गज़ल
गज़ल से पहले सजा जरूर पढें
उम्र कैद की सजा पर सुनवाई तो 30 अक्तूबर को ही हो चुकी थी। मगर इसके चलते कुछ 'अपने' घर मे जश्न मनाने को लगे हुये थे, ऊपर से दीपावली की तैयारियाँ, जिस कारण उस जजमेन्ट की कापी देर से आयी। उसे आपसे बांटना इस लिये अच्छा लगा कि ब्लागर्ज़ दिल से बहुत अच्छे हैं और सुख दुख की घडी मे सब के साथ रहते हैं । फिर झट से टिप्पणियाँ उठाये भागते हैं जैसे ये आँसू पोंछने के लिये रुमाल का काम करती हों। हाँ मेरे लिये तो करती हैं इसलिये , भले देर से ही सही उन्हें दिल की बात बतानी चाहिये।अपने अपने रुमाल यहाँ कमेन्ट बाक्स मे रख जाईये,आँसू पोंछती रहूँग सात जन्मों तक।तो अब आप भी आनन्द लीजिये उस जजमेन्ट का।
मुजरिमा की उम्र कैद की सजा के 38 वर्ष पूरे हुये, मगर इस सजा के दौरान भी मुज़रिमा ने कोई सबक नही सीखा। अपने व्यवहार,हुस्न और अदाओं से पती को परेशान करती रही। घर के गृह मन्त्री की कुर्सी भी अपनी चालों से हथिया ली। जिससे बेचारा पती केवल एक अदद "पती" बन कर रह गया और विशुद्ध भारतीय पुरुष न बन सका। अपने मौलिक अधिकार "स्वतन्त्रता की अभिव्यक्ति" का इतने सालों से उपयोग न कर सका। न कभी गाली गलौच की, न पत्नी पर हुक्म चलाया जा सका, न ही घर मे अपनी मनमानी कर सका। जहाँ तक की कभी एक कश सिग्रेट या कभी एक पेग पीने की अनुमती नही दी गयी। जो कुछ वो बना कर देती वही उसे खाना पडता। ऐसे कई संगीन अपराधों को देखते हुये ये अदालत इस नतीजे पर पहुँची है कि मुज़रिमा के ये संगीन अपराध क्षमा योग्य नही। इस लिये उसके चाल चलन को देखते हुये अदालत मुजरिमा की सजा को बढा कर सात जन्मों की उम्र कैद मे बदल देने का हुक्म सुनाती है। भगवान को नोटिस भेज दिया जाये कि इस हुक्म की तामील सख्ती से हो। साथ मे उसे एक गज़ल सुनाने की सजा भी दी।
पहले सोचा इस सुखद{या दुखद?}घडी { अपने अपने हिसाब से} क्या बाँटना। मगर फिर सोचा सुख बाँटने से दोगुना होता है और दुख आधा रह जाता है, तो दोनो की मुराद पूरी हो जायेगी, मुजरिमा की भी और कुछ "अपनों" की भी । सब से बडी बात उनके बच्चे, अमेरिका जैसे खुले वातावरण से आयी बेटी ने भी इस बन्धन पर खुशी कर अपने भारतीय संस्कारों का परिचय दे डाला। क्या सीख कर आये अमेरिका से? क्या नारी कभी इस बन्धन से आज़ाद नही होगी? दामाद जी ने तो और भी फुर्ती दिखाई, झट से केक भी ले आये।सासू को जलाने का इस से अच्छा अवसर और कौन सा हो सकता था? इस तरह मुजरिमा की सजा पर खुशियाँ मनाई गयी। मगर उसे कोई अवसर अपनी सफाई के लिये नही दिया गया।
] गज़ल? मुजरिमा ने भी इधर उधर से कुछ शब्द इकट्ठे किये और जो मन मे आया सो कह दिया।खरा खोटा आप बतायें। पोस्ट लिखने की जल्दी मे अपने गुरू जी का आशीर्वाद नही लिया जा सका। जानती हूँ सजा तो माफ होने से रही। फिर भी कोई गलती निकाल सके तो आभारी हूँगी।
सुनिये उसने क्या गज़ल कही
उसकी आँखों मे हर बार नज़र आता है
सच्चाई नज़र आती प्यार नज़र आता है
जाऊँ पल भर को भी दूर कहीं मै घर से
सपनों मे भी बस घर बार नज़र आता है
छप्पन भोग लगाऊँ या घर रोज़ सजाऊँ
