कवच --- गताँक से आगे कहानी
पिछली किश्त मे आपने पढा कि आशू एक कम उम्र की लडकी अपने ही कालेज के प्रोफेसर से प्यार करने लगती है मगर बाद मे पता चलता है कि वो शराबी कबाबी आदमी है वो मायके आ जाती है वहाँ भी उसे वो तंग करता है जब कि वो पढ लिख कर अपने पाँव पर खडे होना चाहती है । अब आगे -----
*अशू वो तलाक के कागज़ ले कर चिल्ला रहा है कि अगर नहीं आयेगी तो ये तलाक के कागज़ साईन कर के भेज दे।* मैने आशू को बताया।
*तलाक? कभी नहीं। मुझ से तलाक ले कर ये किसी और की ज़िन्दगी बर्बाद करेगा मैं ऐसा कभी नहीं होने दूँगी।*
* तो इस तरह तंग करता है तो पोलिस की मदद ले लेते हैं।*
*नहीँ, अगर आज पोलिस की मदद ले भी लूँ तो क्या फायदा।,ाइसे दानव तो दुनिया मे भरे पडे हैं क्या पता पोलिस मे इस से भी बडे बडे दानव हों वो इसके साथ मिल जयें तो क्या करूँगी। ये अन्त हीन प्रयत्न होगा।*
* भाभी आपने मुझे माँ दुर्गा की कहानी सुनाई थी ना?उसने अपनी नौ शक्तियों के साथ कैसे दानवों का संहार किया था!अपने बताया था कि रक्त्बीज नाम के राक्षस को मारने के लिये उसे अपनी शक्ति *काली* की सहायता लेनी पडी। माँ दुर्गा जब भी रक्तबीज पर प्रहार करतीउस दानव के खून की बूँद से एक और रक्तबीज पैदा हो जाता।तभी उसने अपनी शक्ति काली से कहा कि वो दानव के शरीर से गिरने वाली हर बूँद को पी जाये।इस तरह दुर्गा ने उस की शक्ति को शीण कर के उसका वध किया।*भाभी वो सतयुग की नारी थी। मगर सृ्श्टी का दस्तूर तो वही है। मैं पढ लिख कर शक्ति अर्जित करूँगी और कलयुगी रक्तबीजों का संहार करूँगी।उस आदमी ने मुझ नासमझ को बहका कर गुरू-शिश्य के रिश्ते को कलंकित किया है। मैं अपनी गलती का प्रायश्चित करूँगी।अप देखना भाभी दुराचारी आदमी के पास बल क्षणिक होता है। इसके बाद तो उसके मन मे एक डर समाया रहता है। वो मुझे आगे बडते हुये देख ईर्ष्या मे ही समाप्त हो जायेगा। इसी लिये मैं उसे और गिर लेने देना चाहती हूँ।जिस ने भगवान की दी हुई सौगात प्रेम का अपमान किया है वो कभी किसी का प्यार नहीं पा सकेगा।*
मै आशू के मुँह की तरफ देख रही थी।एक अधखिली कली इतनी सयानी बन गयी थी। चोट आदमी को बहुत कुछ सिखा देती है बस धर्य होना चाहिये।
दिन निकलते गये।।उसने बी ए फर्स्ट कलास मे पास की। उसके बाद वो आ.- ए- एस् की तैयारी करने लगी।दीपक की हरकतों से उसके मनोबल मे वृ्द्धी ही हुई। जब दीपक ने देखा कि उसकी हर कोशिश बेकार है तो उसने कुछ रिश्तेदारों को मध्यस्त बना कर दवाब डाला।काफी कोशिश के बाद आशू को मना लिया कि एक बार फिर से कोशिश करनी चाहिये ।उसके माँ बाप भी यही चाहते थे कि अब वो अपनी गलतियाँ मान रहा है तो उसे एक अवसर देना चाहिये। इस तरह आशू फिर से उसके साथ घर चली गयी। मगर आब उसने निश्चय कर लिया था कि उसका कोई जुल्म नहीं सहेगी।
कुछ दिन तो थीक चलता रहा। मगर वो पंजाबी की एक कहावत है कि कि वादडियाँ सजादडियाँ निभण सिराँ दे नाल् [अर्थात् अच्छी बुरी आदतें जब तक आदमी जिन्दा है साथ ही रहती हैं} तीन चार महीने बाद फिर वही सिलसिला शुरू होने लगा।अशू ने सब तरह से कोशिश कर के देख ली मगर उसके व्यव्हार मे कओई फर्क नहीं आया असल मे उसका असली मकसद उसे आई-ए-एस की परीक्षा से रोकना था जो उसने पूरा कर दिया और वो प्रिलिमिनरी टेस्ट पास ना कर सकी इतने तनाव मे कर भी नहीं सकती थी। अब आशू फिर से अपने मायके चली गयी।फिर उसने सोच लिया कि अब चाहे कुछ भी हो जाये वो उसके पास कभी नहीं आयेगी।अपनी पढाई की ओरे ध्यान देगी।
