सन 2009 तेरा शुक्रिया
वर्ष 2009 का जाते हुये धन्यवाद न करूँ तो ये कृ्त्घ्नता होगी। अगर मैं कहूँ कि ये साल मेरी ज़िन्दगी का सब से खूबसूरत और खुशियाँ देने वाला साल रहा तो गलत न होगा। प्यार रिश्तों का मोहताज़ नहीं होता। अन्तर्ज़ाल जैसी आभासी दुनिया मे भी रिश्ते कैसे फलते फूलते हैं ये महसूस कर अभिभूत हूँ।
जो प्यार और सम्मान मुझे इस साल मे मिला है उसकी तुलना दुनिया की किसी भी दौलत से नहीं की जा सकती ।। इस ब्लाग जगत ने मुझे अथाह प्यार दिया है, जिस मे अपने सब दुख तकलीफें अकेलापन यहाँ तक कि अपनी बिमारी भी भूल गयी हूँ। सब से बडी उपल्ब्धि मुझे दो भाईयों का प्यार बहुत मिला है। बडे भाई साहिब श्री प्राण शर्मा जी ने जो स्नेह और आशीर्वाद मुझे दिया है उससे मेरी ऊर्जा कई गुना बढ गयी है । आज कल किस के पास इतना समय है। वो मुझे गज़ल ही नहीं सिखाते और भी बहुत अच्छी अच्छी बातें सिखाते हैं । उनसे बात करके हमेशा खुद को पहले से सबल पाया है। जब मैने गज़ल सीखनी शुरू की तो मैं कहती थी कि मुझे कभी भी गज़ल लिखनी नहीं आ सकती मगर उन्होंने मुझे हमेशा उत्साहित किया। बेशक अभी अधिक अच्छी गज़ल कह नहीं पाती मगर गज़ल के गुर सीख रही हूँ। जब ब्लागिन्ग शुरू की थी तब मुझे कविता और गज़ल मे अन्तर नहीं पता था मगर भाई साहिब के स्नेह, पेशैंस और आशीर्वाद ने सीखने की राह आसान कर दी। उनकी ऋणी हूँ। उसके बाद छोटे भाई श्री पंकज सुबीर जी 01 ने मुझे *दी* कह कर अपने स्नेह मे बाँध लिया है। 1973 और 1983 मे दो भाई खोये थे और 2009 मे दोनो को पा लिया इससे बडी उपल्ब्धि और क्या हो सकती है। इसके बाद राज भाटिया जी ने भी यही सम्मान मुझे दिया। यूँ तो और बहुत से नाम हैं मगर इन से जो प्यार और सहयोग मिला उस की मिसाल नहीं है। दूसरी सब से बडी उपल्ब्धि है मुझे अर्श { प्रकाश सिंह अर्श} जैसा बेटा मिला इस के बारे मे इतना ही कहूँगी कि वो मेरी हर मुश्किल का हल है और मेरे हर सवाल का जवाब है, हर दुख ,सुख उस से कह लेती हूँ। फिर अच्छे बच्चों की तरह मुझे मश्विरा देता है ।हाँ मेरी गलती पर मुझे डाँट भी देता है।--- मुझे शब्द नहीं सूझ रहे कि उसके लिये क्या कहूँ। इसके बाद दीपक मशाल ने मुझे बहुत सम्मान दिया। यहाँ तक कि वो मुझ से मिलने मेरे पास नंगल भी आये। उसका प्यार और सम्मान पा कर अभिभूत हूँैआज के युग मे ऐसे बच्चे मिलना सच मे बहुत मुश्किल है। इसके बाद मुझे प्रकाश गोविन्द जी मिले उनकी क्या कहूँ बस निशब्द हू। इन बच्चों के संस्कार देख कर इनके माँ बाप को सलाम करती हूँ। प्रकाश गोविन्द जी ने मुझे बहुत कुछ सिखाया और हमेशा बहुत कुछ करने की प्रेरणा भी दी मगर मैं ही नालाय्क हूँ अभी तक उन आपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर सकी।इसके अतिरिक्त दर्पण शाह , ने भी बहुत सम्मान दिया है। एक नाम जो मैं बडे गर्व के साथ लेना चाहूँगी वो गौतम राज रिशी जी का है उनके सम्मान और प्यार के लिये भी उनकी ऋणी हूँ। मिथिलेश दुबे छोटे बच्चों की तरह मुझ से बहुत प्यार करता है। कुलवन्त हैपी, लोकेन्द्र विक्रम सिंह अर्विन्द, धीरज शाह महफूज़,प्रवीण पथिक, रविन्द्र्, इम सब ने मुझे बेटोंजैसा प्यार और सम्मान दिया। एक नाम जिस ने एक दम मेरे सामने उपस्थित हो कर मुझे हैरान कर दिया वो थे श्री अकबर खान राणा जी ।