जिस दिन वो ना हो बेकार नज़र आता है
कितने भी सुख, दुख, चिन्ता के दिन हों चाहे
साथ उसके हर दिन त्यौहार नज़र आता है
है मुश्किल पावन बन्धन का कर्ज़ निभाना
पर ये औरत का शिंगार नज़र आता है
जन्मों तक का साथ निभाऊँ? तौबा, तौबा
एक जन्म मुझे तो सौ बार नज़र आता है
मिंयाँ बीवी का झगडा, निर्मल क्या झगडा
प्यार से भी प्यारा तकरार नज़र आता है
गज़ल से पहले सजा जरूर पढें
उम्र कैद की सजा पर सुनवाई तो 30 अक्तूबर को ही हो चुकी थी। मगर इसके चलते कुछ 'अपने' घर मे जश्न मनाने को लगे हुये थे, ऊपर से दीपावली की तैयारियाँ, जिस कारण उस जजमेन्ट की कापी देर से आयी। उसे आपसे बांटना इस लिये अच्छा लगा कि ब्लागर्ज़ दिल से बहुत अच्छे हैं और सुख दुख की घडी मे सब के साथ रहते हैं । फिर झट से टिप्पणियाँ उठाये भागते हैं जैसे ये आँसू पोंछने के लिये रुमाल का काम करती हों। हाँ मेरे लिये तो करती हैं इसलिये , भले देर से ही सही उन्हें दिल की बात बतानी चाहिये।अपने अपने रुमाल यहाँ कमेन्ट बाक्स मे रख जाईये,आँसू पोंछती रहूँग सात जन्मों तक।तो अब आप भी आनन्द लीजिये उस जजमेन्ट का।
मुजरिमा की उम्र कैद की सजा के 38 वर्ष पूरे हुये, मगर इस सजा के दौरान भी मुज़रिमा ने कोई सबक नही सीखा। अपने व्यवहार,हुस्न और अदाओं से पती को परेशान करती रही। घर के गृह मन्त्री की कुर्सी भी अपनी चालों से हथिया ली। जिससे बेचारा पती केवल एक अदद "पती" बन कर रह गया और विशुद्ध भारतीय पुरुष न बन सका। अपने मौलिक अधिकार "स्वतन्त्रता की अभिव्यक्ति" का इतने सालों से उपयोग न कर सका। न कभी गाली गलौच की, न पत्नी पर हुक्म चलाया जा सका, न ही घर मे अपनी मनमानी कर सका। जहाँ तक की कभी एक कश सिग्रेट या कभी एक पेग पीने की अनुमती नही दी गयी। जो कुछ वो बना कर देती वही उसे खाना पडता। ऐसे कई संगीन अपराधों को देखते हुये ये अदालत इस नतीजे पर पहुँची है कि मुज़रिमा के ये संगीन अपराध क्षमा योग्य नही। इस लिये उसके चाल चलन को देखते हुये अदालत मुजरिमा की सजा को बढा कर सात जन्मों की उम्र कैद मे बदल देने का हुक्म सुनाती है। भगवान को नोटिस भेज दिया जाये कि इस हुक्म की तामील सख्ती से हो। साथ मे उसे एक गज़ल सुनाने की सजा भी दी।
पहले सोचा इस सुखद{या दुखद?}घडी { अपने अपने हिसाब से} क्या बाँटना। मगर फिर सोचा सुख बाँटने से दोगुना होता है और दुख आधा रह जाता है, तो दोनो की मुराद पूरी हो जायेगी, मुजरिमा की भी और कुछ "अपनों" की भी । सब से बडी बात उनके बच्चे, अमेरिका जैसे खुले वातावरण से आयी बेटी ने भी इस बन्धन पर खुशी कर अपने भारतीय संस्कारों का परिचय दे डाला। क्या सीख कर आये अमेरिका से? क्या नारी कभी इस बन्धन से आज़ाद नही होगी? दामाद जी ने तो और भी फुर्ती दिखाई, झट से केक भी ले आये।सासू को जलाने का इस से अच्छा अवसर और कौन सा हो सकता था? इस तरह मुजरिमा की सजा पर खुशियाँ मनाई गयी। मगर उसे कोई अवसर अपनी सफाई के लिये नही दिया गया।
] गज़ल? मुजरिमा ने भी इधर उधर से कुछ शब्द इकट्ठे किये और जो मन मे आया सो कह दिया।खरा खोटा आप बतायें। पोस्ट लिखने की जल्दी मे अपने गुरू जी का आशीर्वाद नही लिया जा सका। जानती हूँ सजा तो माफ होने से रही। फिर भी कोई गलती निकाल सके तो आभारी हूँगी।
