17 November, 2016

गज़ल
मुहब्बत को किसी भी हाल में सौगात मत कहिये

जो गुज़रे हिज्र में उसको सुहानी रात मत कहिये


खुशी से जो दिया उसने यही बस प्यार है उसका

खुदा की नेमतें कहिए  इन्हें खैरात मत कहिये *


कहीं पर भी न उलझेगी कहानी फिर मुहब्बत की

 किसी से तल्ख़ लहजे में ज़रा सी बात मत कहीए


कोई उसको दिल ए बीमार का दे दे पता जाकर"

तड़पती हूँ मैं उसके वास्ते दिन रात  मत कहिये


सियासत दिल में नफरत के हमेशा बीज बोती है

सियासत है ज़माने में किसी के(  साथ) मत कहिए

   
 ख्यालों के परिंदों को अगर परवाज़ से रोका"

 ज़ुबाँ पर फिर हमारी आएंगे  नगमात मत कहिये


शराफत आज तक ज़िंदा है जिसके दम से दुनियां में"

वो आला मरतबत है शख़्स कम औकात मत कहिये।


ग़रीबी असमतें भी ला के बाज़ारों में रखती है"

बहुत मजबूरियां होंगी उसे बदज़ात मत कहिये


मैं अपनी हर खुशी लिखती हूँ उसको नाम ऐ निर्मल

मुहब्बत में हो मेरी जीत उसकी मात मत कहिये

5 comments:

Maheshwari kaneri said...

badhiyaa gajal

Pammi singh'tripti' said...

बहुत खूब लिखा है आपने..

सु-मन (Suman Kapoor) said...

बहुत बढ़िया

Unknown said...

Great post. Check my website on hindi stories at afsaana
. Thanks!

Archana Chaoji said...


कहीं पर भी न उलझेगी कहानी फिर मुहब्बत की

किसी से तल्ख़ लहजे में ज़रा सी बात मत कहीए।

बहुत खूब कहा ...👍

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