कवच ------कहानी
पडोस के घर के बाहर कोई ऊँचे ऊँचे गालियाँ बक रहा था।मैं बाहर निकली तो देखा उनका दामाद दीपक था जो नशे मे था और उनके दरवाजे के बाहर खडा गालियाँ निकाल रहा था।ाउर बार बार आशू को बुला रहा था *एक बार् बाहर निकल--- [गाली] मैं तेरी क्या गत बनाता हूँ। तू जो पढने का बहाना ले कर्माँ की गोद मे छुपी बैठी है। मै सब जानता हूँ तो क्या गुल खिला रही है!*
मैं देख कर एक बार तो अंदर चली गयी, पर फिर रहा नहीं गया ।एक तो चोरी उपर से सीना जोरी? मै बाहर आयीमुझे लग रहा था कि आशू अकेली होगी
*दीपक ये क्या मज़ाक है?इस गली मे श्रीफ लोग रहते हैं। अगर ये ड्रामा बन्द नहीं किया तो मै पोलिस को फोन कर दूँगी।*
पता नहीं वो क्या सोच कर भुनभुनाते हुये चला गया।मैने आशू से दरवाज़ा खुलवाया और अंदर चली गयी।अशू रो रही थी।उसे चुप करवाया और धीरे धीरे बातों मे लगाया।
*आशू तुम एक जिन्दादिल और साहसी लडकी हो,ागर इस तरह दिल छोड दोगी तो कैसे चलेगा?*
*भाभी< बहुत कोशिश करती हूँ लेकिन बार बार मनोबल टूट जाता है।*
*अच्छा तुम रोज़ दुर्गा पाठ किया करो। उससे साहस आता है। मन मे प्रण कर लो कि आज के बाद इस जैसे दानव से कैसे निपटना है।ाउर कैसे अपनी ज़िन्दगी को आगे बढाना है। तुम इतनी लायक हो अगर जरा सी कोशिश करो तो बुलन्दियाँ छू सकती हो।*
*हाँ कोशिश करती हूँ लेकिन ये शख्स उस पर पानी फेर देता है।*
*लगता है अब इस से सख्ती से निपटना होगा। तुम चिन्ता ना करो हम सब साथ हैं ना देखते हैं क्या कर सकते हैं*
*हाँ मम्मी पापा भी आज वकील के पास गये हैं।*
*चलो अब निश्चिन्त हो कर पढो।*
*ठीक है भाभी मैं अपना सारा ध्यान पढने मे लगा दूँगी।*
आशू हमारे पडोस वालों की बेटी थी।उसका भाई एम.बी.बी.एस कर रहा था। वो अपने माँ बाप के साथ रह रही थी। चंचल सुन्दर बेबाक लडकी थी।पढाई मे सब से आगे।कालेज मे कोई कम्पीटीशन हो तो वो सब से आगे होती थी।हर पहला इनाम उसका होता था। वो बी ए के दूसरे वर्ष मे थी। सब की प्रशंसा और लाड प्यार से थोडा जिद्दी हो गयी थी।कालेज मे पढते हुये एक लेक्चरर के प्रेम जाल मे फंस गयी।माँ बाप ने बहुत समझाया मगर वो शादी की ज़िद करने लगी।उम्र अभी18-19- साल की थी मगर वो लेक्चरर्33--34 साल का था ।जब किसी तरह दोनो नहीं माने तो माँ बाप को ये भी डर था कि कहीं खुद दोनो कोई गलत कदम ना उठा लें इस लिये दोनो की शादी कर दी।
