गीत
मेरा दूसरा गीत भी मेरे गुरूदेव श्रद्धेय प्राण जी को समर्पित है।जिसे उन्हों ने गलतियां ठीक करके प्रस्तुत करने लायक बनाया।
कंचन जैसा सब का हो मन
खुशियों से महका हो जीवन
धोवो इस को यूँ ही मल मल
उजला सा हो मन का दर्पण
नाथ मुझे अब शरण लगाओ
मेरा तन मन तुझ को अर्पण
पर्यावरण बचाओ बँधू
मत काटो सारे जंगल बन
दुनिया सेक्या ले जाना है
रहना है भाई भाई बन
मुरली धुन सुन मीरा नाची
जन्मों से उसक वो जोगन
मुझ पर भी उपकार करो माँ
करती हूँ तेरा पद वंदन
प्यासी धरा की प्यास बुझे अब
रिमझिम रिमझिम बरसो आ घन
कंचन जैसा सब का हो मन
खुशियों से महका हो जीवन
धोवो इस को यूँ ही मल मल
उजला सा हो मन का दर्पण
नाथ मुझे अब शरण लगाओ
मेरा तन मन तुझ को अर्पण
पर्यावरण बचाओ बँधू
मत काटो सारे जंगल बन
दुनिया सेक्या ले जाना है
रहना है भाई भाई बन
मुरली धुन सुन मीरा नाची
जन्मों से उसक वो जोगन
मुझ पर भी उपकार करो माँ
करती हूँ तेरा पद वंदन
प्यासी धरा की प्यास बुझे अब
रिमझिम रिमझिम बरसो आ घन
35 comments:
बहुत सुन्दर गीत है.
हिन्दीकुंज
बहुत ही सुन्दर गीत। आप शब्दो की धनी है। लाजवाब । बहुत-बहुत बधाई.......
बहुत सुंदर गीत.
रामराम.
इस सुन्दर से गीत के लिए आपका धन्यवाद्!!!!!!!!!!!
खूबसूरत गीत..बधाई
कविता मधुर और प्रवाहमयी है
बहुत ही सुन्दर गीत । बहुत-बहुत बधाई......
बहुत ही सुंदर गीत, मीठा भी , मीठा इस लिये की इस गीत का पहला शव्द हमारी बीबी का नाम है है जी.
waah.............prarthna ka ek divya roop..............badhayi
कंचन जैसा सब का हो मन
खुशियों से महका हो जीवन
बहुत सुन्दर ।
आज दिनों बाद आ रहा हूँ मैम....
बहुत ही सुंदर रचना और क्यों न हो जब आपकी जबरदस्त लेखनी और श्रद्धेय प्राण साब का आशिर्वाद जुड़ जाये तो उस रचना को तो कमाल का होना ही पड़ेगा..!
बहुत सुन्दर गीत है.
आपके गुरू जी को नमन।
आपको बधाई!
'प्यासी धरा की प्यास बुझे अब
रिमझिम रिमझिम बरसो आ घन'
- सुन्दर.
रिमझिम रिमझिम बरसो आ घन'mangal kamna ka sunder geet....
एक बेहद सुन्दर गीत जिसमे रचना अपने भावो को बडी ही खुबसूरती से दर्शाया है ..........बहुत बहुत बधाई.
कंचन जैसा सब का हो मन
खुशियों से महका हो जीवन
धोवो इस को यूँ ही मल मल
उजला सा हो मन का दर्पण
बहुत सुन्दर मनभावन रचना ....
बहुत सुंदर गीत
Bahut hee sunder Nirmala jee. Aapke geet me to aapne sare wishay bandh liye. Abhar.
sunder prastuti, aapke lekhan men bahut nikhaar aa gaya hai,
kuchh aapke giru ji ka ashirwaad.
kul mila ka bahut achcha.
सात्विक सुन्दर अभिव्यक्ति !
सुन्दर गीत है Nirmala ji ....!!
bhut pyara sa geet hai .
badhai
सुन्दर मधुर गीत ... बधाई ..!!
बहुत ही मधुर और ख़ूबसूरत गीत लिखा है आपने!
बहुत ही बेहतरीन रचना, आभार
सुंदर मधुर गीत !
आप जो भी likhti हैं वो लाजवाब होता है ........... गीत, kahaani, gazal सब पर आपकी pakad लाजवाब है ........... aadarniy praan जी ने इस fool में khushboo भर दी है ........... लाजवाब ..........
बहुत ही सुन्दर गीत
आपका निर्मल मन और पावन भाव सहज ही अपने सम्मुख नतमस्तक करा लेते हैं...
बहुत ही सुन्दर रचना....मन अभिभूत हो गया...
इस सुमधुर गीत पर आपको हार्दिक बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
भक्ति भावना और देश भक्ति से पूर्ण रचना ,पर्यावरण के प्रति सजग करती हुई
हिन्दी हर भारतीय का गौरव है
उज्जवल भविष्य के लिए प्रयास जारी रहें
इसी तरह सुन्दर गीत ,
लिखते रहें ........
वाह वाह !
गुरु जी को समर्पित यह भी बहुत ही निर्मल भक्ति गीत है
मुझ पर भी उपकार करो माँ
करती हूँ तेरा पद वंदन
प्यासी धरा की प्यास बुझे अब
रिमझिम रिमझिम बरसो आ घन
महादेवी वर्मा जी की याद दिला रहीं हैं ये पंक्तिया
आप और आप की कलम कुछ भी लिख पाने की सामर्थ्य लिए ...
मेरा नमन है निर्मला जी
सादर !!
Lagta hai ki meri anupasthiti main geet nirjhar apne poore veg se baha...
:)
Dil ko chu gayi ye line...
मुझ पर भी उपकार करो माँ
करती हूँ तेरा पद वंदन.
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