सुनिये उसने क्या गज़ल कही
उसकी आँखों मे हर बार नज़र आता है
सच्चाई नज़र आती प्यार नज़र आता है
जाऊँ पल भर को भी दूर कहीं मै घर से
सपनों मे भी बस घर बार नज़र आता है
छप्पन भोग लगाऊँ या घर रोज़ सजाऊँ
जिस दिन वो ना हो बेकार नज़र आता है
कितने भी सुख, दुख, चिन्ता के दिन हों चाहे
साथ उसके हर दिन त्यौहार नज़र आता है
है मुश्किल पावन बन्धन का कर्ज़ निभाना
पर ये औरत का शिंगार नज़र आता है
जन्मों तक का साथ निभाऊँ? तौबा, तौबा
एक जन्म मुझे तो सौ बार नज़र आता है
मिंयाँ बीवी का झगडा, निर्मल क्या झगडा
प्यार से भी प्यारा तकरार नज़र आता है
65 comments:
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छप्पन भोग लगाऊँ या घर रोज़ सजाऊँ
जिस दिन वो ना हो बेकार नज़र आता है..
Very touching lines.
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khoobsurat prastuti...
happy diwali to you and your family.
भूमिका तो लगती शिकायतनुमा है,
ग़ज़ल में मगर, आभार नज़र आता है !
कुल मिलकर ग़ज़ल की नीयत है उम्दा,
नुख्स निकाल कर कौन वक़्त गंवाता है ...
बहुत बढ़िया , लिखते रहिये, आशा है आपकी बची हुई बामशक्कत सजा भी मज़े में गुज़र जाएगी
कितने सुख दुख चिंता के दिन हों चाहे,
साथ उसके हर दिन त्यौहार नज़र आता है।
शानदार ग़ज़ल।
आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की मंगलकामनाएं।
सुन्दर अभिव्यक्ति...
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं...
छप्पन भोग लगाऊँ या घर रोज़ सजाऊँ
जिस दिन वो ना हो बेकार नज़र आता है..
waaaah bahut badhiyaa ... shubhkamnayen
बहुत शानदार गजल..
प्यार और तकरार, दो पहलू हैं जीवन के।
बिल्कुल अलग ही अंदाज़ रहा इस बार..
बहुत अच्छा लिखा है...
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं.
बहुत सुन्दर!
भैया, आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामना!
वैवाहिक वर्षगांठ पर देरी से हार्दिक शुभकामनायें
और इस सुन्दर लेख और इस गजल के लिये आभार
प्रणाम स्वीकार करें
दीपावली के इस पावन पर्व पर ढेर सारी शुभकामनाएं
निर्मला जी, विवाह की 38 वीं वर्षगांठ पर हार्दिक बधाई। आपका प्रेम हमेशा ऐसा ही बना रहे। आपने पति को पती लिखा है, बस उसे ठीक कर लें, क्योंकि पति हमेशा छोटा और पत्नी हमेशा बड़ी होती है। हा हा हा हा। मोना और संदीप को हमारा आशीष कहिए।
आप को सपरिवार दिवाली की शुभ कामनाएं.
एक अलग अंदाज.....बेहद खुबसूरत ग़ज़ल
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं.
regards
30 अक्टूबर को विवाह की सालगिरह के लिए बधाई ...और गज़ल तो बहुत खूब कही है ..पूरी ज़िंदगी का सार ...
दीपावली की शुभकामनायें
aapko shaadi की warshganth की dher saari shubhkaamnayein... aapka waiwaahik jeewan hamesha सुखद aur khushhaal rahe...
ग़ज़ल भी बहुत बढ़िया ...
मेरे ब्लॉग पर इस बार सुनहरी यादों में संगीता जी की रचना...
सुनहरी यादें :-३ ...
