अपने नसीब पर खडी रोती है इन्सानियत
भूखे पेट अनाज बोती है इन्सानियत
मां का आन्चल भी दागदार हो गया
कचरे में भ्रूण पडी रोती है इन्सानियत
आसमां की बुलन्दियों को छूती इमारतें
फिर भी फुटपाथ पर पडी सोती है इन्सानियत
घर की लक्ष्मी घर की लाज है वो
सडक पर कार में रेप होती है इन्सानियत
रिश्ते नाते धन दौलत में बदल गये
भाई की गोली से कत्ल होती है इन्सानियत
यथा राजा तथा प्रजा नहीं कहा बेवजह
नेताओं की नीचता पर शर्मसार होती है इन्सानियत
भूखे पेट अनाज बोती है इन्सानियत
मां का आन्चल भी दागदार हो गया
कचरे में भ्रूण पडी रोती है इन्सानियत
आसमां की बुलन्दियों को छूती इमारतें
फिर भी फुटपाथ पर पडी सोती है इन्सानियत
घर की लक्ष्मी घर की लाज है वो
सडक पर कार में रेप होती है इन्सानियत
रिश्ते नाते धन दौलत में बदल गये
भाई की गोली से कत्ल होती है इन्सानियत
यथा राजा तथा प्रजा नहीं कहा बेवजह
नेताओं की नीचता पर शर्मसार होती है इन्सानियत