24 May, 2009


( कविता )

जड
धरती के अन्दर
आँख खोलते ही
वो इठलाती है
बाह्यें फैलाती है
और गर्व से
फूल जाती है
कि उस से ही है
पेड का जीवन
पर उसका अपना
वज़ूद क्या है
आसमान से कम
क्या होगा!
बाहें पसारती है
फल फूल पत्तों से
खुद को सजाती
संवारती है
फिर इन्तज़ार करती है
कोई आयेगा उसे सराहेगा
उसके गुण गायेगा
हाँ बहुत लोग आते हैं
फूलों की महक
फलों के स्वाद्
पत्तों की घनी छाया के
गीत सुनाते हैं
मंदिरों तक मे यही
पूजे जाते हैं
और वो धरती मे
सिकुडी सिमटी
पेड का बोझ उठाये
जमीन से बाहर आने को अधीर
क्यों बोझ उठाये
क्यों अपनी आज़ादी गंवाये
तभी कहीं से आती है
एक आवाज़
जड़ है तो पेड है
बस इतने मे ही
पा लेती है अपना अस्तिव
जब हो जाता है ये बोध्
तब अपना कर्तव्य्
नही लगता बोझ
औरये जड माँ है
वो है तो जहाँ है

10 comments:

श्यामल सुमन said...

सत्य वचन है आपका जड़ जीवन का मूल।
लिख दें जढ को जड़ यहाँ मिट जयेगी भूल।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

P.N. Subramanian said...

"और ये जढ माँ है
वो है तो जहाँ है"
बहुत सुन्दर रचना. आभार.

vandana gupta said...

bahut hi sundar rachan.......sach maa wo jad hai jiske ssaye tale hum surakshit hain.

Yogesh Verma Swapn said...

औरये जड माँ है
वो है तो जहाँ है

wah nirmala ji,aur ye jad sach men bhartiya nari hai.bahut kamaal ka likha hai.

ek kissa yaad aa gaya, swami vivekanand se u.s. men ek vyakti ne sabhi dharmon ki dharmik pustaken dikha kar kaha, swami ji dekhiye sabhi dharmon ki pustaken oopar rakhi hain bhagwadgeeta sabse neeche rakhi hai use koi nahin padhta, swami ji ne kaha bhagwadgeeta neev ki eent hai , wo agar hil gai , oopar ki saari pustaken dharashayi ho jayengi.

to man neenv ki eent hai. aapki kavita ke bhav ko naman.

संध्या आर्य said...

sahi hai .....ek maa hi hoti hai .......jindgi kuchh aisa hi hota hai ........ek aurat ka.

Vinay said...

जीवन का सत्य उजागर करती हुई रचना...

---
चाँद, बादल और शाम

दिगम्बर नासवा said...

Vaah.......lajawaab rachna. Jad to vakai maa hi hai.....poore ped ko paalti hai, seenchti hai......sundar khyaal

दर्पण साह said...

sahi kaha...

...jad aur neev ki ent...
hamesha antarmukhi hot hain...
bolti to bas shakhein aur dewarein hain....

निर्मला कपिला said...

श्यामल सुमन जी
सत्य वचन है आपका
कर ली भूल सुधार
इस कृपा दृ्ष्टि के लिये
बहुत बहुत उपकार
धन्यवाद्

www.dakbabu.blogspot.com said...

Bahut sundar kavita likhi apne...badhai !!
_______________________________
आपने डाक टिकट तो खूब देखे होंगे...पर "सोने के डाक टिकट" भी देखिये. डाकिया बाबू के ब्लॉग पर आयें तो सही !!

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