दीपक ने भी जैसे कसम खा ली थी कि वो उसे पढने नहीं देगा।ाब सरेआम वो दूसरी लडकी के साथ घूमने लगा और लोगों से आशू के बारे मे उलटी सीधी बातें करने लगा।ाशू के भाई की नौकरी दिल्ली मे ही लग गयी और वो अपने भाई के पास दिल्ली चली गयी। इसके माँ बाप भी वहीं रहने लगे।
तीन साल हो गये थे। मगर फिर कभी आशू की कोई खबर नहीं आयी। ना ही उसने कोई पत्र लिखा। शायद वो अपना पता किसी को बताना नहीं चाहती थी।
तीन साल बाद अचानक उसका एक पत्र आया था ,जिसमे उसने लिखा था कि भाभी आपकी बहुत याद आती है और सच मानो तो आपके कारण ही मैं अपनी जिन्दगी को नया मोड दे पाई। आपने मुझे दुर्गा की कथा पडने के लिये कहा था, बस उस कथा ने मेरी सोच बदल दी और मुझे शक्ति दी कि मैं आगे बढूँ।अब भी रोज़ वो कथा पढती हूँ और जल्दी ही मुझे फल मिलने वाला है, जिस दिन दुर्गा मुझे वो कवच दे देंगी तो सीधे पहले आपके पास ही आऊँगी।
इस पत्र को आये भी चार पाँच महीने हो गये थे। आज सुबह मैं काम से निबट कर बाल्कनी मे बैठ गयी।अंदर काम वाली काम कर रही थी। अचानक नीचे हमारे घर के सामने एक लाल बत्ती वाली गाडी आ कर रुकी।उसमे से एक सिपाही निकला।मैं सरसरी नज़र डाल कर अंदर चली गयी,सोचा नीचे वाले वकील साहिब से कोई मिलने आया होगा। तभी सीडियों पर पैरों की आवाज़ सुन कर मैं दरवाजे पर आयी। एक सिपही मेरे दर्वाजे पर खडा था। दिल धक से रह गया----
*मैडम नीची आपको हमारे आफिसर बुला रहे हैं*
* लेकिन क्यों?इस समय मेरे पति घर पर नहीं हैं आप काम बतायें मैं उन्हें फोन कर के बुला लेती हूँ।
*उन्हों ने आपकी ननद के बारे मे बात करनी है।* सिपाही बोला।
मै डर गयी।ाभी चार माह पहले तो उसकी शादी हुई है।वो अपने घर मे बहुत खुश है,फिर ऐसी क्या बात हो गयी कि पोलिस आयी है? डर से मेरी टाँगें काँप रही थी।जैसे तैसे मैं सीढीयाँ उतर कर गाडी के दर्वाज़े के पास पहुँची,तभी एक दम गाडी का दरवाज़ा खुला और आशू एक दम मेरे गले से लिपट गयी।आश्चर्य और खुशी से मेरी चीख निकल गयी।
*अशू ये क्या मज़ाक है तुम ने तो मेरी जान ही निकाल दी? कहते हुये मैने उसे बाहों मे भर लिया।
*भाभी आज तुम्हारी दुर्गा आयी है ,तुम क्यों डर रही हो?डर तो उन रक्तबीजों को होना चाहिये जिन्हें मै एक एक कर निगलने वाली हूँ। आशू हँसते हुये बोली।
रात भर हमने खूब बातें की। उसने मुझे बताया कि उसे जब पता चला कि दीपक ने उस लडकी से शादी कर ली है तो मैने सब से पहले उस पर केस दर्ज़ करवाया। आप देखना मैं इस आदमी का क्या हाल करती हूँ बहुत सी लडकिओं के सबूत हैं मेरे पास जिन को इसने शादी का झाँसा दे कर लूटा ।
भाभी मैने अपनी भूल का प्रय्श्चित कर लिया है। माँ दुर्गा मे मुझे आई ए एस बना कर शक्ति दी है।
*हाँ आशू भूल कर के ही तो पता चलता है कि हम कहाँ गलत थे। भगवान जो ्रता है अच्छे के लिये ही करता है। उसके खेल को किस ने जाना। समाप्त