शादी के कुछ दिन तक तो सब ठीक चलता रहा,मगर जल्दी ही उसे दीपक की कमज़ोरियों का आभास होने लगा।ाब वो कभी कभी शराब पी कर घर आने लगा।धीरे धीरे उसकी ये आदत बढती गयी।ाभी शादी को 4-5शीने ही हुये थे ।उसे अब पता चल गया था कि वो शराब के बिना नहीं रह सकता।इस वजह से दोनो मे झगडा होने लगा ।जिस दिन झगडा होता वो अपने दोस्तों को घर ले आता। उस्रात घर मे देर रात तक महफिल जमती।ाब दोस्तों के सामने उससे गाली गलौच करने लगा।सब के लिये इतनी रात गये खाना बनाने का हुकम दे देता जिस से उसे भी गुस्सा आ जत और धीरे धीरी मार पिटाई की नौबत आने लगी।
ये कैसा प्यार था?वो सोचती जो दीपक कालेज मे सारा दिन उसके आगे पीछे घूमता था,अज जब वो उसके पास है तो उसे परवाह नहीं?उसके सब सपने टूट गये थेेआशू का भी कालेज मे ये आखिरी साल था। वो देख रही थी कि दीपक आज कल किसी दूसरी लडकी को जाल मे फसा रहा था जब वो उससे इसके बारे मे बात करती तो कहता कि तुझे सभी लडकियाँ अपनी तरह ही नज़र आती हैं ।अशू तिलमिला उठती। कच्ची उम्र थी पहले कुछ सोचा ही नहीं बस अनजाने मे जाल मे फंस गयी।ाब उसने अपने माँ बाप को सब कुछ बता दिया। क्या करते लडकी को अपने घर ले आये।
पेपर आने वाले थे। वो पढना चाहती थी ,मगर दीपक को ये गवारा ना था।उसकी और दोस्तों की खातिर कौन करे खाना कौन बनाये? फिर ऐसे लोगों को औरत के दिल या भावनाओं से क्या लेना देना ।उसे तो जसे घर की नौकरानी बना कर रखना चाहता था।ाउर दिल बहलाने को बाहर बहुत कुछ था उसके लिये।माँबाप की भी गलती थी कि शादी से पहले उसके बारी मे पूरी छानबीन नहीं की। आज कल वो पेपरों की तैयारी अपने मायके रह कर कर रही थी।
दो तीन दिन बाद शाम को दीपक ने फिर वही ड्रामा किया।वो बाहर बके जा रहा था। मैं पिछले दरवाजे से आशू के घर चली गयी शायद वो उसके माँ बाप को कहीं जाते हुये देख लेता था तो ऐसे समय आता जब वो घर नहीं होते थे।
*अशू एक बार तू खुद उसे डाँट क्यों नही देती?*
*नहीँ भाभी मैने अब सोच लिया है मैं उसे नहीं रोकूँगी।*
*क्यों? ऐसे तो इसकी हिम्मत बढ जायेगी।*
* भाभी एक बात बताऊँ?मैं इसे इस लिये नहीं रोकूँगी कि इसकी एक एक गाली मेरी ताकत बनती जा रही है।जब तक मैं इससे पूरी तरह नफरत नहीं करने लग जाती तब तक मेरा मनोबल टूटता रहेगा। मैने इरादा कर लिया है जितना ये आदमी नीचे गिरेगा उतना ही मै उपर उठती जाऊँगी।* घटिया आदमीैअपनी नापाक हरकतों से जितना नीचे गिरता है,ाच्छा आदमी उस नफरत को ही अपनी ताकत बना लेता है।ाउर उसकी अच्छाई की आग मे ही वो बुरा जल कर खाक हो जाता है। मैं इसे और उकसाना चाहती हूँ ताकि हद से भी नीचे गिर जाये ।अप देखना किसी दिन यही आदमी मेरे आगे नाक रगडेगा। इसने औरत की सिर्फ कमज़ोरी देखी है उसकी ताकत नहीं । वो जितना प्यार करती है उससे कहीं गुना अधिक नफरत भी कर सकती है।*
मैं आशू के मुँह की तरफ देख रही थी क्या ये वही लडकी है?
