29 August, 2014

दोहे

चलिये आज कुछ पुराने दोहे लिख कर काम चला लेते हैं

कौन  बिछाये बाजरा कौन चुगाये चोग
देख परिन्दा उड गया खुदगर्जी से लोग

इधर भिखारी भूख मे उधर बुतों पर भोग
कैसी है ये आस्था   भूले रस्ता लोग

सबकी करनी देख कर लिखता वो तकदीर
बिना बनाये मांगता क्यों कर मीठी खीर

लुप्त हुई खग जातियां छोड गयी कुछ देश
कहां बनायें घोंसले  पेड रहे ना  शेष

23 August, 2014

दिव्य अनुभूति-- कविता

दिव्य अनुभूति

 ये कैसी है अनुभूति
 कैसा है अनुराग
 मेरे अंतस मे
 तेरे सौरभ की
 रजत किरणों का आभास
 मुझे लिये जाता है
 अनन्त आकाश की ओर
 जहां मै तू है
 और तू मै हू
 सब एक हो जाता है
हां यही है दिव्य अनुभूती
 दिव्य अनुराग
 तेरे सौरभ की
 रजत किरणों का आभास

29 July, 2014

चेकिन्ग प्लीज़
 मेरे ब्लोग पर मेरि पोस्ट दिखाई नही दे रही, क्या कोई मेरि सहायता करेगा? ब्लोग एग्रिगेटर पर भी दिखाई   नही दे रही शायद मै ही सब कुछ  भूल गयी हूँ. ये पोस्ट् केवल चेक करने के लिये लिख रही हूं.

13 July, 2014

गजल 

प्यार मे फकीर हूँ
वक्त की जंजीर हूँ

आत्मा तो मर गयी
सिर्फ इक शरीर हूँ

वश नहीं चला कहीं
हाथ की लकीर हूं

मांगता उधार जब
मारता जमीर हूँ

चार शब्द लिख लिये
सोचता  कबीर हूँ

कुछ पता नहीं कि क्यों
 आज मै अधीर हूँ

हूँ तो मै गरीब ही
दिल का पर अमीर हूँ

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