मुझे कहते कि आपका आशीर्वाद लेने आया हूँ सोचिये उस समय मेरी खुशी का कोई ठिकाना था?। आज कह सकती हूँ प्यार रिश्तों का मोहताज नहीं होता मुझे ये सभी बेटे अपनी लगते हैं। शायद अपना होता तो कभी पूछता भी नहीं। इसके बाद अपनी बेटियों का नाम भी लेना चहूँगी। एडी सेहर, विनीता यशस्वी, कविता रावत , रश्मि रविज़ा,कविता राजपूत वाणी जी । लडकियाँ मा के लिये इतनी चिन्तित रहती हैं कि अगर दो तीन दिन नेट पर नज़र न आऊँ तो लम्बी सी मेल आ जाती है। इन सभी बच्चों को बहुत बहुत आशीर्वाद
एक उल्लेखनीय नाम और लेना चाहूँगे जिस से मुझे कुछ और अधिक काम करने की प्रेरणा मिलती है वो है अनुज खुशदीप सहगल कभी मिली नहीं मगर मिलूँगी जरूर रिश्ता पता नहीं मगर मेरे मन से हर वक्त आशीर्वाद निकलता है उन के लिये, तो लगता है मेरे बेटे जैसे ही हैं। मुफ्लिस जी, दिगम्बर नास्वा जी पंकज मिश्रा जी , श्रीश पाठक जी, स्वपनिल भारतीयम् .निशू तिवारी,अनिल कान्त जी , ओम आर्यजी इन सब की भी आभारी हूँ कि समय समय पर मुझे अपने स्नेह से उत्साहित करते हैं। नीरज गोस्वामी जी ,दिनेश राय दिवेदी जी की भी आभारी हूँ। स. पावला जी की बहुत आभारी हूँ मुझे पंजाबी लिखने मे जो समस्या आती है उसका हल उनके पास होता है। अगर श्री आशीश खन्डेलवाल जी का नाम न लूँ तो शायद सब से बडी भूल हो जायेगी। मुझे ब्लाग के बारे मे बहुत कुछ उन्होंने सिखाया है। चाहे वो व्यस्त भी रहे हों मै झट से उन्हें बज़ कर देती और चुटकी मे मेरी समस्या हल कर देते।
उपर तो उन लोगों की बात हो रही थी जिन से मेल या चैट दुआरा सम्पर्क मे रहती हूँ । इसके अतिरिक्त मेरे पाठक जो मुझे अपनी प्रतिक्रियाओं से उतसाहित करते हैं उनकी बहुत बहुत आभारी हूँ। मैं अलपग्य कुछ भी नहीं थी मगर मेरे पाठकों ने मुझे सिर आँखों पर बिठाया। श्री रविन्द्र प्रभात जी के ब्लाग *परिकल्पना* से जब पता चला कि मेरा नाम उन नौं देवियों मे है जिनके ब्लाग इस साल चर्चा मे रहे और आगे रहे। इस से मेरा उत्साह बढा है। उनका आभार ।
ये सब लिखने का मेरा एक मकसद ये भी है कि प्रोत्साहन इन्सान को आगे बढने की शक्ति देता है । आओ सब पिछले सब झगडे भूल कर नये साल मे ब्लाग जगत मे प्रेम की परिभाषा सीखें और नये आने वाले शब्दशिलपियों को प्रोत्साहित करेंमैने अपने शहर से भी दो नये ब्लागर्ज़ बनाये हैं। एक राकेश वर्मा जी{ http://akhrandavanzara.blogspot.com/} aur doosare Sanjeev kuraalia jee{ http://kalamkakarz.blogspot.com/} }इन्हें भी अपना आशीर्वाद दें। ये मेरे इस साल का लेखा जोखा है। मेरी उपल्ब्धियों का और जो प्यार मैने ब्लाग जगत से पाया है। सभी का धन्यवाद।ये सब मेरे दामाद ललित सूरी जी की वजह से हुया है। उसे भी बहुत बहुत आशीर्वाद ।
नये साल की सब को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें। मेरे बच्चों को आशीर्वाद। दो तीन दिन ब्लाग से दूर रहूँगी। चार पँक्तियाँ नये साल के लिये
नये साल ऐसे तराने सुनाओ
लुटाओ खुशी के खज़ाने लुटाओ
चलो अब मिटा दें गिले सब पुराने
मिलन के कोई तो बहाने बनाओ
न जात और धर्मों का बन्धन रहे
उठो नफरतों के ठिकाने मिटाओ
कहो बात वो प्यार बढता रहे
अंधेरे घरों मे दिये से जलाओ