मैने जरा सा खिडकी मे से देखा--
*अशू वो तलाक के कागज़ ले कर चिल्ला रहा है कि अगर नहीं आयेगी तो ये तलाक के कागज़ साईन कर के भेज दे।* क्रमश:
29 comments:
"औरत की सिर्फ कमज़ोरी देखी है उसकी ताकत नहीं।"
बहुत सुन्दर भाव को अंज़ाम की ओर ले जाती आपकी कहानी सशक्त लगी. आगे के पोस्टो का इंतजार ---
बहुत खुब माँ जी, बहुत ही उम्दा कहानी लगी। साथ ही एक बार फिर ये जानने को मिला कि औरत कमजोर नहीं होती। लाजवाब रचना के लिए बहुत-बहुत बधाई। अगले अंक का इन्तजार रहेगा।
"वह भी श्रंगार बनाती थी पर कमर कटारी कसी हुयी" कवी प्रकाश वीर
आपकी कहानी आज की युवाओं की नादानी का सजीव चित्रण कर रही हैं, दुर्गा सप्तसती का पाठ करने से असुरों के संहार की ताकत आती हैं,
बहुत बढ़िया,
अच्छी कहानी, आगे की प्रतीक्षा है।
आपकी कहानी सशक्त लगी. आगे के पोस्टो का इंतजार ---
डूब कर रह गया...............
कहानी में बहुत जान है.............
अगले अंक की प्रतीक्षा है........
आभार !
अगली कड़ी का इंतजार है...
कहानी है संवेदनाओं से भरी।
कथा-लेखन में हैं आप बिल्कुल खरी।
बधाई!
बहुत ही बढिया लगी ये कहानी.....इसके अगले भाग की प्रतीक्षा रहेगी!!
Aap kahaniya bahut achhi likhti hai...aage ki kari jaldi lagaiyega...
अगली कड़ी की प्रतीक्षा....
आपकी कहानिया हमेशा ही अच्छी लगता है ......... दिल में सीधे उतर जाती हैं ......... अगली पोस्ट की प्रतीक्षा है
एक बहुत सुंदर कहानी. अगली कडी का इंतजार है.
धन्यवाद
औरत का प्यार और नफ़रत सब सीमा से आगे होता है………………………।कहानी अच्छी चल रही है………………अगली पोस्ट का इन्तज़ार है।
ये संस्मरण ज्यादा लग रहा है .....जैसे आप किसी के दुख से आहत हों......
उसकी ज़िन्दगी सवांरती हुयी ....आपके निस्छल प्रेम को प्रणाम !!!
यह कहानी भी आपकी अन्य कहानियों की तरह रोचक प्रतीत होती है.
कहानी की दिशा बहुत अच्छी है। बधाई।
आगे की कड़ी की प्रतीक्षा है।
Bahut hee involving kahanee agalee kadi ka intjar hai.
बहुत अच्छी और सम सामयिक कहानी---आगे की कड़ी का इन्तजार रहेगा।
पूनम
सम्वेदनाओ से भरी इस रचना मे आपने बखुबी बान्ध दिया............एक सुन्दर कहानी जो जिवन के अनुभवो से भरी पडी है ........अतिसुन्दर!
अगले अंक का इंतजार रहेगा.....
क्रमश:..................
निर्मला जी,
आशू का संकल्प और मनोरथ पूरा हो शायद यही दुआ हर पाठक के मुँह से निकलती होगी।
कहानी अपने साथ लिये चल रही है, आगामी कड़ियों का इंतज़ार रहेगा।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
are wah !!
Nai kahani?
aashu girl next dfoor lagi....
...us ladke ke uppar gussa aaya , par uske baare main aur janne ki iccha bhi hua asha karta hoon aagle part main aap clear kareinge !!
Pranam !!
Nirmala ji,
Kuch dino se net se door tha so aap ki kahani aaj padh paya..
wahi pahale ki tarah sundar anubhuti...bas ab intzaar hi rahata hai jab tak khatm na ho jaye ye kahani....
badhayi..sundar prstuti ke liye..
sundar rachna nirmala ji...
मैं भी एम वर्मा की बात से बिल्कुल सहमत हूं।
आपने इस कहानी के माध्यम से एक ऐसी सामयिक सामाजिक समस्या को उठाया है जो हमारे आसपास बिखरी हुई है| अगली कड़ी का इंतज़ार रहेगा|
मैंने पूरी कहानी एक साथ पढ़ी इसलिए और भी अच्छा लगा! आपकी लेखनी को सलाम!नवरात्री की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत ही अच्छी कहानी, आभार
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