai mujhe kuch bata to sahi
kaun se fasle beech aate rahe

bahut hi umda gazal..........behtreen hai.

jashn aise manaya teri maut ka
hum bane aag khud ko jalate rahe

kya kahun ...........lajawaab prastuti.

अजित गुप्ता का कोना said...

निर्मला जी, बहुत उम्‍दा गजल है, हर शेर पर दाद देने को मन करता है। आप शीघ्र ही स्‍वास्‍थ्‍य लाभ करें, यही शुभकामना है।

KAVITA said...

आप माँ बनकर अपने बच्चों को ऐसा आशीर्वाद देते रहते हो की आपका सबको बेसब्र इन्तजार रहता है. क्यूँ न हो एक माँ ही अपनी बेटी का और एक बेटी ही तो है जो माँ के लिए सबसे अधिक चिंतित रहती है. काश सबका आप का मन होता, तो यह जहाँ कितना सुखमय होता. ईश्वर आपको हमेशा स्वस्थ रखे और दीर्घायु प्रदान करे. स्वास्थ्य हेतु शुभ कामनाएं........
गजल की ये पंक्तिया बहुत अच्छी लगी....

क्या गिला है तुझे,बता तो सही
कौन से फासले बीच में आते रहें....
दूरियां यूँ बनी देखते रह गए

Khushdeep Sehgal said...

निर्मला जी,

सब से पहले गुरपूरब की लख लख वधाइयां...वाहे गुरु जी से यही अरदास हमारी निर्मला जी को जल्दी पूरी तरह चंगा कर दे...जिससे हमें उनके ज्ञान की गंगा बिना किसी रुकावट हमेशा-हमेशा मिलती रहे...

जय हिंद...

Anonymous said...

ब्लॉगर और बीमार!?
हुँह… कभी नहीं
(बतर्ज़: पान पसंद विज्ञापन)

आपके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना

बी एस पाबला

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया गजल है।बधाई।
शीघ्र ही स्वास्थ लाभ पाएं...
गुरु नानक जयंती की शुभकामनाएं

Apanatva said...

bahut hee sunder gazal hai .
ab aapaka swasthy kaisa hai ? Dhyan rakhiyega .

ओम आर्य said...

सबसे पहले देर से आने के लिये माफी चाहुंगा...........भगवांन से प्रार्थना भी करताहूँ कि आप जल्द से जल्द ठीक हो जाये..........और आराम भी करे ताकि आप ठीक जल्दी होंगी...........तब तक हम ब्लोगर आपका इंतजार दुआओ के साथ कर लेंगे........बहुत ही बेहतरीन है आपकी यह पोस्ट ............सादर
ओम

daanish said...

ये पढ़ कर बहुत फ़िक्र हुआ क
आप की सेहत अभी ठीक नहीं है
खुदा वंद से दुआ करता हूँ कि आप जल्द
ही सेहत याब हो जाएं और फिर से
अदब कि खिदमत में जुट जाएं ...आमीन

वाणी गीत said...

बहुत खूबसूरत ग़ज़ल ...
आपके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कमाना के साथ प्रकाश पर्व की हार्दिक शुभकामनायें ....!!

रंजू भाटिया said...

अब आप आशा है ठीक होंगी ..स्वस्थ रहे यही दुआ है ..गजल बेहद पसंद आई ..

शोभना चौरे said...

वाह दीदी
आपकी बाते पढ़कर मन भीग गया |सचमुच ब्लागिग से ढेर सारा प्यार और अपनत्व पाकर एक अनमोल खजाना मिल गया |
बहुत ही उम्दा गजल आपको सभी ब्लॉग पर देखकर और आपके द्वारा लिखी गई सकारात्मक टिप्पणियों से बहुत कुछ सीखा है मैंने |
आभार

अर्कजेश said...

क्या गिला है मुझे कुछ बता तो सही
कौन से फासले बीच आते रहे

शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना के साथ !

नीरज गोस्वामी said...

"दूरियां यूँ बढीं...." वाह...बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है आपने निर्मला जी...आनंद आ गाया...हसीं इतेफाक है की आज मैंने भी अपने ब्लॉग पर पंकज जी के ब्लॉग पर भेजी तरही ग़ज़ल पोस्ट की है...
आप जल्द स्वस्थ हों इसी कामना के साथ...
नीरज

पंकज सुबीर said...

दी
आपके शीघ्र स्‍वास्‍थ्‍य की कामना करता हूं । आपकी कहानियों का आनंद ले रहा हूं इन दिनों आपके दोनों संग्रहों में । प्रणाम करता हूं आपकी जिंद को कि आपने न केवल ग़ज़ल नाम के अडि़यल घोड़े पर काबू कर लिया है बल्कि उस पर सवारी भी कर ली है । आपने सिद्ध कर दिया कि वो बात ग़लत नहीं है कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती है । ग़ज़ल का आनंद तो तरही में ही ले चुका हूं । आपके शेरों में सम सामयिक चिंतन तथा व्‍यंग्‍य देख कर अच्‍छा लगता है ।
आपका ही अनुज
सुबीर

Smart Indian said...

बहुत बढ़िया! अपना ध्यान रखिये और जल्दी स्वस्थ होइए!

विनोद कुमार पांडेय said...

निर्मला जी, अपने स्वास्थ का ध्यान दीजिए जो सबसे पहले आता है आप हम लोगो से हमेशा जुड़ी है और हम लोगों के बीच है आपकी कविताएँ और कहानी हमारे लिए एक प्रेरणा श्रोत है..

