रुबरु
नया नंगल पँजाब के आनँद भवन क्ल्ब के प्राँगण मे 11 -6-2009 को अक्षर चेतना मँच नया नँगल की ओर से एक साहित्यक समारोह का आयोजन किया गया1 इस समारोह का केन्द्र -बिन्दु पँजाब गज़लकारी के नामवर हस्ताक्षर श्री जसविन्दर् जी से इलाके के सहित्यकारोँ व बुद्धीजीवियोँ से रु -ब- -रु करवाना था1
समारोह की शुरुआत मे सभी उपस्थित जनोंने प्रसिद्ध रँगकर्मी स्व- श्री हबीब तनबीर एवं तीन हास्य कवियों स्व- श्र ओमप्राकाश् आदित्य- दिल्ली नीरज पुरी -दिल्ली एव स्व- श्री लाड् सिह गुर्जर -भोपल के आसामयिक निधन पर अफसोस प्रकट किया एवं दो मिनट का मौन धारण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किये1
समारोह का आयोजन अक्षर चेतना मंच के संरक्षक श्री राकेश नैयर जी की अध्यक्षता मे हुआ1 श्री देविन्दर शर्मा कार्यवाहक प्रधान अ़क्षर चेतना मँच दुआरा स्वागत भाशण के उपराँत कुछ कवियों श्री सुरजीत गग्ग - श्रीमति निर्मला कपिला-श्री देविन्दर शर्मा-श्री संजीव कुरालिया श्री राकेश वर्मा-श्री अजय शर्मा एवं श्री बलबीर सैणी दुआरा सँ क्षिप्त कविता पाठ किया गया1
इलाके के मशहूर गायक जो पंजाबी फिल्मों के लिये भी गाते हैं श्री पम्मी हँसपाल जी नेश्री जसविन्दर जी की मह्सहूर गज़लें गा कर आत्म विभोर किया जिनके बोल थे उनका साथ स- हरभजन जी ए- पी- आर-ओ ने तबला बजा कर दिया1
मनुखाँ च मोह कणी ना् रह ताँ दरख्ताँ नू दुखडे सुणाया कराँगे
इसके बाद डा- शमशेर मोही जी -रोपड व श्री सुनील चँदियाणवी-फरीदकोट ने गज़ल लेखन व लेखकों के बारे मे विद्धतापूर्ण भाषण दिया1 डा-शमशेर मोही जी ने गज़ल के उदगम एवं मैज़ूदा स्वरूप पर आलोचनात्मक टिप्पणी करने के इलावा जसविन्दर के लेखकीय जीवन एवं लेखन स्तर के बारे में श्रोताओँ को अवगत करवाया1
तदोपराँत श्री जसविन्दर जी नी अपनी गज़लें सुनाई जिन मे प्रमुख थीं
सिरलत्थाँ दी भीड सी मोड कसूता आ गया
सियाणे सियाणे मुड गये झल्ले झल्ले रह गये
थाई खडी उडीकदी यात्रियाँ दी भीड
लीहाँ छड असमान ते दौड रही है रेल्
मेरी थावें लेक जो भुगतण सजावाँ कौण ने
फेर वी मेरे वास्ते करदे दुआवाँ कौण ने
असीं दिल छड गये होईये अजिहा वी नहीँ लगदा
पता नहीं फेर क्यों साडा किते वी दिल नहीं लगदा
श्री जसविन्दर जी से श्रोताओं ने गज़ल लेखन विद्या की बारीकियों-सहित्य सभाओं के दुआरा निभाये जाने वाले रोल उनकी गज़लों के भाव इत्यादि के बारे मे सवाल जवाब किये जिनका जसविन्दर जी ने बाखुअबी उत्तर दिया1कोई उपनाम ना रखने के सँदर्भ मे उनका जवाब था कि शुरू मे वो छोटी उमर से ही जसविन्दर के नाम से लिखते आये हैं और उन्होँने कभी तखल्लुस लगाने की आवश्यकता महसूस नहीं की
अक्षर चेतना मँच के पदाधिकारियों ने श्री जसविन्दर जी और डा- शमशेर मोही जी को समृति चिन्ह भेँट किये1 मँच संचालक्की भूमिका का निर्वाह राकेश वर्मा दुआरा किया गया1
इस समारोह मे अन्य उपस्थित्त जनो मे दिल्ली युनिवर्सिटी से रिटायर प्रोफेसर व संपादक समाज धर्म पत्रिका श्री भोला नाथ कश्यप प्रोफेसर योगेश सूद रंगकर्मी श्री फुलवँत मनोचा श्री जसविन्दर सिह प्रबन्धक उपकरन श्री विजय शर्मा नंगल श्री अमृतपाल धीमान श्री अमर जीत भल्लडी कवंर देव सिह एवं अमर पोसवाल अमृत सैणी ललित मित्तल अमरजीत बेदाग श्री गुर्प्रीत गरेवाल श्री एम एम कपिला अम्बिका दत्त एस डी शर्मा गुलशन नैयर व श्रीमति सुधा नैयर संजय सनन अजय भाटिया सी एल विर्दी मोहेन्द्र सिह परमजीत महराल राजीव ओहरी इसके अतिरिक्त प्रेस से आये सदस्य आदि उपस्थित थे धन्यवाद प्रस्ताव श्री अजय शर्मा दुआरा पेश किया गया1
