अखिर क्यों
विस्फोटों की भरमार क्यों है
दुविधा में सरकार क्यों है
आतंकी धडल्ले से आते हैं
सोये पहरेदार क्यो है
सबूतों को झुठलाये पाक
दुश्मन झूठा मक्कार क्यों है
दुश्मन तेरी मानेगा क्या
ऐसा तेरा इतबार क्यों है
जो अपना दोशी ना पकड सका
उस अमरीका से गुहार क्यों है
शेर की माँद के आगे
गीदड की हुंकार क्यों है
अपने दम पर भरोसा कर
फैसले का इन्तजार क्यों है
शराफत से ना मने दुश्मन
चुप तेरी तलवार क्यों है
जो करना है जल्दी करो
आपस में तकरार क्यों है
भारतवासियो जागो अब
बेहोश बरखुरदार क्यों है
9 comments:
बहुत सुंदर. तत्कालिक कार्यवाही की ज़रूरत थी. अभी भी सब ढुलमुल ही तो है. आभार.
http://mallar.wordpress.com
बहुत सुंदर रचना है.......
आप ने बहुत बढ़िया कविता प्रस्तुत की है ---एकदम सटीक टिप्पणी आज के हालातों पर और सब कुछ इतनी सहजता से कह डाला। अच्छा लगा।
एक आम आदमी की भावनाओ और आज के हालात को बखूबी ब्यान किया है |
अब देखो न दूसरा करगिल भी दोहराया जा रहा है |और हमारी सरकार अब भी चुप है |
हमारे ही घर मे घुस कर कोई हमारे ही ऊपर प्रहार करता है और हम दूसरो का मुँह देखते है |
बहुत स्टीक रचना.....सीमा सचदेव
अच्छी रचना है. कुछ इंसान अपनी नाकामयाबियों को छुपाने के लिए नफरत का सहारा लेते हैं. जब तक ऐसे मानसिक बीमार रहेंगे, यह विस्फोट होते रहेंगे.
बहुत सामयिक।
madam, aapne bahut thick likha hai,
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मैं बताऊँ.......??
गर खे रहा है नाव तू
गैर के हाथ पतवार क्यूँ है...?
तू अपनी मर्ज़ी का मालिक है गर
तिरे चारों तरफ़ यः बाज़ार क्यूँ है...??
हर कोई सभ्य है और बुद्धिमान भी
हर कोई प्यार का तलबगार क्यूँ है....??
इतनी ही शेखी है आदमियत की तो
इस कदर ज़मीर का व्यापार क्यूँ है....??
बाप रे कि खून इस कदर बिखरा हुआ...
ये आदमी इतना भी खूंखार क्यूँ है...??
हम जानवरों से बात नहीं करते "गाफिल"
आदमी इतना तंगदिल,और बदहाल क्यूँ है ??
बहुत सुंदर, आज हमारे देश मै भी यही तो हो रहा है, फ़ोज तो शॆरो की है, लेकिन राज गिदडो का है.
धन्यवाद
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