सुकोमल मनोभावों की संवेदनापूर्ण रचना
सबसे पहले तो वैवाहिक वर्षगांठ की हार्दिक बधाई………॥
यही तो जीवन का रस है …………जो आपने गज़ल मे उतारा है…………बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें।
संवेदना पुर्ण सुंदर कविता,
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
निर्मला जी, विवाह की 38 वीं वर्षगांठ पर हार्दिक बधाई। दीपावली की शुभकामनायें
Bahut ki khubsurat prastuti mata ji,
diwali ki bahut-2 sumbhkamnaye
प्रेम मूल्यवान है। आपने इस शाश्वत तत्त्व को गरिमा प्रदान कर चिरस्थायी संदेश दिया है। ग़ज़ल के भावों को केवल महसूस किया जा सकता है।
सुंदर प्रस्तुति . दीपावली के शुभ अवसर पर आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें
छप्पन भोग लगाऊँ या घर रोज़ सजाऊँ
जिस दिन वो ना हो बेकार नज़र आता है..
khubshurat panktiyan di....
waise puri gajal shandaar!!
ho bhi kyon na, rachnakaar aap jo ho..:D
deepawali ki jagmag karti hui subhkamnayen aapko........:)
जीवन में प्रकाश ही प्रकाश हो,व्यवहार एवं कर्म की पवित्रता हो,ह्रदय में मधुरता का वास हो, इस मंगलकामना के साथ आपको सपरिवार दीपोत्सव की अनन्त शुभकामनाऎँ!!!
निर्मला जी,
आपको दीपावली की ढेरों शुभकामनायें ...
ग़ज़ल सुन्दर है ... बिलकुल practical ...
खास कर ये शेर बेहतरीन है -
मिंयाँ बीवी का झगडा, निर्मल क्या झगडा
प्यार से भी प्यारा तकरार नज़र आता है
इस सजा के लिए भी हम तो आपको बधाई ही देंगे । कितनी खूबसूरती से आपने दिल के उदगार प्रकट किये हैं ।
बहुत बधाई एवम शुभकामनायें ।
दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !
सुंदर अभिव्यक्ति........
दिवाली हार्दिक शुभकामनाये....
बहुत ही सुंदर, आपको परिवार एवं इष्ट स्नेहीजनों सहित दीपावली की घणी रामराम.
रामराम
आप को शादी की साल गिरह पर बहुत बहुत शुभकामनाये.
आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामाएं
बहुत सुंदर गज़ल लिखी खास तोर पर समर्पण के भाव साथ निज आज़ादी की भावना ने रस भर दिया है .
shubh dipawali.
रफत आलम
दिवाली की शुभकामनायें... सादर
जजमेंट के खिलाफ अपील नहीं की जा सकती क्या?........ अढ़तीस वर्षों की सजा कोई कम होती है क्या?.............!अच्छा रेखांकन है. बहुत ही खूबसूरत........बधाई!
बहुत अच्छा लिखा है...
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं.
Happy Wedding anniversary ! Gazal badi sateek hai par man hee man men to sat janmo ka bandhan hee chahiye hai na ?
Aapke poore pariwar ko Shubh deepawali.
वैवाहिक वर्षगांठ की बधाई....
सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल 'समीर'
आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को दीपावली पर्व की ढेरों मंगलकामनाएँ!
प्रदूषण मुक्त दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
दीपावली के इस शुभ बेला में माता महालक्ष्मी आप पर कृपा करें और आपके सुख-समृद्धि-धन-धान्य-मान-सम्मान में वृद्धि प्रदान करें!
वैवाहिक वर्षगाँठ की बहुत बहुत बधाई!!
एक नोक-झोंक, प्यार और तकरार को संजोए एक सुंदर ग़ज़ल...बेहद खूबसूरत ग़ज़ल और सारे शेर कमाल के है...उम्दा पोस्ट के लिए बधाई..दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ...प्रणाम माता जी
दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें !
प्रणाम माता जी
मनोभावों की संवेदनापूर्ण रचना
.दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ...
इस ज्योति पर्व का उजास
जगमगाता रहे आप में जीवन भर
दीपमालिका की अनगिन पांती
आलोकित करे पथ आपका पल पल
मंगलमय कल्याणकारी हो आगामी वर्ष
सुख समृद्धि शांति उल्लास की
आशीष वृष्टि करे आप पर, आपके प्रियजनों पर
आपको सपरिवार दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं.
सादर
डोरोथी.
wish u a happy diwali and happy new year
चिरागों से चिरागों में रोशनी भर दो,
हरेक के जीवन में हंसी-ख़ुशी भर दो।
अबके दीवाली पर हो रौशन जहां सारा
प्रेम-सद्भाव से सबकी ज़िन्दगी भर दो॥
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
सादर,
मनोज कुमार
सुंदर रचना.