आज पहली बार हुआ कि महिला सदस्यों की उपस्थिती कम रही 1
राकेश वर्मा1
अक्षर चेतना मँच नंगल ही नहीं पूरे पंजाब मे अपने भव्य आयोजनों के लिये जाना जाता है 1इस बात पर भी विचार किया जा रहा है कि इसकी पहचान् पूरे भारत से करवाई जायेगी1 इसकी स्थापना मे सब से अधिक योगदान डा. डी पी सिंह प्रोफेसर फिज़िक्स शिवालिक कालेग नंगल का है जो आजकल कैनेडा गये हैं उनके बाद श्री दविन्द्र शर्मा जी- राकेश् वर्मा जी और संजीव कुरालिया जी बडी कुशलता और लगन से चला रहे हैं1 ये मंच अब तक पंजाब के कई जाने पहचाने सहित्यकारों को सम्मानित कर चुका है1
आने वाले दिनों मे शायद ये भारत का सब से बडा साहित्यिक आयोजन मंच होगा1
नया नंगल पँजाब के आनँद भवन क्ल्ब के प्राँगण मे 11 -6-2009 को अक्षर चेतना मँच नया नँगल की ओर से एक साहित्यक समारोह का आयोजन किया गया1 इस समारोह का केन्द्र -बिन्दु पँजाब गज़लकारी के नामवर हस्ताक्षर श्री जसविन्दर् जी से इलाके के सहित्यकारोँ व बुद्धीजीवियोँ से रु -ब- -रु करवाना था1
समारोह की शुरुआत मे सभी उपस्थित जनोंने प्रसिद्ध रँगकर्मी स्व- श्री हबीब तनबीर एवं तीन हास्य कवियों स्व- श्र ओमप्राकाश् आदित्य- दिल्ली नीरज पुरी -दिल्ली एव स्व- श्री लाड् सिह गुर्जर -भोपल के आसामयिक निधन पर अफसोस प्रकट किया एवं दो मिनट का मौन धारण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किये1
समारोह का आयोजन अक्षर चेतना मंच के संरक्षक श्री राकेश नैयर जी की अध्यक्षता मे हुआ1 श्री देविन्दर शर्मा कार्यवाहक प्रधान अ़क्षर चेतना मँच दुआरा स्वागत भाशण के उपराँत कुछ कवियों श्री सुरजीत गग्ग - श्रीमति निर्मला कपिला-श्री देविन्दर शर्मा-श्री संजीव कुरालिया श्री राकेश वर्मा-श्री अजय शर्मा एवं श्री बलबीर सैणी दुआरा सँ क्षिप्त कविता पाठ किया गया1
इलाके के मशहूर गायक जो पंजाबी फिल्मों के लिये भी गाते हैं श्री पम्मी हँसपाल जी नेश्री जसविन्दर जी की मह्सहूर गज़लें गा कर आत्म विभोर किया जिनके बोल थे उनका साथ स- हरभजन जी ए- पी- आर-ओ ने तबला बजा कर दिया1
मनुखाँ च मोह कणी ना् रह ताँ दरख्ताँ नू दुखडे सुणाया कराँगे
इसके बाद डा- शमशेर मोही जी -रोपड व श्री सुनील चँदियाणवी-फरीदकोट ने गज़ल लेखन व लेखकों के बारे मे विद्धतापूर्ण भाषण दिया1 डा-शमशेर मोही जी ने गज़ल के उदगम एवं मैज़ूदा स्वरूप पर आलोचनात्मक टिप्पणी करने के इलावा जसविन्दर के लेखकीय जीवन एवं लेखन स्तर के बारे में श्रोताओँ को अवगत करवाया1
तदोपराँत श्री जसविन्दर जी नी अपनी गज़लें सुनाई जिन मे प्रमुख थीं
सिरलत्थाँ दी भीड सी मोड कसूता आ गया
सियाणे सियाणे मुड गये झल्ले झल्ले रह गये
थाई खडी उडीकदी यात्रियाँ दी भीड
लीहाँ छड असमान ते दौड रही है रेल्
मेरी थावें लेक जो भुगतण सजावाँ कौण ने
फेर वी मेरे वास्ते करदे दुआवाँ कौण ने
असीं दिल छड गये होईये अजिहा वी नहीँ लगदा
पता नहीं फेर क्यों साडा किते वी दिल नहीं लगदा
