12 March, 2011

 दोहे

कौन बिछाये बाजरा कौन चुगाये चोग
 देख परिन्दा उड गया खुदगर्जी से लोग

लुप्त हुयी कुछ जातियाँ छोड गयीं कुछ देश \
ठौर ठिकाना ना रहा पेड रहे ना शेष

कौन करेगा चाकरी कौन उठाये भार
खाने को देती नही कुलियों को सरकार

धन दौलत हो जेब मे ,हो जाते सब काम
कलयुग के इस दौर मे  चुप बैठे हैं राम

जहाँ जिधर भी देख लो रहती भागम भाग
 देख लगे जैसे सभी चले बुझाने आग

62 comments:

डॉ. मनोज मिश्र said...

कौन बिछाए बाजरा . ....
------------

सभी दोहे एक से बढ़ कर एक हैं,बहुत सुंदर ,आभार.

डॉ. मोनिका शर्मा said...

बड़े सटीक और प्रासंगिक विचार लिए दोहे..... बहुत सुंदर

केवल राम said...

धन दौलत हो जेब में,हो जाते सब काम
कल युग के इस दौर में, चुप बैठे हैं राम

आदरणीय निर्मला कपिला जी

सादर प्रणाम
दोहे सशक्त भावाभियक्ति का माध्यम है , आपके इन दोहों में जीवन के आन्तरिक और वाह्य पक्षों का बखूबी वर्णन हुआ है ....!

Swarajya karun said...

आज के मानव जीवन की विसंगतियों की सहज लेकिन सशक्त अभिव्यक्ति. आभार .

इस्मत ज़ैदी said...

kya baat hai nirmala ji !is vidha ko bachane kaa zimma le kar ap ne sachchi kavitri hone ka suboot diya hai
badhai aur shubhkamnaen !

PAWAN VIJAY said...

देखन में छोटन लगे घाव करे गंभीर
बहुत सुन्दर

Learn By Watch said...

मुझे तो तीसरा सबसे अच्छा लगा

दर्शन कौर धनोय said...

Bahut sundar dohe likhe haae aapne badhai !

रश्मि प्रभा... said...

sabhi dohon ka purjor asar hai

Satish Saxena said...

कमाल के, बेहतरीन सन्देश देते दोहे लिख रहीं हैं आप ! हार्दिक शुभकामनायें !!

संजय कुमार चौरसिया said...

सभी दोहे एक से बढ़ कर एक हैं,बहुत सुंदर

abhi said...

bahut achhi baat kahi hai aapne nirmla aunty....
aaj ke vartmaan parideshya mein fit baithti hai :)

Smart Indian said...

बहुत सुंदर!

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

वाह जी बहुत सुंदर.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सटीक दोहे ...सुन्दर प्रस्तुति

devendra gautam said...

अच्छे दोहे हुए हैं.....बधाई!

अरुण चन्द्र रॉय said...

आज के मानव जीवन की विसंगतियों की सशक्त अभिव्यक्ति....सटीक दोहे!!!

Santosh Pidhauli said...

होली की अपार शुभ कामनाएं...बहुत ही सुन्दर ब्लॉग है आपका....मनभावन रंगों से सजा...

धीरेन्द्र सिंह said...

सजग और सामयिक दोहे सीधे मन में पैठ बनाते हैं।

अन्तर सोहिल said...

आज के परिवेश में बहुत सटीक

प्रणाम स्वीकार करें

मनोज कुमार said...

दीदी,
कमाल के दोहे हैं। सब एक से एक संदेश देते हुए।

vandana gupta said...

सभी दोहे एक से बढ़ कर एक है……सुन्दर संदेश देते हैं।

संध्या शर्मा said...

धन दौलत हो जेब में,हो जाते सब काम
कल युग के इस दौर में, चुप बैठे हैं राम...

हर दोहे में एक गहरा भाव व सन्देश है.. सुन्दर रचना...

डॉ टी एस दराल said...

वाह जी वाह । बहुत सुन्दर दोहे लिखे हैं । बधाई ।

संजय @ मो सम कौन... said...

वाह निर्मला दी,
सभी दोहे खूबसूरत हैं, ’धन दौलत हो जेब में, हो जाते सब काम’ वाला ’द बैस्ट’ लगा।
शुभकामनायें।

Kunwar Kusumesh said...

पाचों दोहे समय की नब्ज टटोलते हुए बहुत सुन्दर.

ZEAL said...

बेहद सटीक अवलोकन। कलियुग का बेहतरीन चित्रण ।

ताऊ रामपुरिया said...

बेहद सटीक और सामयिक, शुभकामनाएं.

रामराम.

दिगम्बर नासवा said...

Waah .. lajawab dohe hain sab ... sach mein aaj raam nazar nahi aate ..

प्रवीण पाण्डेय said...

सटीक व सामयिक दोहे।

Anonymous said...

निम्मो दी! अब तो आपके दोहे सुभाषित की श्रेणी में आते जा रहे हैं. प्रेरक दोहे!!

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

निम्मो दी! अब तो आपके दोहे सुभाषित की श्रेणी में आते जा रहे हैं. प्रेरक दोहे!!

देवेन्द्र पाण्डेय said...

