कवि राज्विन्दर से रुबरू
पंजाबी लिखारी सभा नंगल, पंजाबी रंग मंच नंगल एवं अक्षर चेतना मंच नया नंगल दुआरा संयुक्त रूप से एक भव्य साहित्यक समारोह का आयोजन नया नंगल केआनंद भवन क्लब के सभागार मे 29 जुलाई की शाम को किया गया।इसका प्रयोजन जर्मनी से पधारे वहाँ के राज कवि {पोईट लोरियल} श्री राजविन्दर का सम्मान् एवं रुबरू था।समारोह का शुभारम्भ मुख्य अतिथी स. लखबीर सिह जी{S.D.M.}एवं स.हरनीत सिंह हुन्दल{D.S.P} स.निरलेप सिंह {मुख्य अभियंता } N.F.L.nangal unit श्री राकेश नैयर प्रमुख व्यवसायी, स़ हरफूल सिंह नामवर कवि.श्री ग्यान चंद {तहसीलदार} दुआरा शमा रोशन कर के किया गया।श्री संजीव कुरालिया दुआरा कार्यक्रम की संक्षिप्त रूप रेखा बताने के बाद टी. वी.कलाकार नंगल के श्री. पम्मी हंसपाल ने श्री राजविन्दर की गज़ल गा कर महौल को शायराना बना दिया। श्री.मति अरुणा वालिया ने मधुर आवाज़ मे दो गज़लें ,`राजस्थानी मांड` एवं पंजबी गीत `सौण दा महीना` और बुल्लेशाह गा कर श्रोताओं को मन्त्र मुग्ध कर दिया।तदोपराँत सुनील डोगरा जी ने शिव बटालवी की रचना` `कुझ रुख मैनू` गा कर हाजिरी लगवाई।इस संगीतमय महफिल के बाद स्थानीय कवियों दुआरा कवि दरबार सजाया गया।जिसमे श्री.देवेन्द्र शर्मा प्रधान अक्षर चेतना मंच ने राजनीति पर कटाक्ष करती नज़्म `लोक तन्त्र` श्री बलबीर सैणी ने गज़ल `मैथों हस्या नी जाणा ते रोया वी नी जाणा,हन्जू पलकाँ ते आया ते लुकोया वी नी जाणा। स, अमरजीत बेदाग ने हास्य कविता`` आई पी सी 377 ने पनाह दी ,मोहन ने सोहन से शादी बना ली`` अजय शर्मा ने ``पीडाँ दा वोगनविलिया ,श्री.मतिसविता शर्मा ने``कालख गोरे रंग दी``सुनाई । अक्षर् चेतना मंच के सचिव श्री राकेश वर्मा ने वियना की घटना के बाद पंजाब मे हुये प्रति क्रम पर केन्द्रित नज़म ``हालात सुखन साज़ करां तां किन्झ करां``सुना कर श्रोताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद अशोक राही,ने चन्द शेर एवं संजीव कुरालिया ने ``मैं पंजाब बोलदां``सुना कर तालियाँ बटोरी। निर्मला कपिला जी ने गला खराब होने के कारण अपनी असमर्थता प्रकट की।
मंच सं चालक श्री गुरप्रीत गरेवाल {पत्रकार अजीत समाचार}ने कपूरथला से पधारे स.हरफूल सिंह जी को राज कवि श्री.राजविन्दर जी का परिचय करवाने के लिये आमंत्रित किया। स़ हरफूल सिंह जी ने राजविन्दर जी की संक्षिप्त जानकारी देने के साथ साथ नंगल शहर के बारे मे लिखी अपनी कविता``रोशनियाँ दे शहर् ``सुना कर नंगल से जुडी यादें ताज़ा की।
इसके बाद तीनों संस्थाओं के पदाधिकारियों दुआरा श्री राजविन्दर को दोशाला एवं समृ्ति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
श्री राजविन्दर जी ने आत्म कथन करते हुये बताया कि वे वार्तालाप के कवि है ।उनकी पहली पुस्तक 19 वर्ष की आयु मे छपी थी।वो अब जर्मन भाषा मे लिखते हैं।वर्लिन युनिवर्सिटी मे पढाने के बाद 1991 मे वो स्वतंत्र कवि बने।1997 मे उन्हें प्रथम बार पोइट लोरीयट का खिताब मिला। वे प्रथम अनिवासी भारतीय हैं जिन्हें इस खिताब के फलस्वरूप किंग फेड्रिक्स के महल मे ठहरने का सम्मान मिला। उनके 10 काव्य संग्रह व एक लघु कथा संग्रह जर्मन भाषा मे छप छुका है।वे 2004 मे वर्लिन के, 2006 मे वेस्ट्फेलिया,एवं 2007 मे त्रियर के पोइट् लोरीयल {राज कवि} बने।उनकी नज़्मों को स्कूल की पाठ्य् पुस्तकों मे शामिल किया गया।एवं कुछ नज़्मे पत्थरों पर उकेर कर त्रियर शहर मे लगाया गया है ।पंजाबी मे उन की एक पुस्तक मे से तरन्नुम मे अपनी चंद गज़लें गाकर सुनाई। जिनके बोल थे--