श्री जसविन्दर जी से श्रोताओं ने गज़ल लेखन विद्या की बारीकियों-सहित्य सभाओं के दुआरा निभाये जाने वाले रोल उनकी गज़लों के भाव इत्यादि के बारे मे सवाल जवाब किये जिनका जसविन्दर जी ने बाखुअबी उत्तर दिया1कोई उपनाम ना रखने के सँदर्भ मे उनका जवाब था कि शुरू मे वो छोटी उमर से ही जसविन्दर के नाम से लिखते आये हैं और उन्होँने कभी तखल्लुस लगाने की आवश्यकता महसूस नहीं की
अक्षर चेतना मँच के पदाधिकारियों ने श्री जसविन्दर जी और डा- शमशेर मोही जी को समृति चिन्ह भेँट किये1 मँच संचालक्की भूमिका का निर्वाह राकेश वर्मा दुआरा किया गया1
इस समारोह मे अन्य उपस्थित्त जनो मे दिल्ली युनिवर्सिटी से रिटायर प्रोफेसर व संपादक समाज धर्म पत्रिका श्री भोला नाथ कश्यप प्रोफेसर योगेश सूद रंगकर्मी श्री फुलवँत मनोचा श्री जसविन्दर सिह प्रबन्धक उपकरन श्री विजय शर्मा नंगल श्री अमृतपाल धीमान श्री अमर जीत भल्लडी कवंर देव सिह एवं अमर पोसवाल अमृत सैणी ललित मित्तल अमरजीत बेदाग श्री गुर्प्रीत गरेवाल श्री एम एम कपिला अम्बिका दत्त एस डी शर्मा गुलशन नैयर व श्रीमति सुधा नैयर संजय सनन अजय भाटिया सी एल विर्दी मोहेन्द्र सिह परमजीत महराल राजीव ओहरी इसके अतिरिक्त प्रेस से आये सदस्य आदि उपस्थित थे धन्यवाद प्रस्ताव श्री अजय शर्मा दुआरा पेश किया गया1
आज पहली बार हुआ कि महिला सदस्यों की उपस्थिती कम रही 1
राकेश वर्मा1
अक्षर चेतना मँच नंगल ही नहीं पूरे पंजाब मे अपने भव्य आयोजनों के लिये जाना जाता है 1इस बात पर भी विचार किया जा रहा है कि इसकी पहचान् पूरे भारत से करवाई जायेगी1 इसकी स्थापना मे सब से अधिक योगदान डा. डी पी सिंह प्रोफेसर फिज़िक्स शिवालिक कालेग नंगल का है जो आजकल कैनेडा गये हैं उनके बाद श्री दविन्द्र शर्मा जी- राकेश् वर्मा जी और संजीव कुरालिया जी बडी कुशलता और लगन से चला रहे हैं1 ये मंच अब तक पंजाब के कई जाने पहचाने सहित्यकारों को सम्मानित कर चुका है1
आने वाले दिनों मे शायद ये भारत का सब से बडा साहित्यिक आयोजन मंच होगा1
12 comments:
waah waah !
umda aayojan ki umda jaankaari !
ek achchhi jaankari
achchhi jankari
SAHITYA KI PUJAA AAJ BHI IS TARAH SE HOTI HAI JAANKAR DIL SE KHUSHI HUI... BAHOT ACHHA LAGTA HAI JAB SAHITYA KHUD JHUMKE KAHTI HAI AAJ MAIN KHUSH HUN YE WAHI PAL HOGA JISKI AAP GAWAH HAI.... YE BAHOT HI KAM LOGON KO NASEEB HOTA HAI.....DHERO BADHAAYEE IS JAANKAARI KE LIYE SHRADHAANJALI UN SABHI CHAAR JAANE MAANE KAVIWON KE LIYE NAAM AANKHON SE....
ARSH
वाह आप ने घर बेठे ही हमे इस समारोह के दर्शन करवा दिये.
धन्यवाद
बहुत ही अच्छी जानकारी आपके माध्यम से और...............पंजाबी की खूबसूरत ग़ज़ल भी....... अच्छा लगा
bahut achi jankari mili .
dhanywad
इतने बड़े मंच पर आपको कतिवा पाठ के लिए हार्दिक बधाई .....!!
badhiya riport ..itane bade ayojan men pratibhagita ke liye badhai.
Hemant Kumar
आयोजन की जानकारी के लिए धन्यवाद!
THANKS A LOT FOR POSTING REPORT OF THE FUNCTION ORGANISED BY AKHAR CHETNA MANCH ON YOUR BLOG...!
निर्मला जी..क्या खूब आयोजन था और कितनी सजीव पोस्ट से उसका बखान किया आपने..दिल्ली में होता तो हम भी टपक पड़ते..धन्यवाद.
Post a Comment