..अंतिम दोहा बहुत अच्छा लगा।

देवेन्द्र पाण्डेय said...

..अंतिम दोहा बहुत अच्छा लगा।

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

वह वह वाह क्या दोहे हैं, अच्छे लगे!

राज भाटिय़ा said...

धन दौलत हो जेब में,हो जाते सब काम
कल युग के इस दौर में, चुप बैठे हैं राम
आप की रचना आज के युग का सत्य हे जी, सभी दोहे बहुत अच्छे लगे धन्यवाद

Sadhana Vaid said...

बहुत सुन्दर और सार्थक दोहे, जीवन मूल्यों को समझाते से ! बधाई एवं आभार !

वाणी गीत said...

धन दौलत हो जेब में हो जाते सब काम
कलयुग के इस दौर में चुप बैठे है राम ...
अभी जापना की सुनामी के दौर से बाहर नहीं निकले ..कितनी जेबों में पैसे धरे ही रह गए होंगे ...
सभी दोहे एक से बढ़कर एक है !

शिक्षामित्र said...

सुन्दर भाव। एक ही बार में याद हो जाने योग्य।

महेन्‍द्र वर्मा said...

धन दौलत हो जेब में, हो जाते सब काम।
कलियुग के इस दौर में, चुप बैठे हैं राम।

आजकल की परिस्थिति का बखूबी चित्रण है इन दोहों में।

Khushdeep Sehgal said...

धन दौलत जेब में हो जाते सब काम...

लेकिन कफ़न में तो जेब नहीं होती...

जय हिंद...

mridula pradhan said...

bahut manoranjak dhang se sach baat likh din....

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

बहुत बढ़िया दोहे, आज की हकीकत बयान करते..

Udan Tashtari said...

वाह जी, बहुत बढ़िया दोहे सुनाये आपने.

मेरे भाव said...

व्यापक अर्थ लिए सभी दोहे . शुभकामना .

सदा said...

बहुत बढ़िया दोहे ...एक से बढ़कर एक ।

DR.ASHOK KUMAR said...

बहुत ही सार्थक दोहे है । विचारपरक भावाभिक्ति से सजे दोहे । आभार निर्मला जी ।

"दो पल ना रूके वो हमेँ मुदद्तोँ से इंतजार था "

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

वर्तमान को परिभाषित करते..... सभी दोहे समर्थ और सुन्दर

Riya Sharma said...

AAKHIRI KE DONO DOHE ..SHAANDAAR & ARTHPURN ...NAMASKAAR :)

पूनम श्रीवास्तव said...

aadarniy mam
aapki dohe ki har panktiyan sachhai se bharpur hain.ye bhi sach hai ki shayad bhagvaan bhi baithe -baithe is duniya ko tamashai banakar kalyug shabd ko charitarth karne ke liye chuuppi sadhe sab kuchh dekh kar bhi
anjaan se bane hain .
bahut hi yatharth-purn v- sateek abhivyakti
bahut bahut abhinandan
poonam

रंजना said...

बहुत बहुत सही कहा...

सार्थक दोहे...

Arvind Mishra said...

मारक दोहे ...

ghughutibasuti said...

बहुत सही. बहुत सुन्दर.
घुघूती बासूती

शारदा अरोरा said...

vaah ji vaah... maja aa gaya

Urmi said...

आपकी टिपण्णी और उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
बहुत सुन्दर और शानदार दोहे! बेहतरीन प्रस्तुती!

POOJA... said...

सारे दोहे... एक से बढ़कर एक... एवं सटीक...

Rakesh Kumar said...

क्या शानदार अभिव्यक्ति है यथार्थ की .
कबीरदासजी ने शायद इसीलिये कहा होगा
"मन पाँचों के बस परा,मन के बस नहीं पांच
जित भागू तित दयों लगी,जित देखूं तित आग"
मेरे ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा'पर आपके आने का बहुत बहुत आभारी हूँ.होली की हार्दिक शुभकामनाएँ.

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

धन दौलत हो जेब में, हो जाते सब काम
कलयुग के इस दौर में चुप बैठे हैं राम...

वाह्! बेहतरीन...सब के सब एक से बढकर एक.. वर्तमान की हकीकत ब्याँ करते हुए.
आभार्!

rashmi ravija said...

धन दौलत हो जेब में,हो जाते सब काम
कल युग के इस दौर में, चुप बैठे हैं राम...

बहुत ही गहरे भाव लिए हैं सारे दोहे.

विशाल said...

बहुत ही बढ़िया लिखा है आपने.

ख़ास कर

धन दौलत हो जेब में, हो जाते सब काम
कलयुग के इस दौर में चुप बैठे है राम

जितनी तारीफ़ करूँ, कम है.
आप हम जैसे लोगों के प्रेरणा स्त्रोत हैं.
ढेरों सलाम.
काम की व्यस्तता के चलते देर से पहुंचा .
मुआफी चाहूंगा.

संजय भास्‍कर said...

वाह्! बेहतरीन...सब के सब एक से बढकर एक

Dwarka Baheti 'Dwarkesh' said...

'गागर में सागर' से लगे मोहे.
आपके ये सटीक व सुन्दर दोहे.

पोस्ट ई मेल से प्रप्त करें}

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner