16 October, 2009

गज़ल

एक और कोशिश की है सही या गलत आप बतायें

सपने सुन्दर उजियारे देख
मौसम के अजब नज़ारे देख

देख घटा शरमाये उसको
नैना उस के कजरारे देख

चोर उच्चकों की दुनिया है
संसद के गलियारे देख

मजहब का ओढ नकाब रहे
मानवता के हत्यारे देख

जूतमजूत चले संसद मे
अब मुफतो मुफत नज़ारे देख

रक्षक,भक्षक जब बन बैठे
तो इन को कौन सुधारे देख

गीत गज़ल लिख वक्त गुजारें
सब तन्हाई के मारे देख

आँखों मे जिसको रखते थे
बह गए बन आँसू खारे देख

उसकी यादें रोज़ रुलायें बस
दर्द-ए-दिल के मारे देख

43 comments:

अजित गुप्ता का कोना said...

सब तन्‍हाई के मारे देख। सत्‍य है निर्मला जी। इस ब्‍लागिंग की दुनिया में हम सक तन्‍हाई से ही पीडित हैं तभी तो एक दूसरे का सहारा बन रहे हैं। अच्‍छी रचना के लिए बधाई।

Unknown said...

"चोर उचक्कों की दुनिया है
संसद के गलियारे देख"

अच्छी और सफल कोशिश!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

चोर उच्चको की दुनिया है,
संसद के गलियारे देख !
मजहब का ओढ़ नकाब रहे,
मानवता के हत्यारे देख !!

बहुत ही सुन्दर, निर्मला जी, बहुत प्यारी गजल ! आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये !

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

सब तन्हाई के मारे देखआँखों मे जिसको रखते थेबह गए बन आँसू खारे देखउसकी यादें रोज़ रुलायेंबस दर्द-ए-दिल के मारे देख.........

bahut achchi lagi yeh gazal..........

aapko deepawali ki haardik shubhkaamnayen..........

Urmi said...

बहुत ही सुंदर रचना लिखा है आपने ! आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !

दिनेशराय द्विवेदी said...

रचना बहुत अच्छी है। ग़ज़ल की शर्तें पूरी करती है या नहीं यह तो कोई उस्ताद ही बता सकता है।

Mishra Pankaj said...

आपको और आपके परिवार दीपावली की शुभकामना ......
पंकज मिश्रा

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

जूतमजूत चले संसद मे
अब मुफतो मुफत नज़ारे देख
रक्षक,भक्षक जब बन बैठे जब
तो इन को कौन सुधारे देख

जुतमजुत नजारे एक बार देखे थे संसद के आज आपने उसकी याद ताजा करवा दी।
आपको दीवाली की बधाई,

Manav Mehta 'मन' said...

bahut achhe madam ji,
aapko diwali ki bahut- bahut badahi

ओम आर्य said...

बढ़ा दो अपनी लौ
कि पकड़ लूँ उसे मैं अपनी लौ से,

इससे पहले कि फकफका कर
बुझ जाए ये रिश्ता
आओ मिल के फ़िर से मना लें दिवाली !
दीपावली की हार्दिक शुभकामना के साथ
ओम आर्य

विनोद कुमार पांडेय said...

ग़ज़ल तो एक नाम है,
वास्तव में एक सच्चा पैगाम है,
नेताओं और धर्म-जाति के ठेकेदारों,
कुछ तो खुद को सुधारो,

बहुत बढ़िया रचना....बधाई....साथ ही साथ दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ!!!

Alpana Verma said...

Nirmala ji,bahut achchhee gazal..
aap to har vidha mein likhti hain..dekh kar achchha lagta hai.
आप सहित पूरे परिवार को दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ.

mehek said...

चोर उच्चको की दुनिया है,
संसद के गलियारे देख !
मजहब का ओढ़ नकाब रहे,
मानवता के हत्यारे देख !!
waah bahut khub,diwali mubarak

सदा said...

बहुत ही सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति आभार के साथ दीपावली की शुभकामनाएं ।

अजय कुमार said...

safal aur bhaavpoorn rachna .bahut bahut badhayi

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

चोर उच्चको की दुनिया है,
संसद के गलियारे देख !
मजहब का ओढ़ नकाब रहे,
मानवता के हत्यारे देख !!

बहुत बढिया लगी ये रचना......
आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाऎँ!!!!

Creative Manch said...

बहुत ही सुंदर रचना
बधाई

सुख, समृद्धि और शान्ति का आगमन हो
जीवन प्रकाश से आलोकित हो !

★☆★☆★☆★☆★☆★☆★
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए
★☆★☆★☆★☆★☆★☆★

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

चोर उच्चको की दुनिया है,
संसद के गलियारे देख !
मजहब का ओढ़ नकाब रहे,
मानवता के हत्यारे देख !!