भगवान आपको स्वास्थलाभ प्रदान करें और फिर आप हाज़िर हो अपनी बेहतरीन कहानियों और ग़ज़लों को लेकर...

राज भाटिय़ा said...

अरे आप ने बताया नही कि आप बीमार है, चलिये अब जल्दी से ठीक हो जाये, हमारी शुभकामनायेआप के लिये...आप की चंद लाईने कि "कहते है कि जिस आदमी का बुढापा...... यह आप ने एक सच लिख दिया.धन्यवाद

Mishra Pankaj said...

वाह....!
बहुत बढ़िया ग़ज़ल लगाई है।
आपको स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूँ!
श्री गुरू नानकदेव जयन्ती और
कार्तिक पूर्णिमा की बधाई!

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

पहले तो आप अपने स्वास्थय का ख्याल रखें....स्वास्थय पहले, पोस्ट का क्या है! ये तो चार दिन रूक के भी लिखी जा सकती है...बस आप चिकित्सक के कहे अनुसार कुछ दिन विश्राम कीजिए..
धन्यवाद्!

जोगी said...

waah ji waah..bas kuchh din aur doctor ki sun ke aaram kar lijiye...aur jaldi se theek ho ke likhte rahiye :)

Urmi said...

बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल है और सारे शेर एक से बढ़कर एक हैं! बेहद पसंद आया आपका ये शानदार ग़ज़ल! लिखते रहिये!

सदा said...

जश्‍न ऐसे मनाया तेरी मौत का,
हम बने आग खुद को जलाते रहे ।

हर शब्‍द दिल को छूता हुआ हर पंक्ति गहरे भावों से सजी, हमें आपकी कमी बहुत खलती है, लेकिन आप अस्‍वस्‍थ्‍य हैं इस बात से और तकलीफ हुई, ईश्‍वर से यही प्रार्थना है कि आप जल्‍दी से स्‍वस्‍थ्‍य हो जायें ।
शुभकामनाओं के साथ

सदा

दिगम्बर नासवा said...

इस MISRE पर बहुत SHER PADHE .......... पर आपके लाजवाब SHER तो और भी कमाल के हैं ......... सब SHER एक से BADH कर एक हैं ...

Ria Sharma said...

निर्मला जी नमस्कार
आप अस्वस्थ्य हैं..??
आप शीघ्र स्वास्थ्य लाभ करें ..व साथ में थोडा आराम भी...!!


आप के लिए सुन्दर ताजे फूलों का गुलदस्ता भेजती हूँ..सप्रेम ...... उधर से..:)
आप फूलों की ही तरह मुस्कुराते रहें !!

Asha Joglekar said...

दूरियां यूं बनी देखते ही रहे
पैस रहतो हिए दूर जाते हुए
वाह !
बहुत सुंदर गज़ल । आप जल्दी ही स्वास्थ्य लाभ करें इस कामना के साथ

Arvind Mishra said...

जल्दी से स्वस्थ हो जायं -आपकी कमी अब लगने लगी है !

शरद कोकास said...

किसने कहा कि आपका बुढापा आ गया ? ऐसी झूठी झूठी बाते न करें । बीमार तो कोई भी हो सकता है । आप लिखती रहे तो वह भी नही होंगी । शुभकामनायें ।

sureda said...

वाह....!
बहुत उम्दा ग़ज़ल आपकी।
बढ़कर बेफ़िकरी आपकी॥

हरकीरत ' हीर' said...

सुभानाल्लाह....निर्मला जी गज़ब....गज़ब.....गज़ब.....!!

सोच रही थी की रात लिखी नई नज़्म डालूं तो आपका कमेन्ट दिखा .....बीच में कई जगह आपकी टिप्पणियों से पता चला आप अस्वस्थ हैं ....भगवान से दुआ है आप जल्दी स्वस्थ हो और ऐसे ही लिखती रहे .....!!

मीटर का तो पता नहीं निरला जी पर शे'र गज़ब के हैं खास करके ये .....

चाह कर भी भुला न सकी मैं तुझे
रोज़ ही ख्वाब तेरे रुलाते रहे

ये 'खुर्सियाँ' शब्द समझ नहीं आया .....!!

निर्मला कपिला said...

हरकीरत जी धन्यवाद तहाँ कुर्सियाँ राजसी का मतलव राज गद्दियाँ है। आपसब पाठकों का धन्यवाद जो मेरे लिये दुया की और मुझे प्रोत्साहित किया मैं आपसब की शुभकामनाइं से ठीक हो रही हूँ बस पाँवों की सूजन के कारण अभी अधिक देर बैठने से मना किया है फिर से आप सब का धन्यवाद्

Rajeysha said...

खुर्सियॉं की जगह कुर्सियॉं होगा, नहीं?

दिगम्बर नासवा said...

KUCH DINO SE AAP BLOG PAR NAHI HAIN ... AASHA HAI AAPKA SWASTH THEEK HOGA ..... HAMAARI SHUBHKAAMNAYEN HAIN ....

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

जश्न ऐसे मनाया तेरी मौत का,
हम बने आग़ खुन को जलाते रहे।

इस शेर के बहाने आपने बहुत ही गहरे भाव व्यक्त किये हैं, मैं मंत्रमुग्ध सा हो गया हूं इसे पढकर। बधाई स्वीकारें।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

Arshia Ali said...

आप जल्दी से पूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करें, हमारी यही कामना है।
------------------
और अब दो स्क्रीन वाले लैपटॉप।
एक आसान सी पहेली-बूझ सकें तो बूझें।

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