#अंतरराष्ट्रीय_हिन्दी_ब्लॉग_दिवस की आप सब को बधाई 1दूसरी पारी पहले की पारी से भी ऊंचाई पर जाये इसी कामना के साथ सब को शुभकामनाएं1
एक गज़ल
राहमतों की आस किस से कर रहा बन्दे यहां
आदमी कीड़ा मकोड़ा है धनी के सामने
ताब अश्कों की नदी की सह न पायेगा कभी
इक समंदर कम पडेगा इस नदी के सामने
प्यार में क्या हारना और क्या है निर्मल जीतना"
बस मुहब्बत हो न शर्मिंदा किसी' के सामने।
17 comments:
बहुत ही बेहतरीन रचना, बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
008
बेहतरीन रचना...
अंतरराष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉग दिवस पर आपका योगदान सराहनीय है. हम आपका अभिनन्दन करते हैं. हिन्दी ब्लॉग जगत आबाद रहे. अन्नत शुभकामनायें. नियमित लिखें. साधुवाद
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
वाह ... Matle न ही ग़ज़ल की टोंन बना दी ... हर शेर लाजवाब ...
बहुत अच्छे. वाह..
Aaj sach me mujhe bhi maza aa gaya aapki ye ghazal parh kar.. Behad umda.. Waah maate.. Bahut khoobsoorat.. Waaaaaaah..
Aap jio hazaron saal..
नमन आपकी कलम को ,मंगलकामनाएं !
बहुत खूबसूरती से पिरोये एहसास ...
ग़ज़ल की समझ नहीं मुझे पर क्या कहूँ कुछ कहना ही हो जब
एक से एक शेर पर मुझे चींटियों की अड़चनों वाला बेहतर लगा और सबके सामने
हर शेर उम्दा ...
बस ब्लॉग की रौनक ऐसे बनी रहे |
बहुत बढ़िया लिखा है दीदी
हिन्दी ब्लॉगिंग की गति बनाये रखने हेतु आपका प्रयास सराहनीय है -शुभकामनाएं
ख्वाहिशें मैं कैसे रखूं ज़िन्दगी के सामने
हसरतें दम तोड़ती हैं मुफलिसी के सामने..
शानदार!! पूरी ग़ज़ल ही गज़ब की है!
जय हिंद...जय #हिन्दी_ब्लॉगिंग...
बहुत ख़ूब निम्मो दी!! शानदार!
Lajawab Ghazal didi...Zindabaad
Neeraj
Jude hmare sath apni kavita ko online profile bnake logo ke beech share kre
Pub Dials aur agr aap book publish krana chahte hai aaj hi hmare publishing consultant se baat krein Online Book Publishers
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