गज़ल
मेहरबानियों का इज़हार ना करो
महफिल मे यूँ शर्मसार ना करो
दोस्त को कुछ भी कहो मगर
दोस्ती पर कभी वार ना करो
प्यार का मतलव नहीं जानते
तो किसी से इकरार ना करो
जो आजमाईश मे ना उतरे खरा
ऐसे दोस्त पर इतबार ना करो
जो आदमी को हैवान बना दें
खुद मे आदतें शुमार ना करो
इन्सान हो तो इन्सानियत निभाओ
इन्सानों से खाली संसार ना करो
कौन रहा है किसी का सदा यहां
जाने वाले का इन्तज़ार ना करो
मरना पडे वतन पर कभी तो
भूल कर भी इन्कार ना करो
पाप का फल वो देता है जरूर
फिर माफी की गुहार ना करो
12 comments:
sunder rachna ke liye badhai.
कौन रहा है किसी का सदा यहां
जाने वाले का इन्तज़ार ना करो
........ बहुत सुंदर पंक्तियाँ।
प्रेरणादायी ग़ज़ल. आभार..
पाप का फल वो देता है जरूर
फिर माफी की गुहार ना करो
बेहतरीन ग़ज़ल...बधाई...
नीरज
HAR EK SHE'R APNE AAP ME MUKAMMAL HAI BAHOT HI BADHIYA GAZAL PADHWAAYA AAPNE... BADHAAYEE SWIKAAREN... MERI GAZAL PE AAPKA PYAR AUR AASHIRVAAD WAANCHHANIYA HAI...
ARSH
अच्छे विचारों से युक्त यह रचना बहुत ही सुंदर लगी।
सभी शेर उत्तम हैं .साधुवाद.
जो आदमी को हैवान बना दें
खुद मे आदतें शुमार ना करो
wah, mujhe yah sher sabse jyada pasand aaya..
कौन रहा है किसी का सदा यहां
जाने वाले का इन्तज़ार ना करो
yanha thoda saa khatka vo yah ki JAANE VAALE KAA INTZAAR hota he YAA AANE VAALE KAA???
kintu baavzood iske aapki gazal kasoti par khari utarti he.
sadhuvaad
बहुत सुन्दर ग़ज़ल प्रस्तुत की है, मन को भा गयी
aise sher kah ke dil pe dhar na karo!
bahut khub!
awesome gazal...
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