वर्ष 2009 का जाते हुये धन्यवाद न करूँ तो ये कृ्त्घ्नता होगी। अगर मैं कहूँ कि ये साल मेरी ज़िन्दगी का सब से खूबसूरत और खुशियाँ देने वाला साल रहा तो गलत न होगा। प्यार रिश्तों का मोहताज़ नहीं होता। अन्तर्ज़ाल जैसी आभासी दुनिया मे भी रिश्ते कैसे फलते फूलते हैं ये महसूस कर अभिभूत हूँ।
जो प्यार और सम्मान मुझे इस साल मे मिला है उसकी तुलना दुनिया की किसी भी दौलत से नहीं की जा सकती ।। इस ब्लाग जगत ने मुझे अथाह प्यार दिया है, जिस मे अपने सब दुख तकलीफें अकेलापन यहाँ तक कि अपनी बिमारी भी भूल गयी हूँ। सब से बडी उपल्ब्धि मुझे दो भाईयों का प्यार बहुत मिला है। बडे भाई साहिब श्री प्राण शर्मा जी ने जो स्नेह और आशीर्वाद मुझे दिया है उससे मेरी ऊर्जा कई गुना बढ गयी है । आज कल किस के पास इतना समय है। वो मुझे गज़ल ही नहीं सिखाते और भी बहुत अच्छी अच्छी बातें सिखाते हैं । उनसे बात करके हमेशा खुद को पहले से सबल पाया है। जब मैने गज़ल सीखनी शुरू की तो मैं कहती थी कि मुझे कभी भी गज़ल लिखनी नहीं आ सकती मगर उन्होंने मुझे हमेशा उत्साहित किया। बेशक अभी अधिक अच्छी गज़ल कह नहीं पाती मगर गज़ल के गुर सीख रही हूँ। जब ब्लागिन्ग शुरू की थी तब मुझे कविता और गज़ल मे अन्तर नहीं पता था मगर भाई साहिब के स्नेह, पेशैंस और आशीर्वाद ने सीखने की राह आसान कर दी। उनकी ऋणी हूँ। उसके बाद छोटे भाई श्री पंकज सुबीर जी 01 ने मुझे *दी* कह कर अपने स्नेह मे बाँध लिया है। 1973 और 1983 मे दो भाई खोये थे और 2009 मे दोनो को पा लिया इससे बडी उपल्ब्धि और क्या हो सकती है। इसके बाद राज भाटिया जी ने भी यही सम्मान मुझे दिया। यूँ तो और बहुत से नाम हैं मगर इन से जो प्यार और सहयोग मिला उस की मिसाल नहीं है। दूसरी सब से बडी उपल्ब्धि है मुझे अर्श { प्रकाश सिंह अर्श} जैसा बेटा मिला इस के बारे मे इतना ही कहूँगी कि वो मेरी हर मुश्किल का हल है और मेरे हर सवाल का जवाब है, हर दुख ,सुख उस से कह लेती हूँ। फिर अच्छे बच्चों की तरह मुझे मश्विरा देता है ।हाँ मेरी गलती पर मुझे डाँट भी देता है।--- मुझे शब्द नहीं सूझ रहे कि उसके लिये क्या कहूँ। इसके बाद दीपक मशाल ने मुझे बहुत सम्मान दिया। यहाँ तक कि वो मुझ से मिलने मेरे पास नंगल भी आये। उसका प्यार और सम्मान पा कर अभिभूत हूँैआज के युग मे ऐसे बच्चे मिलना सच मे बहुत मुश्किल है। इसके बाद मुझे प्रकाश गोविन्द जी मिले उनकी क्या कहूँ बस निशब्द हू। इन बच्चों के संस्कार देख कर इनके माँ बाप को सलाम करती हूँ। प्रकाश गोविन्द जी ने मुझे बहुत कुछ सिखाया और हमेशा बहुत कुछ करने की प्रेरणा भी दी मगर मैं ही नालाय्क हूँ अभी तक उन आपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर सकी।इसके अतिरिक्त दर्पण शाह , ने भी बहुत सम्मान दिया है। एक नाम जो मैं बडे गर्व के साथ लेना चाहूँगी वो गौतम राज रिशी जी का है उनके सम्मान और प्यार के लिये भी उनकी ऋणी हूँ। मिथिलेश दुबे छोटे बच्चों की तरह मुझ से बहुत प्यार करता है। कुलवन्त हैपी, लोकेन्द्र विक्रम सिंह अर्विन्द, धीरज शाह महफूज़,प्रवीण पथिक, रविन्द्र्, इम सब ने मुझे बेटोंजैसा प्यार और सम्मान दिया। एक नाम जिस ने एक दम मेरे सामने उपस्थित हो कर मुझे हैरान कर दिया वो थे श्री अकबर खान राणा जी ।