1 ऐंवें कदे जे शौक विच सागर नूँ तर गये
अज्ज रेत दे सुक्के होये दरिया तों डर गये
2 मैं झुण्ड दरख्ताँ दा बण जावाँ
तू बण के पवन मुड मुड आवीं
3 अक्स तेरा लीकणा सी अखियाँ `च अज़ल तक
गज़ल ताहियों ना पिया ऐ बेबसी विच हिरन दा
इस अवसर पर बी बी एम बी के पूर्व मुख्य अभियंता श्री के के खोसला जी चित्रकार श्री देशरंजन शर्मा,ईज.संज्य सनन.सुरजीत गग्ग .श्रीमति निर्मला कपिला.राजी खन्ना.राकेश शर्मा पिंकी.फुलवन्त मनोचा. डाक्टर पी पी सिन्ह ..डाक्टर चट्ठा ,प्रभात भट्टी,अमर पोसवाल,अमृत सैणी, अमृत पाल धीमान, कंवर पोसवाल विजय कुमार,भोला नाथ कश्यप {स्म्पादक समाज धर्म पत्रिका },अम्बिका दत्त प्रोफेसर योगेश सूद ,इँज दर्शन कुमार,इँज.राजेश वासुदेव इंज गुलशन नैयर व श्रीमति नैयर ,अदि गणमान्य लोग उपस्थित थे।200 से उपर श्रोताओं ने इस कार्यक्रम मे भाग लिया।। देर रात 11-30 बजे तक चला ये साहित्यक समारोह शहर की संस्कृ्तिक गतिविधिउओं का एक मील पत्थर साबित हुया।
23 comments:
बहुत अच्छी कवरेज लगाई है।
आज के माहौल मे
साहित्यिक गतिविधियों का बड़ा महत्व है।
बधाई।
बहुत बढिया जी, शुभकामनाएं.
रामराम.
aise gosthiyan honi chahiye jisase sahity,kavya aur bhav se purn kahaniyon ko badhawala mile..
rahi baat itane bade kavi rajendra ji unake bare me to hame pata hi nahi tha..aap ne jaankari badhayi..
achcha laga..dhanywaad
साहित्यिक गतिविधियों से जुड़ें रहना बहुत ही सौभाग्य की बात है ...सुन्दर प्रस्तुति
आभार !!
सुन्दर प्रस्तुति. आपको बधाई.
बहुत विस्तार के साथ अच्छा वर्णन किया है.
राजविन्दर जी से रुबरु करने के लिये धन्यवाद ।
सुन्दर प्रस्तुति.
बहुत सुन्दर लेख खासकर साहित्य जगत के लिए । धन्यबाद !
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति आभार्
आप कि कलम का कमाल नहीं,
यह तो आपकी सीरत का जादू है
बहुत सुन्दर प्रस्तुति आभार !
आपने जिस तरह से बताया वो बहुत अच्छा लगा पढ़कर
sahityik aayojan ki achhi kavraj ki aapne.
इस शानदार और ख़ूबसूरत प्रस्तुति के लिए बधाई!
साहित्यिक गतिविधियों से जुडना अपने आप में बहुत महत्व रखता है।
सुन्दर प्रस्तुतिकरण!!!
सुन्दर प्रस्तुति
आभार !!
मैथों हस्या नी जाणा ते रोया वी नी जाणा,
हन्जू पलकाँ ते आया ते लुकोया वी नी जाणा।
आपके वर्णन से लग रहा है हम भी रूबरू वहीं बैठे आनन ले रहे हैं...........क्या गज़ब की लाइने हैं.......... मज़ा आ गया
ek bade hasti se ru b ru karawaya isake liye bahut bahut badhaaee......aapaki lekhani ka jaadu hai ki padate chale jate hai .......badhaee
बहुत सुंदर रपट है। इन जानकारियों का बहुत महत्व है।
इस आयोजन के बारे में जानकार बड़ी खुशी हुई. शुभकामनाएं!
Respected Mrs. Kapila !
Tanks alot for posting full report of RU-BRU WITH RAJWINDER on your blog...
---Rakesh Verma
[gen.Sec.]
AKHAR CHETNA MANCH
NAYA NANGAL
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