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ.
आदरणीय निर्मला जी,
आपको, परिजनों एवम मित्रों को दीवावली मंगलमय हो!
आप को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
मैं आपके -शारीरिक स्वास्थ्य तथा खुशहाली की कामना करता हूँ
दीपावली की असीम-अनन्त शुभकामनायें.
निर्मला दी विवाह की वर्षगाँठ पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं ! देर से आने के लिये क्षमाप्रार्थी हूँ ! दीपावली के अवसर पर स्वास्थ्य, सुख, समृद्धि और धनधान्य से आपका घर परिपूर्ण रहे यही मंगलकामना है और आपकी 'सज़ा' सात जन्मों की 'उम्रकैद' में तब्दील हो इश्वर से यही दुआ है ! विश्वास है देरी के लिये मुझे क्षमा ज़रूर करेंगी ! कारण बता कर आपको बोर नहीं करूँगी !
मैं थोड़ा उलझा रहा घर-परिवार और त्योहार में, सो देर से आ सका।
इधर मेरे छोटे बेटे अर्चित (5 वर्षीय) को Jaundice हो गया है, वह तो एक बड़ा कारण था ही!
इस ‘स्वयं गवाह’ के उपर्युक्त दोनों बयानात को मद्दे-नज़र रखते हुए यदि आपकी समाजवादी अदालत मेरे विलम्ब के लिए क्षमा दे सकी, तो मुझे ख़ुशी होगी... आमीन!
आप इस इंगित एवं मधुर उम्रक़ैद में यूँ ही विनत भाव से बनी रहें...तथास्तु!
आपको एवं आपके परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें!
विवाह की 38 वीं वर्षगांठ पर हार्दिक बधाई ... deri से aane की liya kshama ....
बहुत ही लाजवाब और umda GAZAL है ... sundar prastuti है ....
aadarniy mam,
vandana ji ke comment ko padh kar pata chala ki aapki shaadi ki varshhgaanth hai,to sabse pahle aapko is shubh din ki bahut bahut hardik badhai.ha!meeth khaane ko to nahi milega par koi baat nahi aapke aashirvaad se badh kar aur achhi cheej kya ho sakti hai.
aapka aalekh aur aapki gazal dono hi baht hi badhiya lagin.bahit hi shandaar prastuti.
कितने सुख दुख चिंता के दिन हों चाहे,
साथ उसके हर दिन त्यौहार नज़र आता है।
छप्पन भोग लगाऊँ या घर रोज़ सजाऊँ
जिस दिन वो ना हो बेकार नज़र आता है..
ye laine bahut pasand aain.
poonam
भूमिका तो लगती शिकायतनुमा है,
ग़ज़ल में मगर, आभार नज़र आता है !
कुल मिलकर ग़ज़ल की नीयत है उम्दा,
नुख्स निकाल कर कौन वक़्त गंवाता है ...
gajal itanI suNdar hai...har pankti suMdar lag rahi hai!..badhaai!
कितने सुख दुख चिंता के दिन हों चाहे,
साथ उसके हर दिन त्यौहार नज़र आता है।
छप्पन भोग लगाऊँ या घर रोज़ सजाऊँ
जिस दिन वो ना हो बेकार नज़र आता है..
...bahut hi achhi lagi ye pankiyan...Aabhar
कितने सुख दुख चिंता के दिन हों चाहे,
साथ उसके हर दिन त्यौहार नज़र आता है।
sachmuch ---
deepotsav ki hardik shubhkamnayein
nirmala ji Saadar abhivaadan... aapki post bahut acchi lagi..kal charchamanch pe ise rakhubgi... aapka aabhaar
nirmala ji Saadar abhivaadan... aapki post bahut acchi lagi..kal charchamanch pe ise rakhubgi... aapka aabhaar
निर्मला जी अपने अंदर के मनोभावों को बड़ी ही ईमानदारी से और सादगी के साथ बयान कर देती हैं आप|
sundar abhivyakti!
ग़ज़ल की भूमिका भी ग़ज़ल जितनी ही दमदार है...। वाह ! क्या बात कही...बहुत-बहुत बधाई...।
प्रियंका
bahut sunder ghazal
baaki saare ghazal bhi bahut acche hain
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