एक और पंजाबी गज़ल स. बल्बीर सैणी जी की [हिन्दी अनुवाद के साथ ।
अनुवाद गज़ल के रूप मे नहीं है ।
मै तां जीवी जाणा अपणी हिम्मत अपणे जेरे नाल
वरना इस दुनिया ने यारो की नहीं कीता मेरे नाल
[अर्थात-- मै तो जीए जाऊँगा अपनी हिम्मत और जोर के साथ
वरना इस दुनिया ने यारो क्या नहीं किया मेरे साथ}
इस ने दिल दा खून है पीता इस ने लुटिया मन दा चैन
हैरत है दिल रहिन्दा लोचे ताँ वी उसे लुटेरे नाल
[अर्थात-- इस ने दिल का खून है पीया इस ने लूटा मन का चैन
हैरत है दिल रहने को तडपे फिर भी उस लुटेरे के साथ]
मै जाणिया सी तेरे पिछों कल्ला रह जावाँगा पर
हँजू हौके चीसाँ पीडाँ किना कुझ सी मेरे नाल
[अर्थात-- मैने जाना था तेरे पीछे सेअकेला मैं रह जाऊँगा पर
आँसू आहें टीसें पीडा कितना कुछ था मेरे पास]
किने सालाँ तो बेशक तूँ आया नहीं बनेरे ते
फिर वी मेरी नीझ है लगी पौडी वाँग बनेरे ते
[अर्थात--कई सालों से बेशक तू आया नहीं बनेरे पर [बनेरे मतलव मँडेर]
फिर भी मेरी नजर है लगी सीढी की तरह बनेरे से]
की सची तूँ भुल गिया एँ या तैनू ने याद उवें
आये दिन जो सौ सौ वादे कीते सी तू मेरे नाल
[क्या सच तू भूल गया है? या तुझे है याद उसी तरह
आये दिन सौ सौ वादे किये थे जो मेरे साथ ]
इस दुनिया नू जे चाहो ताँ दूर सगों इह भजदी है
लेकिन जे इस नू दुतकारो लिपटे होर वधेरे नाल
[ अर्थात इस दुनिय को गर चाहो तो दूर बल्कि ये भागती है
लेकिन गर इस को दुतकारो लिपटे और बहुत ही साथ ]
तेरे नाल जे तुरदै जे कोई उस दा कोई मतलव है
मतलव नाल इह दुनिया सैणी तेरे नाल ना मेरे नाल
[अर्थात तेरे साथ अगर चलता है तो उसका कोई मतलव है
मतलव साथ ये सारी दुनिया सैणी तेरे साथ ना मेरे साथ्]
अनुवाद ---- निर्मला कपिला
17 comments:
खुबसुरत मिलन है हिन्दी और पंजाबी का ।
नायाब गज़ल बल्बीर सैणी की ।
नया प्रयोग है हिन्दी और पंजाबी का।
स. बल्बीर सैणी जी की गज़ल का आपने
सुन्दर अनुवाद प्रस्तुत किया है।
बहुत-बहुत बधाई।
बहुत सुंदर अनुवाद. आभार आपका और शुभकामनाएं.
रामराम.
jinne sohne bhaav ne, onne sohne lafz vi ne
...........kamaakl kar dittaje
vadhaaiyan !
ghazal mubaraq !
जितनी सुन्दर गजल सैणी जी ने लिखी उसका अनुवाद भी आपने उसी खूबसूरती के साथ किया,बहुत-बहुत आभार् इतनी सुन्दर प्रस्तुति का ।
नायाब गज़ल बल्बीर सैणी की ।बहुत सुंदर अनुवाद आभार आपका ।
वाह बहुत ही शानदार ग़ज़ल लिखा है आपने हिन्दी और पंजाबी का मिलन! मुझे पंजाबी आती है पर थोड़ा बहुत!
बहुत ही खुशी होती है जब आप किसी पंजाबी शायर की रचना लेकर रुबरु होती है ...........बहुत ही अच्छा लगता है और आप ऐसे ही हमे पढवाते रहे .....हम आपके शुक्रगुजार है .....
वैसे पंजाबी समझ में तो आ जाती है परन्तु कहीं कहीं अटक से जाते हैं. आपने बड़ी खूबसूरती से समझना आसान बना दिया. आभार.
आपका ये प्रयास बहुत शानदार है.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
khoobsoorat gazal..........badhayi
जारी रखें.
धन्यवाद ! आपने बलवीर सैणी जी की गज़ल का अनुबाद कर पढ़ने को सुलभ कराया ।
maa prnaam mujhe panjaabi to nahi aati par gajal ka jitni achhi tarah se aap ne anuvaad likha hai bhut hi sundar hai bhut hi behtreen shavdo ka pryog kiya hai aap ne
mera prnaam swikaar kare saadar
praveen pathik
9971969084
मुहब्बत की अभिव्यक्ति का बहुत सुंदर अंदाज है।
इश्क़-सा अंदाज़े-बयाँ है
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अत्यन्त खूबसूरत गजल । पंजाबी की इस गजल की मयअनुवाद प्रस्तुति का आभार ।
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