सभी लाइन सार्थक. यह ग़ज़ल हीट है.
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आप को दीपावली की शुभकामनायें !!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
और साथ में दिवाली में साम्य(क्षणिकाएं)

Ria Sharma said...

व्यंग्यात्मक अभिव्यक्ति..
सच्चा , खरा खरा ..
सादर !!

ताऊ रामपुरिया said...

बहुतं. सटीक रचना, दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए.

रामराम.

Vineeta Yashsavi said...

Baut khub gazal hai

राज भाटिय़ा said...

आप को ओर आप के परिवार को दिपावली की शुभकामनाये

वन्दना अवस्थी दुबे said...

अरे वाह बहुत सुन्दर रचना.
दीपावली की बहुत-बहुत शुभकामनायें

Smart Indian said...

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!

Udan Tashtari said...

बेहतरीन एवं सटीक!

सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

-समीर लाल ’समीर’

राकेश खंडेलवाल said...

जो चषक हाथ धन्वन्तरि के थमा, नीर उसका सदा आप पाते रहें
शारदा के करों में जो वीणा बजी, तान उसकी सदा गुनगुनाते रहें
क्षीर के सिन्धु में रक्त शतदल कमल पर विराजी हुई विष्णु की जो प्रिया
के करों से बिखरते हुए गीत का आप आशीष हर रोज पाते रहें

राकेश

Unknown said...

ग़ज़ल में गज़ब..गज़ब की ग़ज़ल !

अभिनन्दन !

आपको और आपके परिवारजन को
दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयां
एवं मंगल कामनायें.......

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सुन्दर गज़ल है।

आज खुशियों से धरा को जगमगाएँ!
दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!

मनोज कुमार said...

आपकी व्यावहारिक सूझ-बूझ की दाद देनी पड़ेगी, यह रचना आम लोगों के साथ-साथ खास लोगों में भी जगह बना लेगी।

Yogesh Verma Swapn said...

behatareen/lajawaab, nirmala ji badhai.......

diwali ki shubhkaamnaaonke saath.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

बहुत सुन्दर लगी आपकी ग़ज़ल

स स्नेह दीपावली की शुभकामनाएं
आपके परिवार के सभी के लिए
- लावण्या

श्यामल सुमन said...

कपिला जी ने काव्य सजाया
उसके नये नजारे देख।।

जगमग दीप जले घर आँगन आपस में हो प्यार।
चाह सुमन की घर घर खुशियाँ नित नूतन संसार।।

सादर
श्यामल सुमन
www.manoramsuman.blogspot.com

M VERMA said...

तीखी गजल. सीधी चोट करती.
दिवाली की हार्दिक मंगलकामना

दिगम्बर नासवा said...

गज़ल लिख वक्त गुजारें
सब तन्हाई के मारे देख....

सच लिखा है ........ छोटे छोटे पर लाजवाब शेर हैं सब ..........
आपको और आपके परिवार में सभी को दीपावली की शुभकामनाएं ...............

डॉ टी एस दराल said...

बेहतरीन.
आपको और आपके परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

यह दिया है ज्ञान का, जलता रहेगा।
युग सदा विज्ञान का, चलता रहेगा।।
रोशनी से इस धरा को जगमगाएँ!
दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!

Girish Kumar Billore said...

दीप की स्वर्णिम आभा
आपके भाग्य की और कर्म
की द्विआभा.....
युग की सफ़लता की
त्रिवेणी
आपके जीवन से आरम्भ हो
मंगल कामना के साथ

दर्पण साह said...

Diwali bhai dooj evm dhanteras ki aapko haardik shubhkamnaiyen !!

Pranam.

vikram7 said...

दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें

Asha Joglekar said...

बढिया समयानुकूल गज़ल । आजके यथार्त को कहती हुई ।
"चोर उचक्कों की दुनिया है
संसद के गलियारे देख"
ये चोर उचकके मानवता के और मानव के दोनों के हत्यारे हैं ।

शरद कोकास said...

गज़ल तो है लेकिन कही कही पहले दूसरे मिसरे मे वज़न गडबड़ा रहा है सस्वर पाठ कीजिये ,पता चल जायेगा ।

Mumukshh Ki Rachanain said...

चोर उचक्कों की दुनिया है,
संसद के गलियारे देख !
मजहब का ओढ़ नकाब रहे,
मानवता के हत्यारे देख !! ....

बढ़िया ग़ज़ल प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.

दीपावली और भाई-दूज पर आपको और आपके परिवार को अनंत हार्दिक शुभकामनाएं.

चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com

गौतम राजऋषि said...

बेहतरीन शेर बुने हैं मैम...एकदम कसी हुई।

" देख घटा शरमाये उसको/ नैना उस के कजरारे देख" बहुत भाया...

कहीं एक जगह लय टूट रहा है। ऊपर शरद जी की टिप्पणी ध्यान देने योग्य है। तरही लाजवाब बनी थी मैम!

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