1 गज़ल
मुहब्बत को किसी भी हाल में सौगात मत कहिये
जो गुज़रे हिज्र में उसको सुहानी रात मत कहिये
खुशी से जो दिया उसने यही बस प्यार है उसका
खुदा की नेमतें कहिए इन्हें खैरात मत कहिये *
कहीं पर भी न उलझेगी कहानी फिर मुहब्बत की
किसी से तल्ख़ लहजे में ज़रा सी बात मत कहीए
कोई उसको दिल ए बीमार का दे दे पता जाकर"
तड़पती हूँ मैं उसके वास्ते दिन रात मत कहिये
सियासत दिल में नफरत के हमेशा बीज बोती है
सियासत है ज़माने में किसी के( साथ) मत कहिए
ख्यालों के परिंदों को अगर परवाज़ से रोका"
ज़ुबाँ पर फिर हमारी आएंगे नगमात मत कहिये
शराफत आज तक ज़िंदा है जिसके दम से दुनियां में"
वो आला मरतबत है शख़्स कम औकात मत कहिये।
ग़रीबी असमतें भी ला के बाज़ारों में रखती है"
बहुत मजबूरियां होंगी उसे बदज़ात मत कहिये
मैं अपनी हर खुशी लिखती हूँ उसको नाम ऐ निर्मल
मुहब्बत में हो मेरी जीत उसकी मात मत कहिये
मुहब्बत को किसी भी हाल में सौगात मत कहिये
जो गुज़रे हिज्र में उसको सुहानी रात मत कहिये
खुशी से जो दिया उसने यही बस प्यार है उसका
खुदा की नेमतें कहिए इन्हें खैरात मत कहिये *
कहीं पर भी न उलझेगी कहानी फिर मुहब्बत की
किसी से तल्ख़ लहजे में ज़रा सी बात मत कहीए
कोई उसको दिल ए बीमार का दे दे पता जाकर"
तड़पती हूँ मैं उसके वास्ते दिन रात मत कहिये
सियासत दिल में नफरत के हमेशा बीज बोती है
सियासत है ज़माने में किसी के( साथ) मत कहिए
ख्यालों के परिंदों को अगर परवाज़ से रोका"
ज़ुबाँ पर फिर हमारी आएंगे नगमात मत कहिये
शराफत आज तक ज़िंदा है जिसके दम से दुनियां में"
वो आला मरतबत है शख़्स कम औकात मत कहिये।
ग़रीबी असमतें भी ला के बाज़ारों में रखती है"
बहुत मजबूरियां होंगी उसे बदज़ात मत कहिये
मैं अपनी हर खुशी लिखती हूँ उसको नाम ऐ निर्मल
मुहब्बत में हो मेरी जीत उसकी मात मत कहिये