06 January, 2009


भगत सिंह का क्षौभ
आँखोंसे बहती अश्रुधारा को केसे रोकूं
आत्मा से उठती़ क्षौभः कीज्वाला को केसे रोकू
खून के बदले मिली आजादी की
क्यों दुरगति बना डाली है
हर शहीद की आत्मा रोती है
हर जन की नजर सवाली है
क्या होगा मेरे देश का कौन इसे बचाएगा
इन भ्रष्टाचारी नेताओं परं अंकुश कौन लगायेगा
दुख होता है जब मेरी प्रतिमा का
इन से आवरण उठवाते हो
क्यों मेरी कुर्बानी का इन से
मजाक उडवाते हो
पूछो उन से क्या कभी
देश से प्यार किया है
क्या अपने बच्चों को
राष्ट्र्प्रेम का सँस्कार दिया है
या बस नोटों बोटों का ही व्यापार किया है
देख शासकों के रंग ढ्ग
टूटे सपने काँच सरीखे
कौन बचायेगा मेरे देश को
देषद्रोहियों के वार हैं तीखे
मेरे प्यारे देशवासियो
अब और ना समय बरबाद करो
देश को केसे बचाना है
इस पर सोव विचार करो
मुझ याचक क हृ्द्योदगार
जन जन तक् पहुँचाओ
इस देश के बच्चे बच्चे को
देषप्रेम का पाठ पढाओ
सच मानो जब हर घर में
इक भगतसिंह हो जायेग
विश्व गुरू कहलायेगा
चाह्ते हो मेरा कर्ज चुकाना
तो कलम को शमशीर बनाओ
चीर दे सीना सब का
सोये हुये जमीर जगाओ
लिखकर एक अमरगीत
इन्कलाब की ज्वाला जलाओ

6 comments:

Ashutosh said...

madam, bina bharat aur azadi ka matlab logo ko baatye bina hum unhe bhagat singh ko nahi samjha sakte hai!

Ashutosh said...

haamare desh me bhagat singh ko puja ki jaati hai, yahi bhagat singh ke vicharo ke saath dokha hai !

महेन्द्र मिश्र said...

बहुत ही ओजपूर्ण रचना . देश को भगत सिह जैसे लोगो की जरुरत है . आभार

निशाचर said...

दिल से निकले उदगार ....... हर देश वासी यही सोचता है............ सिवाए इन चोर नेताओं के........

राज भाटिय़ा said...

क्या होगा मेरे देश का कौन इसे बचाएगा
इन भ्रष्टाचारी नेताओं परं अंकुश कौन लगायेगा
दुख होता है जब मेरी प्रतिमा का
इन से आवरण उठवाते हो
क्यों मेरी कुर्बानी का इन से
मजाक उडवाते हो
यही आज सब भारतीयो के दिल से निकली आवाज है यह ...
कब तक चलेगा इन बेशरम नेताओ का यह खेल.
धन्यवाद इस सुंदर भावो से भरी कविता के लिये

Unknown said...

इन घटिया नेताओं ने शहीदों के सपने चूर-चूर कर दिए हैं. बहुत ही सशक्त रचना है, वधाई.

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