मुझे कहते कि आपका आशीर्वाद लेने आया हूँ सोचिये उस समय मेरी खुशी का कोई ठिकाना था?। आज कह सकती हूँ प्यार रिश्तों का मोहताज नहीं होता मुझे ये सभी बेटे अपनी लगते हैं। शायद अपना होता तो कभी पूछता भी नहीं। इसके बाद अपनी बेटियों का नाम भी लेना चहूँगी। एडी सेहर, विनीता यशस्वी, कविता रावत , रश्मि रविज़ा,कविता राजपूत वाणी जी । लडकियाँ मा के लिये इतनी चिन्तित रहती हैं कि अगर दो तीन दिन नेट पर नज़र न आऊँ तो लम्बी सी मेल आ जाती है। इन सभी बच्चों को बहुत बहुत आशीर्वाद
एक उल्लेखनीय नाम और लेना चाहूँगे जिस से मुझे कुछ और अधिक काम करने की प्रेरणा मिलती है वो है अनुज खुशदीप सहगल कभी मिली नहीं मगर मिलूँगी जरूर रिश्ता पता नहीं मगर मेरे मन से हर वक्त आशीर्वाद निकलता है उन के लिये, तो लगता है मेरे बेटे जैसे ही हैं। मुफ्लिस जी, दिगम्बर नास्वा जी पंकज मिश्रा जी , श्रीश पाठक जी, स्वपनिल भारतीयम् .निशू तिवारी,अनिल कान्त जी , ओम आर्यजी इन सब की भी आभारी हूँ कि समय समय पर मुझे अपने स्नेह से उत्साहित करते हैं। नीरज गोस्वामी जी ,दिनेश राय दिवेदी जी की भी आभारी हूँ। स. पावला जी की बहुत आभारी हूँ मुझे पंजाबी लिखने मे जो समस्या आती है उसका हल उनके पास होता है। अगर श्री आशीश खन्डेलवाल जी का नाम न लूँ तो शायद सब से बडी भूल हो जायेगी। मुझे ब्लाग के बारे मे बहुत कुछ उन्होंने सिखाया है। चाहे वो व्यस्त भी रहे हों मै झट से उन्हें बज़ कर देती और चुटकी मे मेरी समस्या हल कर देते।
उपर तो उन लोगों की बात हो रही थी जिन से मेल या चैट दुआरा सम्पर्क मे रहती हूँ । इसके अतिरिक्त मेरे पाठक जो मुझे अपनी प्रतिक्रियाओं से उतसाहित करते हैं उनकी बहुत बहुत आभारी हूँ। मैं अलपग्य कुछ भी नहीं थी मगर मेरे पाठकों ने मुझे सिर आँखों पर बिठाया। श्री रविन्द्र प्रभात जी के ब्लाग *परिकल्पना* से जब पता चला कि मेरा नाम उन नौं देवियों मे है जिनके ब्लाग इस साल चर्चा मे रहे और आगे रहे। इस से मेरा उत्साह बढा है। उनका आभार ।
ये सब लिखने का मेरा एक मकसद ये भी है कि प्रोत्साहन इन्सान को आगे बढने की शक्ति देता है । आओ सब पिछले सब झगडे भूल कर नये साल मे ब्लाग जगत मे प्रेम की परिभाषा सीखें और नये आने वाले शब्दशिलपियों को प्रोत्साहित करेंमैने अपने शहर से भी दो नये ब्लागर्ज़ बनाये हैं। एक राकेश वर्मा जी{ http://akhrandavanzara.blogspot.com/} aur doosare Sanjeev kuraalia jee{ http://kalamkakarz.blogspot.com/} }इन्हें भी अपना आशीर्वाद दें। ये मेरे इस साल का लेखा जोखा है। मेरी उपल्ब्धियों का और जो प्यार मैने ब्लाग जगत से पाया है। सभी का धन्यवाद।ये सब मेरे दामाद ललित सूरी जी की वजह से हुया है। उसे भी बहुत बहुत आशीर्वाद ।
नये साल की सब को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें। मेरे बच्चों को आशीर्वाद। दो तीन दिन ब्लाग से दूर रहूँगी। चार पँक्तियाँ नये साल के लिये
नये साल ऐसे तराने सुनाओ
लुटाओ खुशी के खज़ाने लुटाओ
चलो अब मिटा दें गिले सब पुराने
मिलन के कोई तो बहाने बनाओ
न जात और धर्मों का बन्धन रहे
उठो नफरतों के ठिकाने मिटाओ
कहो बात वो प्यार बढता रहे
अंधेरे घरों मे दिये से जलाओ